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दुनियाः बाइडन ने 4 भारतीय-अमेरिकियों को दिया क्षमादान और दक्षिण कोरिया की संसद ने पीएम और मंत्रियों से पूछा सवाल

सीरिया में बशर अल-असद की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले विद्रोही खेमे के नेताओं से बात के लिए तुर्किए और कतर के वरिष्ठ अधिकारी दमिश्क पहुंचे हैं। डेनमार्क में एक अरब पाउंड से अधिक की कर धोखाधड़ी के मामले में भारतीय मूल के एक ब्रिटिश व्यक्ति को सजा सुनाई गई है।

बाइडन ने 4 भारतीय-अमेरिकियों को दिया क्षमादान और दक्षिण कोरिया की संसद ने पीएम और मंत्रियों से पूछा सवाल
बाइडन ने 4 भारतीय-अमेरिकियों को दिया क्षमादान और दक्षिण कोरिया की संसद ने पीएम और मंत्रियों से पूछा सवाल फोटोः सोशल मीडिया

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने चार भारतीय-अमेरिकियों को क्षमादान दिया

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने चार भारतीय-अमेरिकियों सहित लगभग 1500 लोगों को क्षमादान दिया है। इन्हें 17 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई गई है। क्षमादान पाने वाले ये चार भारतीय-अमेरिकी हैं-मीरा सचदेव, बाबूभाई पटेल, कृष्णा मोटे और विक्रम दत्ता। बाइडन ने गुरुवार को एक बयान में कहा, ‘‘अमेरिका, संभावना और दूसरा मौका देने के वादे पर बना है। राष्ट्रपति के रूप में मुझे उन लोगों पर दया दिखाने का बड़ा सौभाग्य मिला है जिन्होंने पश्चाताप और पुनर्वास किया ...। अमेरिका ने अहिंसक अपराधियों, विशेष रूप से मादक पदार्थों के अपराधों के दोषियों के लिए सजा में असमानताओं को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आज मैं उन 39 लोगों को क्षमा कर रहा हूं, जिन्होंने पुनर्वास किया और अपने समुदायों को मजबूत तथा सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। मैं लगभग 1,500 लोगों की सजा माफ कर रहा हूं।’’

एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में क्षमादान देने की हाल के दिनों की यह इकलौती घटना है।दिसंबर 2012 में डॉ. मीरा सचदेव को मिसिसिपी के एक कैंसर सेंटर में धोखाधड़ी करने के जुर्म में 20 साल की सजा सुनाई गई थी और उन्हें करीब 82 लाख अमेरिकी डॉलर वापस करने का आदेश दिया गया था। अब वह 63 वर्ष की हैं। बाबूभाई पटेल को 2013 में स्वास्थ्य सेवा में धोखाधड़ी षड्यंत्र, मादक पदार्थ के संबंध में षड्यंत्र तथा संबंधित धोखाधड़ी और मादक पदार्थ उल्लंघन के लिए 26 मामलों में 17 वर्ष की सजा सुनाई गई थी।

वर्ष 2013 में ही 54 वर्षीय कृष्णा मोटे को 280 ग्राम से अधिक क्रैक कोकीन और 500 ग्राम से अधिक कोकीन वितरित करने की साजिश रचने तथा सहयोगी एवं दुष्प्रेरक के रूप में क्रैक कोकीन वितरित करने का दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। विक्रम दत्ता (63) को जनवरी 2012 में मैनहट्टन संघीय अदालत ने 235 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें मैक्सिको के एक मादक पदार्थ गिरोह के लिए लाखों डॉलर का धन शोधन करने के लिए अपने इत्र वितरण व्यवसाय का उपयोग करने से जुड़े मामले में षड्यंत्र के आरोप का दोषी पाया गया था।

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दक्षिण कोरिया की संसद मार्शल लॉ पर पीएम और मंत्रियों से करेगी सवाल

साउथ कोरिया की नेशनल असेंबली शुक्रवार को संसदीय सत्र आयोजित करेगी। इसमें प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों से सवाल पूछे जाएंगे, जिन्होंने राष्ट्रपति यून सूक योल की मार्शल लॉ घोषणा से ठीक पहले विवादास्पद कैबिनेट बैठक में भाग लिया था। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य विपक्षी 'डेमोक्रेटिक पार्टी' (डीपी) भी मार्शल लॉ लागू करने के उनके असफल प्रयास के लिए यून के खिलाफ एक नया महाभियोग प्रस्ताव पेश करेगी। इससे पहले कुछ दिनों पहले कोरम की कमी के कारण वे महाभियोग से बच गए थे। शुक्रवार के पूछताछ सत्र के दौरान, विपक्षी सांसदों द्वारा कैबिनेट सदस्यों से यूं के पिछले दिन के सार्वजनिक संबोधन के बारे में प्रश्न पूछे जाने की उम्मीद है। जो मुख्य रूप से उनके मार्शल लॉ की घोषणा का बचाव करने और इसे विद्रोह की कार्रवाई मानने से इनकार करने से जुड़ा था।

विपक्ष ने प्रधानमंत्री हान डक-सू, वित्त मंत्री चोई सांग-मोक, शिक्षा मंत्री ली जू-हो और विदेश मंत्री चो ताए-युल सहित अन्य से उपस्थित होने की अपील की। बुधवार को पूछताछ सत्र के दौरान हान ने मार्शल लॉ गड़बड़ी के लिए माफी मांगी और कहा कि घोषणा से कुछ मिनट पहले आयोजित छोटी कैबिनेट बैठक में कोई भी यून की योजना से सहमत नहीं था। डीपी ने शनिवार को संसद के पूर्ण सत्र में यून के नए महाभियोग प्रस्ताव को मतदान के लिए रखने की योजना बनाई है। कानून के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव को पूर्ण सत्र में रिपोर्ट किए जाने के 24 से 72 घंटों के बीच मतदान के लिए रखा जाना चाहिए। पहले प्रस्ताव को रद्द करने के बाद, डीपी ने हर सप्ताह यून के महाभियोग को पारित करने के लिए जोर देने की कसम खाई।

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विद्रोही खेमे से बात करने दमिश्क पहुंचे तुर्किए और कतर के वरिष्ठ अधिकारी

तुर्किए और कतर के वरिष्ठ अधिकारी पूर्व सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले विद्रोही खेमे के नेताओं संग चर्चा करने के लिए दमिश्क पहुंचे हैं। इसकी जानकारी सीरिया के अंतरिम सूचना मंत्रालय ने दी है। सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, तुर्किए के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री हकान फिदान और खुफिया प्रमुख इब्राहिम कालिन शामिल थे, जबकि कतर का प्रतिनिधित्व राज्य सुरक्षा सेवा के प्रमुख खलफान बिन अली बिन खलफान अल-बट्टी अल-काबी ने किया। मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, दोनों प्रतिनिधिमंडलों में "सलाहकार दल" भी शामिल था। अधिकारियों का हयात तहरीर अल-शाम समूह के नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी से मिलने का कार्यक्रम है, जिसने अल-असद को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे उग्रवादी नेता मोहम्मद अल-बशीर के साथ भी बातचीत करने वाले हैं, जो अब विद्रोही गठबंधन द्वारा नियुक्त अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं।

मंत्रालय ने कहा कि चर्चा विद्रोही गुटों के बीच आंतरिक राजनीतिक संवाद को आगे बढ़ाने पर केंद्रित होने की उम्मीद है। तुर्किए या कतर सरकार की ओर से इस यात्रा की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। फिदान ने पहले कहा था कि अंकारा दमिश्क में अपने दूतावास को "एक बार परिस्थितियां अनुकूल होने पर" फिर से खोलने का इरादा रखता है। तुर्किए ने 26 मार्च, 2012 को सीरिया की राजधानी में अपना दूतावास बंद कर दिया था, जिसमें बढ़ती हिंसा और 2011 में शुरू हुए सीरिया के गृहयुद्ध के बीच असद को पद छोड़ने के लिए कहा गया था।

असद सरकार को उखाड़ फेंकने वाले उग्रवादी समूहों का समर्थन करने वाले समाचार आउटलेट साउट अल-असिमा के अनुसार, सीरियाई संविधान और संसद को कथित तौर पर तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है। आउटलेट ने गुरुवार को अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए इस घटनाक्रम की सूचना दी, लेकिन इस बारे में विवरण नहीं दिया कि निलंबन कैसे लागू किया जाएगा। इससे पहले बुधवार को सीरिया के सैन्य अभियान प्रशासन ने घोषणा की थी कि उसने दमिश्क और उसके आसपास के क्षेत्रों में पहले से लागू कर्फ्यू हटा लिया है और निवासियों से अपनी दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने और अपने कार्यस्थलों पर लौटने का आह्वान किया है।

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डेनमार्क में कर धोखाधड़ी के लिए भारतीय मूल के ब्रिटिश कारोबारी को जेल की सजा

डेनमार्क में एक अरब पाउंड से अधिक की कर धोखाधड़ी के मामले में दोषी पाए जाने के बाद भारतीय मूल के एक ब्रिटिश व्यक्ति को 12 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। संजय शाह (54) को इस सप्ताह ग्लोस्ट्रुप की एक जिला अदालत ने यह सजा सुनाई, जो आर्थिक अपराध के लिए अधिकतम दंड है।

डेनमार्क के अभियोजन पक्ष ने एक बयान में कहा कि अदालत ने पाया कि शाह एक षड़यंत्र के सरगना थे, जिसमें 190 अमेरिकी पेंशन कंपनियों और 24 मलेशियाई कंपनियों ने डेनमार्क के सूचीबद्ध शेयरों को खरीदने के लिए उस समय समझौते किए, जब शेयरों का कारोबार लाभांश के अधिकार के आधार पर किया जाता था। गंभीर अपराध के लिए राज्य अटॉर्नी (एसएसके) की विशेष अभियोजक मैरी ट्यूलिन ने कहा, “यह फैसला लाभांश कर मामलों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोषी व्यक्ति ने बड़े पैमाने पर डेनमार्क के खिलाफ धोखाधड़ी की।”

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बांग्लादेश के हालात पर करीब से नजर रख रहे हैं बाइडन

अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय एवं आधिकारिक आवास व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडन बांग्लादेश की स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं तथा अमेरिका बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को देश में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार ठहराएगा। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने बृहस्पतिवार को पत्रकार वार्ता में कहा, ‘‘ पूर्व प्रधानमंत्री के पद से हटने के बाद बांग्लादेश में सुरक्षा हालात जटिल हैं। हम इस चुनौती से निपटने के लिए अंतरिम सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि उनकी कानून प्रवर्तन और सुरक्षा सेवाओं की क्षमता बढ़ाई जा सके।’’

किर्बी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘बांग्लादेश के सभी नेताओं के साथ हमारी बातचीत में जो बात बहुत स्पष्ट रही है वह है धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा... सभी बांग्लादेशियों की सुरक्षा चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों। हम चाहते हैं कि वे इस पर कायम रहें।’’ बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के कथित उत्पीड़न के विरोध में भारतीय अमेरिकियों ने पिछले कुछ हफ्तों में व्हाइट हाउस के सामने, शिकागो, न्यूयॉर्क, डेट्रायट, ह्यूस्टन और अटलांटा समेत कई शहरों में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया और मार्च निकाला। उन्होंने राष्ट्रपति बाइडन से बांग्लादेश में हिंदुओं पर जारी कथित अत्याचार को रोकने में मदद करने की अपील की। इससे पहले, भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने सीनेट की विदेश संबंध समिति के सदस्यों से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया।

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