दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक योल का विरोध बढ़ता जा रहा है। नागरिक और श्रमिक समूहों ने बुधवार को पूरे देश में कैंडल मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया और विवादास्पद मार्शल लॉ की घोषणा के कारण यून के इस्तीफे की मांग की। बता दें राष्ट्रपति यून सुक-योल ने देश में मंगलवार रात मॉर्शल लॉ लगाने की घोषणा की थी। हालांकि बुधवार सुबह उन्हें अपना फैसला पलटना पड़ा।
योनहाप न्यूज एजेंसी के मुताबिक कोरियाई ट्रेड यूनियनों के महासंघ, पीपुल्स सॉलिडेरिटी फॉर पार्टिसिपेटरी डेमोक्रेसी और अन्य नागरिक समूहों ने सोल के डाउनटाउन में ग्वांगह्वामुन स्क्वायर पर एक विशाल कैंडल मार्च का आयोजन किया। विरोध-प्रदर्शन में लगभग 2,000 लोग शामिल हुए। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने इमरजेंसी मार्शल लॉ घोषित करने के लिए राष्ट्रपति यून की आलोचना की और उनके तत्काल इस्तीफे की मांग की। दक्षिण-पश्चिमी शहर ग्वांगजू में, शाम 7 बजे (स्थानीय समय) शुरू हुए यून विरोधी कैंडल मार्च में लगभग 1,000 लोग शामिल हुए। इसके आयोजकों ने कहा, इसी तरह की सभाएं सुन्चियन, योसु और दक्षिण जिओला प्रांत के अन्य शहरों में भी आयोजित की जाएंगी।
इस बीच विपक्षी दलों ने बुधवार को यून खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पेश किया। मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ रीबिल्डिंग कोरिया पार्टी और रिफॉर्म पार्टी सहित पांच अन्य छोटी विपक्षी पार्टियों ने प्रस्ताव पेश किया। महाभियोग प्रस्ताव पर 190 विपक्षी सांसदों और एक स्वतंत्र सांसद ने हस्ताक्षर किए। विपक्षी दलों की योजना इस प्रस्ताव को गुरुवार को संसद के पूर्ण अधिवेशन में प्रस्तुत करने और शुक्रवार या शनिवार को मतदान करने की है। कानून के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव को पूर्ण सत्र में प्रस्तुत किए जाने के 24 से 72 घंटों के भीतर मतदान के लिए रखा जाना चाहिए। रीबिल्डिंग कोरिया पार्टी के प्रतिनिधि शिन चांग-सिक ने कहा कि पार्टियों ने अभी तक यह फैसला नहीं लिया है कि मतदान 'तुरंत' किया जाएगा या '72 घंटों के भीतर' किसी अन्य समय पर। महाभियोग प्रस्ताव को संसद में पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ती है। 300 सदस्यीय नेशनल असेंबली में विपक्ष को विधेयक पारित करने के लिए सत्तारूढ़ पीपुल पावर पार्टी के आठ वोटों की जरूरत होगी।
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संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित दो प्रस्तावों को पारित किया। इनमें इजरायल से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों और सीरियाई गोलान से हट जाने को कहा और मध्य पूर्व में स्थायी शांति के लिए दो-राज्य समाधान को एकमात्र रास्ता बताया गया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, प्रस्ताव के पक्ष में 157, विपक्ष में 8 तथा सात मतों के बहिष्कार से पारित प्रस्ताव में महासभा ने मांग की कि इजरायल बस्तियां बसाने की सभी गतिविधियां बंद करे तथा कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में बसने के लिए आए लोगों को वहां से निकाले। दस्तावेज में 'अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार, इजरायल और फिलिस्तीन के दो-राज्य समाधान के लिए अटूट समर्थन' व्यक्त किया गया।
सभा ने एक अन्य प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें घोषणा की गई कि इजरायल 1981 के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 497 का अनुपालन करने में नाकाम रहा और कब्जे वाले सीरियाई गोलान पर उसका अधिकार क्षेत्र शून्य और अमान्य है। प्रस्ताव में इजरायल से सीरिया के कब्जे वाले गोलान से पूरी तरह हटने को कहा गया। यूएनजीए के अध्यक्ष फिलेमोन यांग ने बैठक में कहा, "बल प्रयोग या कब्जे से शांति और सुरक्षा कभी हासिल नहीं की जा सकती।" उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व में स्थायी शांति के लिए दो-राज्य समाधान ही एकमात्र रास्ता है। गाजा में तत्काल युद्ध विराम और सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हुए यांग ने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी लोग "एक बार और हमेशा के लिए कटुता को समाप्त कर दें।"
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बांग्लादेश में जुलाई-अगस्त में हुए छात्र आंदोलन के दौरान जेल से भागे कैदियों में से कम से कम 700 कैदी अब भी फरार हैं, जिनमें दोषी आतंकवादी और मौत की सजा पाए कैदी शामिल हैं। छात्र आंदोलन के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था।
जेल महानिरीक्षक ब्रिगेडियर जनरल सैयद मोहम्मद मोताहिर हुसैन ने कहा कि देश भर में लगभग 2,200 कैदी विभिन्न जेलों से भाग गए थे, जिनमें से 700 अब भी फरार हैं जबकि बाकी कैदी सजा काटने के लिए जेलों में वापस लौट गए हैं या उन्हें कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने दोबारा गिरफ्तार कर लिया है। हुसैन ने कहा, ‘‘लगभग 700 (फरार कैदियों) में से 70 चरमपंथी और मौत की सजा पाए अपराधी हैं।’’
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झारखंड सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने मलेशिया में महीनों से फंसे 50 श्रमिकों को वापस राज्य लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि मलेशिया की एक निर्माण कंपनी में काम करने वाले इन श्रमिकों के 11 से 18 दिसंबर के बीच राज्य लौटने की उम्मीद है। एक अधिकारी ने बताया, "उनकी सुरक्षित वापसी के लिए आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी कर ली गई है।"
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को 24 सितंबर को शिकायत मिली थी कि लगभग 70 श्रमिक मलेशिया में फंसे हुए हैं। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, शिकायत में श्रमिकों ने कहा कि उनका वेतन चार महीने से लंबित है और उन्हें भोजन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बयान में कहा गया कि जब यह मामला राज्य के मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया तो राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू थी, जिसके कारण उन्हें वापस लाने की प्रक्रिया में देरी हुई।राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी ने बताया, "मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब प्रक्रिया तेज कर दी गई है। 70 श्रमिकों में से 50 झारखंड के हैं, जबकि शेष 20 अन्य राज्यों के हैं।"
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ब्रिटेन सरकार ने बांग्लादेश के लिए जारी परामर्श को अद्यतन करते हुए ब्रिटिश नागरिकों को वहां की यात्रा करने को लेकर सचेत किया है। विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने बांग्लदेश लिए जारी परामर्श के सुरक्षा खंड की मंगलवार शाम समीक्षा की।अद्यतन परामर्श में “आवश्यक यात्रा” को छोड़कर किसी भी तरह की यात्रा करने के प्रति आगाह किया गया है। एफसीडीओ के यात्रा परामर्श में कहा गया, “बांग्लादेश में आतंकवादी हमले का प्रयास कर सकते हैं।”
परामर्श के अनुसार, “कई जगह आतंकवादी हमले होने की आशंका है, जिनमें वे स्थान भी शामिल हो सकते हैं, जहां विदेशी नागरिक जाते हैं, जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके, धार्मिक स्थल, (और) राजनीतिक रैलियां आदि। कुछ समूहों ने ऐसे लोगों को निशाना बनाया है जिनके बारे में उनका मानना है कि उनके विचार और जीवनशैली इस्लाम के विपरीत हैं।” परामर्श में कहा गया, “धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों और पुलिस व सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर हमले किए गए हैं। इनमें प्रमुख शहरों में आईईडी हमले शामिल हैं। बांग्लादेशी अधिकारी योजनाबद्ध हमलों को विफल करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।”
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