इजराइली सेना ने सोमवार को ईरानियों को चेतावनी दी कि वह आने वाले दिनों में तेहरान के आसपास के सैन्य ठिकानों पर हमला करना जारी रखेगी, क्योंकि उसका ध्यान प्रतीकात्मक लक्ष्यों पर है।
सेना ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह चेतावनी दी। हालांकि, इंटरनेट बंद होने के कारण ईरान के लोगों को बाहरी दुनिया तक संपर्क कायम करने में कठिनाई हो रही है।
इजराइली सेना ने पोस्ट में चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘तेहरान के प्रिय नागरिकों, आने वाले दिनों में, इजराइली सेना तेहरान क्षेत्र में मौजूद सैन्य ठिकानों पर अपने हमले जारी रखेगी। हम आपसे व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए हथियार उत्पादन केंद्रों, सैन्य ठिकानों और शासन से जुड़े सुरक्षा संस्थानों से दूर रहने की अपील करते हैं।’’
हालांकि, ईरान ने इस चेतावनी की आलोचना करते हुए कहा कि यह उनके लोगों को डराने का एक तरीका है। इजराइल ने कई बार चेतावनी देने के बाद हमले किए हैं।
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इजराइल का कहना है कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने के प्रति दृढ़ है, क्योंकि गुप्त रूप से परमाणु हथियार तैयार करने में जुटा उसका कट्टर दुश्मन उसके अस्तित्व के लिए खतरा है।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि दशकों से इजराइल को पश्चिम एशिया का एकमात्र ऐसा देश माना जाता रहा है, जिसके पास परमाणु हथियार हैं, भले ही उसके नेताओं ने इन हथियारों की मौजूदगी की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया हो।
विशेषज्ञों का कहना है कि इजराइल की अस्पष्टता ने उसे ईरान और अन्य दुश्मनों के खिलाफ अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सक्षम बनाया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इजराइल ने यह क्षमता क्षेत्रीय स्तर पर परमाणु हथियारों की दौड़ को बढ़ावा दिए बिना या एहतियाती हमलों (संभावित हमले से बचने के लिए किये गए हमले) को आमंत्रित किए बगैर हासिल की है।
इजराइल उन पांच देशों में से एक है, जो वैश्विक परमाणु अप्रसार संधि का हिस्सा नहीं हैं। इससे उसे निरस्त्रीकरण करने या यहां तक कि निरीक्षकों को उसके देश में मौजूद परमाणु केंद्रों की जांच करने की अनुमति देने से जुड़े अंतरराष्ट्रीय दबाव से राहत मिलती है।
ईरान और अन्य जगहों पर आलोचकों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सख्त नजर रखने के लिए पश्चिमी देशों पर पाखंड का आरोप लगाया है, जबकि इजराइल के संदिग्ध शस्त्रागार को खुली छूट दी जा रही है।
इजराइल ने 1958 में देश के पहले नेता प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन के नेतृत्व में सुदूर रेगिस्तानी शहर डिमोना में अपना नेगेव परमाणु अनुसंधान केंद्र खोला। उनका मानना था कि पड़ोस में शत्रु देशों से घिरे छोटे से नवोदित देश को सुरक्षा के अतिरिक्त उपाय के रूप में परमाणु निरोध की आवश्यकता है।
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इनका इस्तेमाल केवल आपातकालीन स्थिति में, अंतिम उपाय के रूप में किया जाना था।
एक अकादमिक पत्रिका ‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ में 2022 में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, इस परमाणु केंद्र के खुलने के बाद इजराइल ने डिमोना में काम को एक दशक तक छिपाए रखा और अमेरिका के अधिकारियों से कहा कि यह एक कपड़ा कारखाना है।
‘फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स’ के परमाणु सूचना परियोजना के निदेशक हैंस एम. क्रिस्टेंसन और इसी संगठन के शोधकर्ता मैट कोर्डा द्वारा सह-लिखित इस लेख के अनुसार, डिमोना में उत्पादित प्लूटोनियम पर निर्भर रहते हुए इजराइल के पास 1970 के दशक के प्रारंभ से ही परमाणु हथियार दागने की क्षमता है।
वर्ष 1986 में इजराइल की अस्पष्टता की नीति को बड़ा झटका लगा, जब परमाणु केंद्र पर मौजूद एक पूर्व तकनीशियन मोर्दकै वानुनू ने डिमोना की गतिविधियों को उजागर किया। उसने लंदन के ‘द संडे टाइम्स’ को रिएक्टर की तस्वीरें और विवरण उपलब्ध कराए।
वानुनू को देशद्रोह के आरोप में 18 साल जेल में रखा गया और उसे विदेशियों से मिलने या देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इजराइल के पास 80 से 200 परमाणु हथियार हैं।
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यूक्रेन में रात में रूसी ड्रोन और मिसाइल से किए गए हमलों में कम से कम 10 लोग मारे गए। स्थानीय अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि राजधानी कीव में सात लोगों की मौत की खबर है, जहां आपातकालीन दल आंशिक रूप से ढह गई एक इमारत के मलबे के नीचे फंसे लोगों को खोजने की मशक्कत कर रहे हैं।
यूक्रेन की वायु सेना ने बताया कि रूस ने रात भर में 352 ड्रोन और छद्म हथियार दागे, साथ ही 11 बैलिस्टिक मिसाइल और पांच क्रूज मिसाइलें भी दागीं।
एक बयान में कहा गया कि वायु रक्षा प्रणाली ने 339 ड्रोन और 15 मिसाइलों को उनके लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया या जाम कर दिया।
यह हमला गत मंगलवार को यूक्रेन पर किए गए रूस के हमले के लगभग एक सप्ताह बाद हुआ है। एक सप्ताह पहले किए गए रूसी हमले में कीव में 28 लोग मारे गए थे, जिनमें से 23 लोग एक आवासीय इमारत में मारे गए थे, जो मिसाइल हमले के बाद ढह गई थी।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि प्रारंभिक डेटा से संकेत मिलता है कि रूसी सेना ने कीव हमले में उत्तर कोरियाई मिसाइलों का इस्तेमाल किया।
उन्होंने रूस, उत्तर कोरिया और ईरान को "हत्यारों का गठबंधन" कहा और चेतावनी दी कि अगर उनका गठबंधन जारी रहा तो "आतंक" फैल सकता है। ईरान ने रूस को ड्रोन मुहैया कराए हैं।
ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन की रक्षा और रूस पर दबाव बनाने के नए तरीके सोमवार को ब्रिटेन की उनकी यात्रा के दो मुख्य विषय होंगे।
ब्रिटश प्रधानमंत्री के कार्यालय ने बताया कि ज़ेलेंस्की को इस सप्ताह हेग में होने वाले नाटो शिखर सम्मेलन से पहले लंदन में प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर से मिलना है।
आपात सेवाओं ने बताया कि सोमवार तड़के रूस के ड्रोन और मिसाइलों ने कीव में रिहायशी इलाकों, अस्पतालों और खेल परिसरों को निशाना बनाया। सबसे ज्यादा नुकसान शेवचेन्कीव्स्की प्रांत को पहुंचा है जहां पांच मंजिला एक इमारत का एक हिस्सा ढह गया।
कीव के मेयर विताली क्लित्श्को ने बताया कि शेवचेन्कीव्स्की प्रांत में छह लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। एक गर्भवती महिला समेत 10 अन्य लोगों को एक नजदीकी ऊंची इमारत से बचाया गया। हमले में इस इमारत को भी काफी नुकसान पहुंचा है।
प्राधिकारियों ने बताया कि यूक्रेन के चेर्नीहीव प्रांत में रविवार देर रात रूस के छोटी दूरी के एक ड्रोन के हमले में दो लोगों की मौत हो गयी और 10 अन्य घायल हो गए। क्षेत्रीय प्रशासन प्रमुख वियाचेस्लाव चाउस के अनुसार, घायलों में तीन बच्चे भी शामिल हैं।
कीव से करीब 85 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में बिला त्सेरकवा शहर में एक व्यक्ति की मौत हुई और आठ अन्य घायल हुए हैं।
इस बीच, रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसकी वायु रक्षा प्रणाली ने रविवार रात से सोमवार तक 23 यूक्रेनी ड्रोन मार गिराए हैं।
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ईरान के फोर्दो स्थित भूमिगत यूरेनियम संवर्धन स्थल पर सोमवार को फिर से हमला किया गया और ईरान ने भी इजराइल पर मिसाइलों और ड्रोनों की बौछार कर दी।
साथ ही ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा ईरानी परमाणु स्थलों पर बड़े पैमाने पर किए गए हमलों के मद्देनजर अब उसकी सेना को अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने की ‘खुली छूट’ मिल गई है।
ईरान के सरकारी टेलीविजन ने बताया कि फोर्दो स्थित परमाणु केंद्र रविवार को हुए हमले में भी प्रभावित हुआ था और सोमवार को इस पर फिर से हमला किया गया। इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है कि हमला किसने किया और कितना नुकसान हुआ, हालांकि इजराइल ने पहले कहा था कि वह ईरान पर हवाई हमले कर रहा है।
वियना में, संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था के प्रमुख ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि रविवार को अमेरिका द्वारा बंकर-बस्टर बमों से किए गए हवाई हमले के बाद फोर्दो स्थित परमाणु केंद्र में भारी क्षति हुई होगी।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा, ‘‘उपयोग किए गए विस्फोटक पेलोड को देखते हुए ... बहुत अधिक क्षति ... होने की आशंका है।’’
रविवार को ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमलों के साथ, अमेरिका ने खुद को इजराइल के युद्ध में शामिल कर लिया, जिससे व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की आशंकाएं पैदा हो गईं।
ईरान ने कहा कि अमेरिका ने मिसाइलों और 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बमों से तीन स्थलों पर हमला करने के अपने जोखिम भरे कदम से ‘एक बहुत बड़ी वर्जित रेखा’ पार कर दी है।
इजराइल ने कहा कि उसकी रक्षा प्रणालियां नवीनतम ईरानी खतरे को रोकने के लिए काम कर रही थीं, जिसने जाहिर तौर पर देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्रों को निशाना बनाया। इजराइल ने लोगों को आश्रय स्थलों में जाने के लिए कहा।
ईरान के सरकारी टेलीविज़न के अनुसार, ईरान ने इस हमले को अपने ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस 3’ की नई लहर बताया और कहा कि यह इजराइली शहरों हाइफा और तेल अवीव को निशाना बना रहा था।
यरुशलम में भी विस्फोटों की आवाज सुनी गई। हालांकि, नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं है।
ईरान में, चश्मदीदों ने बताया कि दोपहर में ईरान की राजधानी तेहरान के आसपास के इलाकों में इजराइली हवाई हमले हुए। यह तुरंत स्पष्ट नहीं था कि किस चीज को निशाना बनाया गया था।
वियना में, ग्रॉसी ने कहा, ‘‘इस समय आईएईए सहित कोई भी, फोर्दो में भूमिगत क्षति का पूरी तरह से आकलन करने की स्थिति में नहीं है।’’
सोमवार को, ईरानी सैन्यकर्मियों के संयुक्त प्रमुख जनरल अब्दुलरहीम मौसवी ने वाशिंगटन को चेतावनी दी कि उसके हमलों ने ईरानी बलों को अमेरिकी हितों और उसकी सेना के खिलाफ कार्रवाई करने की ‘खुली छूट’ दे दी है।
पश्चिम एशिया में हजारों अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों - फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर रविवार को हुए हमले को एक बार में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करने वाला बताया, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर तेहरान जवाबी कार्रवाई करता है तो और भी हमले किये जाएंगे।
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने कहा कि मौसवी ने अमेरिकी हमले को ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन, देश में इजराइली युद्ध में प्रवेश करने और देश पर आक्रमण करने के समान बताया।
ईरान पर अमेरिकी हमलों के मद्देनजर, दुनिया भर से तनाव कम करने और संघर्ष को हल करने के लिए कूटनीति की ओर लौटने की मांग की जा रही है।
सोमवार को, यूरोपीय संघ की शीर्ष राजनयिक काजा कल्लास ने कहा कि समूह ‘कूटनीतिक समाधान पर बहुत अधिक केंद्रित है।’
ब्रसेल्स में विदेश मंत्रियों की बैठक की शुरुआत में उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिशोध और इस युद्ध के बढ़ने की चिंताएं बहुत बड़ी हैं।’’
इस बैठक में ईरान एजेंडे में सबसे ऊपर है।
ईरान इस बात पर जोर देता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल नागरिक उद्देश्यों के लिए है। उसने प्रतिबंधों में राहत के बदले में 2015 में अमेरिका, फ्रांस, चीन, रूस, ब्रिटेन और जर्मनी के साथ हुए समझौते के तहत अपने यूरेनियम संवर्धन को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को अपने परमाणु स्थलों तक पहुंच की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की थी।
लेकिन ट्रंप द्वारा अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका को एकतरफा तरीके से इस समझौते से बाहर निकालने के बाद, ईरान ने 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन करना शुरू कर दिया - जो कि हथियार-ग्रेड के 90 प्रतिशत के स्तर से एक मामूली तकनीकी कदम दूर है। उसने अपने परमाणु केंद्रों तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया।
ट्रंप जब सोमवार को यूरोपीय संघ में अपने समकक्षों के साथ बैठक के लिए ब्रसेल्स पहुंचे, तो जर्मन विदेश मंत्री ने ईरान से अमेरिका के साथ सीधी बातचीत के लिए फिर से सहमत होने का आह्वान किया, लेकिन कहा कि यूरोप को अब भी भूमिका निभानी है।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची सोमवार को मास्को में ईरान के प्रमुख सहयोगियों में से एक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर रहे हैं।
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पाकिस्तान के प्राधिकारों ने भारतीय विमानों के लिए हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध को एक और महीने के लिए बढ़ाने की सोमवार को घोषणा की।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के मद्देनजर यह प्रतिबंध पहले 23 अप्रैल को एक महीने के लिए लगाया गया था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
बाद में, इसे 23 मई को एक और महीने के लिए बढ़ा दिया गया था, जब चार दिनों के सैन्य टकराव के कारण संबंध खराब हो गए थे। भारत ने सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया था।
पाकिस्तान हवाई अड्डा प्राधिकरण द्वारा जारी ‘नोटम’ (नोटिस टू एयरमेन) के अनुसार, प्रतिबंध को 23 जून से बढ़ाकर 23 जुलाई तक कर दिया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र भारतीय विमानों और भारतीय एयरलाइंस/ऑपरेटर द्वारा संचालित/स्वामित्व वाले या पट्टे पर लिए गए विमानों के लिए उपलब्ध नहीं है, जिसमें सैन्य उड़ानें भी शामिल हैं।’’
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने आतंकी ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई की। दस मई को दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी। हालांकि, संघर्ष विराम जारी रहने के बावजूद द्विपक्षीय संबंधों में अभी तक सुधार नहीं हुआ है।
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