अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद को अस्थायी रूप से रद्द करने का ऐलान किया है। इस फैसले की वजह से अमेरिका फंडिंग से चल रही कई विकास परियोजनाएं रुक जाएंगी। जानकारी के अनुसार, अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने सभी वाणिज्य दूतावास और राजनयिक मिशनों को विदेशी सहायता कार्यक्रमों को तत्काल निलंबित करने का निर्देश दिया है, शुरुआत में कम से कम 90 दिनों की अवधि के लिए। सहायता निलंबन में यूक्रेन, ताइवान, जॉर्डन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों को दी जाने वाली प्रमुख अमेरिकी सहायता शामिल है।
पाकिस्तान सरकार के एक अधिकारी ने कहा, "पुनर्मूल्यांकन लंबित रहने तक पाकिस्तान के लिए सभी सहायता कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं। पुनर्मूल्यांकन प्रारंभिक 90-दिवसीय अवधि के बाद किया जा सकता है।" अमेरिकी पैसे से चल रहे कई विकास कार्यक्रमों में, सांस्कृतिक संरक्षण के लिए राजदूत फंड और पाकिस्तान के ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित कम से कम पांच अन्य प्रोजेक्ट सहित महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भी स्थगित हुई हैं। अमेरिका द्वारा वित्तपोषित अनेक विकास कार्यक्रमों में से, सांस्कृतिक संरक्षण के लिए राजदूत कोष तथा पाकिस्तान के ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित कम से कम पांच अन्य परियोजनाओं सहित महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भी निलंबित कर दिया गया है।
वरिष्ठ रणनीतिक विश्लेषक कामरान यूसुफ ने कहा, "यह पाकिस्तान के आर्थिक विकास ढांचे के संदर्भ में एक बड़ी घटना है। अमेरिका की तरफ से सहायता निलंबित करने से कम से कम चार आर्थिक विकास संबंधी कार्यक्रमों और पांच कृषि विकास परियोजनाओं पर भी सीधा प्रभाव पड़ेगा। यह एक बड़ा झटका है।" सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) के कार्यकारी निदेशक इम्तियाज गुल ने कहा, "अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि सहायता कार्यक्रम को निलंबित करने का फैसला अस्थायी है और इसका पुनर्मूल्यांकन और जांच की जाएगी लेकिन ट्रंप प्रशासन के सदस्य पाकिस्तान के वर्तमान नेतृत्व के लिए बहुत आलोचनात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। इससे पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता का पुनर्मूल्यांकन प्रभावित होगा।"
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कांगो की राजधानी में प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को रवांडा, फ्रांस और बेल्जियम सहित कई देशों के दूतावासों पर हमला किया। प्रदर्शनकारियों ने रवांडा समर्थित एम23 विद्रोहियों के देश के संघर्षग्रस्त पूर्वी हिस्से के एक प्रमुख शहर में आगे बढ़ने के विरोध स्वरूप हमले किए।घटनास्थल पर मौजूद एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकारों के अनुसार, पुलिस ने किंशासा में दूतावासों की ओर मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे। पत्रकारों के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने इमारतों के कुछ हिस्सों में या तो लूटपाट की या आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों ने केन्या और युगांडा के दूतावासों पर भी हमला किया।
एम23 विद्रोही उन लगभग 100 सशस्त्र समूहों में से एक हैं, जो इस खनिज-समृद्ध क्षेत्र में पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। कांगो के सुरक्षा बलों ने मंगलवार को रवांडा समर्थित विद्रोहियों का मुकाबला किया, जो दशकों से जारी संघर्ष में एक प्रमुख पूर्वी शहर में आगे बढ़े हैं। निवासियों ने 20 लाख की आबादी वाले शहर गोमा में रात भर गोलीबारी की सूचना दी, जिस पर विद्रोहियों ने सोमवार को कब्जा करने का दावा किया था। अब बंद हो चुके गोमा हवाई अड्डे के पास विस्फोट और गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं।
यह स्पष्ट नहीं है कि गोमा के कितने हिस्से पर विद्रोहियों का नियंत्रण है, जिन्होंने सोमवार को सुबह शहर में प्रवेश किया था, जिससे निवासियों में भय और उत्साह दोनों तरह का माहौल था।गोमा के निवासी सैम लुवावा ने कहा, ‘‘सुबह से ही हमने बम विस्फोट और गोलियों की आवाज सुनी है। अभी तक हम यह नहीं कह सकते कि शहर पर वास्तव में किसका नियंत्रण है।’’ दक्षिण अफ्रीकी रक्षा विभाग ने मंगलवार को कहा कि सोमवार को विद्रोहियों द्वारा गोमा हवाई अड्डे की ओर मोर्टार दागे जाने से तीन दक्षिण अफ्रीकी शांति सैनिकों की मौत हो गई, जबकि एक अन्य सैनिक की कुछ दिन पहले लड़ाई में लगी चोटों के कारण मृत्यु हो गई।
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सर्बिया के प्रधानमंत्री मिलोस वुसेविक ने कई सप्ताह से जारी भ्रष्टाचार विरोधी व्यापक विरोध प्रदर्शन के चलते मंगलवार को पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। उत्तरी शहर नोवी सैड में नवंबर में एक छज्जा ढहने के बाद देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी। छज्जा ढहने की घटना में 15 लोगों की मौत हो गई थी। प्रदर्शनों को सर्बिया के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर वुसिक के निरंकुश शासन के प्रति व्यापक असंतोष के रूप में देखा जा रहा। वुसिक सर्बिया में लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को कुचलने के आरोपों का सामना कर रहे हैं। वहीं, उन्होंने बाल्कन क्षेत्र के इस संकटग्रस्त राष्ट्र के लिए औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ की सदस्यता मांगी है।
वुसेविक ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके इस्तीफे का उद्देश्य सर्बिया में तनाव कम करना है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी से शांति बनाए रखने और बातचीत की मेज पर लौटने की अपील करता हूं।’’ वुसेविक ने कहा कि नोवी सैड के मेयर मिलन ज्यूरिक भी मंगलवार को पद छोड़ देंगे। वुसेविक के इस्तीफे से देश में संसदीय चुनाव समय से पहले होने की संभावना है। इस्तीफे पर सर्बिया की संसद से मंजूरी मिलनी चाहिए, जिसके पास नयी सरकार चुनने या मध्यावधि चुनाव कराने के लिए 30 दिन का समय है।
सोमवार को, सर्बिया की राजधानी में एक प्रमुख मार्ग के चौराहे की 24 घंटे की नाकाबंदी में विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ हजारों लोग शामिल हुए। छात्र कई हफ़्तों से प्रदर्शन कर रहे हैं, वे छज्जा गिरने की घटना के लिए जवाबदेही की मांग कर रहे हैं, जिसके लिए आलोचकों ने बड़े पैमाने पर सरकारी भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया है। तनाव कम करने के एक अन्य प्रयास में, वुसिक, वुसेविक और संसद अध्यक्ष एना ब्रनाबिक ने सोमवार शाम को छात्रों से बातचीत करने का आग्रह किया, जिन्हें न्याय और जवाबदेही की मांग को लेकर सर्बिया में सभी वर्गों से व्यापक समर्थन मिला है। सर्बिया के अभियोजनकर्ताओं ने एक मंत्री और कई सरकारी अधिकारियों सहित 13 लोगों के खिलाफ आरोप लगाए हैं। लेकिन, पूर्व निर्माण मंत्री गोरान वेसिक को हिरासत से रिहा कर दिया गया, जिससे जांच की स्वतंत्रता पर संदेह बढ़ गया है।
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इटली ने फिर से अपने विवादास्पद कार्यक्रम के तहत शरणार्थियों को अल्बानिया भेजना शुरू कर दिया है। यह कदम रोम के जजों की तरफ से स्थानांतरण के खिलाफ फैसला सुनाए जाने के कुछ महीने बाद उठाया गया है। रविवार को एक इतालवी नौसेना पोत ने 49 शरणार्थियों को अल्बानिया भेजा। यह कदम इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की प्रवासियों की संख्या को कम करने की योजना का हिस्सा है। यह योजना विवादास्पद है क्योंकि अल्बानिया यूरोपीय संघ (ईयू) का सदस्य नहीं है, जिससे शरणार्थियों को ईयू के शरण नियमों के तहत सुरक्षा नहीं मिलती।
आलोचकों का कहना है कि यह कार्यक्रम महंगा और अप्रभावी है, क्योंकि इसका खर्च 800 मिलियन यूरो (करीब 840 मिलियन अमेरिकी डॉलर) है और यह इटली में आने वाले सभी प्रवासियों का सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही कवर करेगा। 2024 में 66,000 से अधिक शरणार्थी इटली पहुंचे, जो पिछले साल के 158,000 से काफी कम हैं। अक्टूबर 2023 में इटली ने अल्बानिया में दो नए केंद्रों में प्रवासियों को स्थानांतरित करना शुरू किया। ये केंद्र शेंगजिन और जियाडे शहरों में स्थित हैं। इन केंद्रों में प्रवासियों को पहचान प्रक्रियाओं से गुजरना होगा जब तक कि उन्हें इटली अधिकारी उनके शरण अनुरोधों पर निर्णय नहीं ले लिया जाए।
इटली ने नवंबर 2023 में अल्बानिया के साथ एक पांच साल का समझौता किया, जिसके तहत इन केंद्रों में उन प्रवासियों को रखा जाएगा जिन्हें इतालवी नौसेना और तट रक्षक द्वारा भूमध्य सागर में बचाया गया है और जो इटली में शरण लेना चाहते हैं। इस योजना के तहत केवल उन प्रवासियों को भेजा जाएगा जिनके देश को इटली सुरक्षित मानता है, लेकिन नाबालिग, महिलाएं, बुजुर्ग और अन्य इससे बाहर रहेंगे।
इस योजना को लेकर घरेलू और यूरोपीय स्तर पर काफी विवाद है। वामपंथी राजनीतिक दल और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि अल्बानिया में शरणार्थियों के अधिकारों की पर्याप्त सुरक्षा नहीं की जाएगी। वहीं, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल इसे अनियमित प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए एक प्रभावी तरीका मानते हैं। इस परियोजना का संचालन इतालवी आंतरिक मंत्रालय करेगा, और केंद्रों में इटली के कर्मचारी काम करेंगे, जबकि अल्बानिया सुरक्षा प्रदान करेगा। अल्बानिया में प्रवासियों की संख्या 3,000 से अधिक नहीं होने दी जाएगी।
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तुर्की के आंतरिक मंत्री अली येरलिकाया ने मंगलवार को कहा कि पिछले सप्ताह में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के 100 संदिग्ध सदस्यों को हिरासत में लिया गया है। मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि 'गुर्ज-41' और 'गुर्ज-42' नामक अभियान राजधानी अंकारा और तुर्की के सबसे अधिक आबादी वाले शहर इस्तांबुल सहित 24 प्रांतों में चलाए गए। मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने पाया कि संदिग्ध संगठन के भीतर गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ग्रुप को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे थे और सोशल मीडिया पर आतंकवादी संगठन के लिए प्रचार कर रहे थे।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक येर्लिकाया ने कहा कि पुलिस ने छापेमारी के दौरान संगठनात्मक दस्तावेज और डिजिटल सामग्री जब्त की। तुर्की ने 2013 में आईएस को आतंकवादी संगठन घोषित किया था और देश में हुए कई घातक हमलों के लिए इसे जिम्मेदार ठहराया था। अंकारा ने इसके सदस्यों और गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए देश और विदेश में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं। इससे पहले पुलिस ने देश भर में ड्रग्स तस्करी विरोधी अभियान में 2,795 संदिग्धों को हिरासत में लिया। आंतरिक मंत्री अली येरलिकाया ने पिछले हफ्ते यह जानकारी दी।
येरलिकाया ने 23 जनवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अभियान का समय बताए बिना बताया कहा, 'नार्कोकापन-9' नामक अभियान में पुलिस ने एक टन से अधिक मादक पदार्थ और 13.8 मिलियन मादक गोलियां जब्त कीं। येरलिकाया ने बताया कि 77 तुर्की प्रांतों में चलाए गए अभियान में कुल 4,192 टीमें, 10,480 कर्मचारी, 47 यूएवी और हेलीकॉप्टर, 98 ड्रग्स खोजी कुत्तों ने हिस्सा लिया। एशिया और यूरोप के चौराहे पर स्थित तुर्की कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी से जूझ रहा है।
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