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दुनियाः जेलेंस्की का दावा- रूस के लिए लड़ रहे पाकिस्तान-चीन के भाड़े के सैनिक और पीएम मोदी करेंगे चीन की यात्रा

अमेरिका के मध्य कैलिफोर्निया के जंगल में लगी आग ने अब तक 82,000 एकड़ (लगभग 332 वर्ग किलोमीटर) से ज्यादा इलाके को अपनी चपेट में लिया है। यह आग पिछले पांच दिनों से भयानक रूप ले चुकी है और सैकड़ों इमारतों को खतरा बना हुआ है।

जेलेंस्की का दावा- रूस के लिए लड़ रहे पाकिस्तान-चीन के भाड़े के सैनिक और पीएम मोदी करेंगे चीन की यात्रा
जेलेंस्की का दावा- रूस के लिए लड़ रहे पाकिस्तान-चीन के भाड़े के सैनिक और पीएम मोदी करेंगे चीन की यात्रा फोटोः IANS

रूस के लिए लड़ रहे पाकिस्तान और चीन के भाड़े के सैनिकः जेलेंस्की

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि चीन और पाकिस्तान के 'भाड़े के सैनिक' रूसी सेना के साथ लड़ रहे हैं। जेलेंस्की का यह बयान वोवचांस्क दिशा में लड़ रहे यूक्रेनी सैनिकों से मुलाकात के बाद आया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के सैनिकों ने युद्ध में चीन, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों के भाड़े के सैनिकों की भागीदारी का उल्लेख किया है और जवाब देने की कसम खाई है। एक्स पर जेलेंस्की ने लिखा, "आज, मैं वोवचांस्क क्षेत्र में हमारे देश की रक्षा करने वालों के साथ था। हमने कमांडरों से अग्रिम मोर्चे की स्थिति, वोवचांस्क की रक्षा और युद्ध की गतिशीलता के बारे में बात की। इस क्षेत्र में हमारे सैनिक युद्ध में चीन, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों के भाड़े के सैनिकों की भागीदारी की सूचना दे रहे हैं। हम इसका जवाब देंगे।"

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने देश के लिए लड़ने वाले सैनिकों का आभार व्यक्त किया और उन्हें राजकीय पुरस्कार प्रदान किए। स्थानीय मीडिया प्लेटफॉर्म यूक्रिनफॉर्म के मुताबिक, 5 अगस्त को अग्रिम मोर्चे पर रूस और यूक्रेन की सेनाओं के बीच कुल 143 मुठभेड़ हुईं, सबसे भीषण लड़ाई पोक्रोवस्क सेक्टर में हुई। यूक्रेनी सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ ने 6 अगस्त की सुबह 8 बजे तक की ऑपरेशनल अपडेट साझा की। जनरल स्टाफ के बयान के अनुसार, रूसी सेना ने यूक्रेनी सेना और आबादी वाले इलाकों पर दो मिसाइल हमले और 107 हवाई हमले किए, जिनमें दो मिसाइलों और 147 बमों का इस्तेमाल किया। रूस के हमलों के जवाब में, यूक्रेनी विमानों, मिसाइलों और तोपखाने ने 14 रूसी ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें दो तोपखाने प्रणालियां, दुश्मन सैनिकों, हथियारों और उपकरणों के आठ क्षेत्र और चार कमांड पोस्ट शामिल थे।

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पीएम मोदी जाएंगे चीन, SCO शिखर सम्मेलन में होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस माह के अंत में चीन की यात्रा पर जाएंगे, जहां वे 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह प्रधानमंत्री मोदी की 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद पहली चीन यात्रा होगी, जिसने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले 2019 में चीन गए थे। उन्होंने 2024 में रूस के कजान शहर में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी की थी।

गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में यह पहली महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है। भारत और चीन के बीच लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर हुए समझौते के बाद यह ब्रेकथ्रू संभव हुआ है, जिसने चार साल से चले आ रहे सीमा गतिरोध को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। जुलाई में विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी तियानजिन में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने चीन गए थे। इस दौरान उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय चर्चा की थी और अन्य एससीओ विदेश मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की थी।

इससे पहले जून में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने चीन गए थे। भारत ने आतंकवाद से जुड़े मुद्दों को अंतिम घोषणा पत्र में शामिल न किए जाने पर उसे समर्थन नहीं देने का फैसला किया था। इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने बीजिंग में एससीओ सदस्य देशों की सुरक्षा परिषद के सचिवों की 20वीं बैठक में भाग लिया था। गौरतलब है कि एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई में हुई थी। इसके सदस्य देशों में भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस शामिल हैं।

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पाकिस्तान: इमरान की रिहाई को लेकर 14 अगस्त को प्रदर्शन

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के वरिष्ठ नेता असद कैसर ने घोषणा की है कि पार्टी अपने संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आंदोलन के दूसरे चरण की शुरुआत करेगी। स्वाब में इमरान खान की गिरफ्तारी के एक साल पूरा होने पर आयोजित एक रैली के दौरान कैसर ने कहा, “हमारा विरोध आंदोलन अब दूसरे चरण में प्रवेश करेगा, जिसकी शुरुआत 14 अगस्त को होगी। इसके बाद हम सिंध की ओर बढ़ेंगे।”

इस बीच, पंजाब और अन्य प्रांतों में विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस ने पीटीआई के 240 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। लाहौर में सड़कों को अवरुद्ध करने और कानून-व्यवस्था को खतरे में डालने के आरोप में कम से कम 122 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, जबकि अन्य को रातभर की छापेमारी के दौरान पकड़ा गया। पीटीआई प्रवक्ता जुल्फिकार बुखारी ने दावा किया कि अकेले लाहौर से 200 से ज्यादा पार्टी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने पार्टी के कुछ सांसदों को भी गिरफ्तार किया था, जिन्हें बाद में शाम को रिहा कर दिया गया।

पंजाब पुलिस के अनुसार, डिप्टी विपक्ष नेता मोइन रियाज़ कुरैशी, सांसद शोएब आमिर, इकबाल खट्टक, फर्रुख जावेद मून, ख़्वाजा सलाहुद्दीन और अमानुल्लाह खान को गिरफ्तार कर रिहा किया गया। इमरान खान की जेल अदियाला में सुरक्षा कड़ी करते हुए इस्लामाबाद और रावलपिंडी में धारा 144 लागू कर दी गई है, जिसके तहत अवैध सभाओं और बड़े जमावड़ों पर रोक लगाई गई है। पेशावर में मंगलवार को एक रैली के दौरान खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा कि लोग इमरान खान के आह्वान पर सड़कों पर उतर चुके हैं और अब यह विरोध प्रतिदिन होगा। उन्होंने कहा, “13 और 14 अगस्त को पार्टी नेतृत्व की ओर से आगे की रणनीति घोषित की जाएगी। हम देश में संविधान और कानून की सर्वोच्चता चाहते हैं और पीटीआई संस्थापक की रिहाई।”

इस विरोध की गूंज पाकिस्तान से बाहर भी सुनाई दी। अमेरिका के डलास शहर में प्रवासी पाकिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें पूर्व डिप्टी नेशनल असेंबली स्पीकर कासिम खान सूरी ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इमरान खान को सत्ता प्रतिष्ठान को चुनौती देने की सजा दी जा रही है। सूरी ने यह भी दोहराया कि 2024 के आम चुनावों में जनता का जनादेश चुराया गया और पीटीआई को राजनीतिक प्रतिशोध का निशाना बनाया जा रहा है।

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सूडानः अल फशर शहर में लोग पशुओं का चारा खाने को मजबूर

सूडान के अल फशर शहर में भुखमरी का सामना कर रहे परिवारों तक सहायता पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादियों ने सूडान में युद्ध विराम पर जोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के कार्यालय (ओसीएचए) ने मंगलवार को कहा कि वह बड़े पैमाने पर सहायता पहुंचाने के लिए क्षेत्र में जारी हिंसक संघर्ष में ढील चाहता है। ओसीएचए के मुताबिक अल फशर शहर में छिटपुट गोलाबारी जारी है और स्थिति बेहद गंभीर है। सामान्य नागरिक सशस्त्र समूहों के बीच हालिया झड़पों का खामियाजा भुगत रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के अवर महासचिव टॉम फ्लेचर ने कहा कि उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी अल फशर में भुखमरी का खतरा बढ़ रहा है। ओसीएचए कार्यालय ने कहा, "सूडान में मानवीय जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। सहायता के लिए हम दानदाताओं से आर्थिक मदद बढ़ाने का आग्रह करते हैं।"

सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, "अल फशर में असुरक्षा, बीमारी, भूख, बाढ़ और विस्थापन के कारण मानवीय जरूरतें बढ़ रही हैं।" विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने कहा कि व्यापार मार्ग बंद होने और अल फशर में आपूर्ति लाइनें अवरुद्ध होने के कारण, पारंपरिक रोटी और दलिया बनाने में इस्तेमाल होने वाले ज्वार और गेहूं जैसे बुनियादी खाद्य पदार्थों की कीमत शहर में सूडान के बाकी हिस्सों की तुलना में 460 प्रतिशत तक अधिक हो गई है। डब्ल्यूएफपी ने कहा कि युद्ध के दौरान भूखे लोगों को गर्म भोजन उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय समूहों द्वारा स्थापित बहुत कम सामुदायिक रसोई अभी भी काम कर रही हैं। इसके बावजूद कुछ परिवार जीवित रहने के लिए पशुओं का चारा और खाद्य अपशिष्ट खा रहे हैं।

एजेंसी के मुताबिक शहर में हिंसा, लूटपाट और यौन उत्पीड़न की घटना में वृद्धि हुई है। इसका बड़ा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। अध्ययन से पता चलता है कि महिला-प्रधान परिवारों को पुरुष-प्रधान परिवारों की तुलना में गंभीर खाद्य असुरक्षा का तीन गुना अधिक जोखिम होता है। महिला-प्रधान परिवारों में से तीन-चौथाई बुनियादी खाद्य जरूरतें पूरी नहीं कर पाती हैं। केवल 1.9 प्रतिशत को ही भोजन उपलब्ध हो पाता है, जबकि पुरुष-प्रधान परिवारों में यह संख्या 5.9 प्रतिशत है। अध्ययन यह भी दर्शाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर 73 प्रतिशत महिलाएं न्यूनतम आहार जरूरतों का पालन नहीं करती हैं, जिससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को खतरा है।

ओसीएचए ने कहा कि दारफुर क्षेत्र में हैजा का प्रसार जारी है। सिर्फ उत्तरी दारफुर में जून के अंत से 3,600 से अधिक मामलों की सूचना है। दक्षिणी दारफुर में, 1,200 से अधिक संदिग्ध मामले और 69 मौतें दर्ज की गई हैं। स्वच्छ जल, स्वच्छता और चिकित्सा आपूर्ति की सीमित पहुंच इस संकट को और बढ़ा रही है। इसलिए आंकड़ों की वास्तविकता इससे ज्यादा हो सकती है। ओसीएचए ने कहा, "हालिया सर्वेक्षणों से पता चलता है कि उत्तरी दारफुर के सर्वे किए गए क्षेत्रों में वैश्विक तीव्र कुपोषण दर आपातकालीन सीमा से ऊपर है। यह मेलिट इलाके में 34 प्रतिशत और अत तवाइशा में लगभग 30 प्रतिशत तक पहुंच गई है।" संयुक्त राष्ट्र और मानवता के क्षेत्र में उसके साथ काम करने वाली संस्थाएं अल फशर के बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सीय सेवाओं का विस्तार कर रही हैं। लेकिन, इसके लिए उन्हें तत्काल धन की आवश्यकता है।

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कैलिफोर्निया के जंगलों में भीषण आग, सैकड़ों इमारतों पर मंडरा रहा खतरा

अमेरिका के मध्य कैलिफोर्निया के जंगल में लगी आग ने अब तक 82,000 एकड़ (लगभग 332 वर्ग किलोमीटर) से ज्यादा इलाके को अपनी चपेट में लिया है। यह आग पिछले पांच दिनों से भयानक रूप ले चुकी है और सैकड़ों इमारतों को खतरा बना हुआ है। अमेरिकी वन सेवा और कैलिफोर्निया के वानिकी व अग्नि सुरक्षा विभाग के अनुसार, ‘गिफोर्ड फायर’ नाम की यह जंगल की आग शुक्रवार दोपहर उस समय भड़क उठी, जब कैलिफोर्निया हाईवे के पास चार अलग-अलग जगहों पर आग लग गई और उन्होंने मिलकर एक विकराल आग का रूप धारण कर लिया। यह आग अब सैन लुइस ओबिस्पो और सांता बारबरा काउंटी में सांता लूसिया रोड के पास फैल रही है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि आग की चपेट में आने से 870 से ज्यादा इमारतें खतरे में हैं। मंगलवार सुबह तक इस आग पर सिर्फ 7 प्रतिशत ही काबू पाया जा सका है।

आग की वजह से सांता बारबरा और सैन लुइस ओबिस्पो के लोगों को अपने घर खाली करने का आदेश दिया गया है। अमेरिकी वन सेवा के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए चेतावनी दी कि आग के अनियमित फैलाव के कारण लोगों को अपने इलाके की बदलती स्थिति पर ध्यान रखना चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि इलाके में गर्मी और सूखा मौसम बुधवार से सप्ताह के अंत तक बना रह सकता है, इसलिए आग पर काबू पाने के लिए दमकलकर्मी उत्तर और दक्षिण दिशा में लगातार प्रयास करते रहेंगे। इंसीवेब (अमेरिकी एजेंसी की आपात स्थिति प्रबंधन प्रणाली) के अनुसार, आग बुझाने के लिए 1,900 से ज्यादा दमकलकर्मी तैनात किए गए हैं। इसके अलावा 40 हैंड क्रू, 115 फायर इंजन, 23 बुलडोज़र और 30 पानी के टैंकर भी लगाए गए हैं। इन्हें हवाई टैंकरों और हेलीकॉप्टरों की मदद भी मिल रही है।

सांता बारबरा काउंटी अग्निशमन विभाग के प्रवक्ता कैप्टन स्कॉट सेफचुक ने बताया कि आग ऊंची और खड़ी ढलानों पर फैल रही है और इससे बहुत ज्यादा धुआं उठ रहा है। सेफचुक ने कहा, "आग का ज्यादातर हिस्सा ऐसे दुर्गम इलाकों में है, जहां बुलडोज़र भी नहीं पहुंच सकते।" उन्होंने बताया कि आग बुझाने के लिए अब विमानों की भी मदद ली जा रही है। राष्ट्रीय मौसम सेवा के लॉस एंजिल्स कार्यालय ने बताया कि यह धुआं दक्षिण-पश्चिम कैलिफोर्निया के कुछ हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। जंगल की आग से उठने वाला धुआं स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है और इसके दक्षिण और पूर्व की ओर फैलने की आशंका है।

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