केंद्र सरकार द्वारा देश के आयुध कारखानों को निगमों में तब्दील करने के फैसले के खिलाफ अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने जनमत संग्रह आयोजित करने का अभियान शुरू किया है। मंगलवार को पहले जनमत संग्रह में 100 फीसदी कर्मचारियों ने केंद्र के फैसले को गलत बताया। यह जनमत संग्रह 41 आयुध कारखानों में किया जाना है, जिसमें पहले दिन ओसीएफ आवडी और ईएफ आवडी में जनमत संग्रह आयोजित हुआ है।
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एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा कि ओसीएफ आवडी में हुए जनमत संग्रह में कुल 1584 कर्मचारियों में से 1542 कर्मियों ने भाग लिया। सभी ने आयुध कारखानों को निगमों में तब्दील करने का विरोध किया है। सभी ने केंद्र सरकार के इस फैसले को गलत बताया है। वहीं ईएफ आवडी में काम करने वाले 1217 कर्मचारियों में से 964 कर्मियों ने जनमत संग्रह में भाग लिया। और यहां भी 957 कर्मियों ने कारखानों को निगम में बदलने के खिलाफ मतदान किया।
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अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि सरकार की लंबे समय से इन कारखानों पर नजर थी। सरकार के फैसले से निजी कंपनियां और विदेशी हथियार निर्माता बहुत खुश हैं। इस वजह ये है कि ये कंपनियां 41 आयुध कारखानों से मुकाबला नहीं कर पा रही थीं। सरकार का यह कदम भारतीय रक्षा के रणनीतिक कौशल और प्रबंधन के साथ खिलवाड़ है। श्रीकुमार वे कहा सेना के लिए केंद्र सरकार का यह फैसला एक भ्रामक कदम साबित होगा।
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बता दें कि मोदी सरकार ने केंद्रीय कैबिनेट की 16 जून को हुई बैठक में देश में 220 साल पुराने आयुध कारखानों को सात कंपनियों में विभाजित करने का फैसला लिया था। ये वही कारखाने हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध, बांग्लादेश के लिब्रेशन वॉर, कारगिल की जंग और लद्दाख में हुई झड़पों में भारतीय सेना को हथियारों के साथ साजो-सामान उपलब्ध कराया है।
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