संसद की कार्यवाही बाधित करने के आरोप में मंगलवार को राज्यसभा से 19 विपक्षी सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया। इन 19 सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के 7, डीएमके के 6, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 3, सीपीएम के 2 और सीपीआई के एक सांसद शामिल हैं। निलंबित सांसदों ने आरोप लगाया कि हम केवल मंहगाई पर चर्चा करना चाहते थे। सरकार चर्चा होने ही नहीं देना चाहती, इसीलिए हमें निलंबित कर दिया गया। हम संसद के बाहर इसका विरोध करेंगे।
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तृणमूल कांग्रेस के निलंबित राज्यसभा सदस्यों में सुष्मिता देव, मौसम नूर, शांता छेत्री, डोला सेन, शांतनु सेन, अबीर रंजन बिस्वास और नादियमल हक शामिल हैं। डीएमके के छह निलंबित सदस्यों में कनिमोझी एन. वी. एन सोमू, एम. षणमुगम, एम. मोहम्मद अब्दुल्ला, एस. कल्याणसुंदरम, आर. गिरिराजन और एन. आर. एलंगो शामिल हैं। अन्य निलंबित सदस्यों में टीआरएस के बी. लिंगैया यादव, रविचंद्र वद्दीराजू और दामोदर राव दिवाकोंडा, माकपा के वी. शिवदासन और ए. ए. रहीम और सीपीआई के संदोश कुमार शामिल हैं।
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राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सदस्यों को सदन और अध्यक्ष के अधिकार की पूर्ण अवहेलना करने के लिए निलंबित कर दिया गया है। सभापीठ ने निलंबित सदस्यों को सदन छोड़ने के लिए कहा, लेकिन वे वेल में विरोध करते रहे, जिसके कारण दो बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद भी विपक्षी सांसदों का विरोध जारी रहने के कारण अंततः सदन को दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा।
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इससे पहले संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया और जब प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया तो उपसभापति हरिवंश ने उन 19 सदस्यों के नाम पढ़कर सुनाए जिन्हें सप्ताह के बाकी दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। कार्यवाही पहले 15 मिनट के लिए स्थगित की गई और फिर एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई, क्योंकि निलंबित सदस्यों ने सदन से जाने से इनकार कर दिया था।
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इसके बावजूद सदन में हंगामा होता रहा, जिसके चलते सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। अब बुधवार को पूर्वाह्न् 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होगी। मानसून सत्र शुरू होने के बाद से महंगाई, बढ़ी हुई जीएसटी दरों और अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी सदस्य सदन में लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन सरकार चर्चा कराने के लिए तैयार नहीं है।
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