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केंद्रीय मंत्री गडकरी पर 1330 शेयरधारकों से धोखाधड़ी का आरोप, संघ प्रमुख और महाराष्ट्र सीएम फड़णवीस का भी नाम

यह मामला एक सोसाइटी और उसको आवंटित प्लॉट से जुड़ा है। इसमें आरोप लगाया गया है कि संस्थापक नितिन गडकरी ने इसके शेयरधारकों को कथित तौर पर धोखा दिया है। नितिन गडकरी के प्रमोटरशिप में इसमें कुल 1330 लोग शेयर धारक थे, जिसमें याचिका दायर करने वाले भगवानदास राठी भी एक शेयर धारक थे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी

नागपुर स्थित चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में एक याचिका दायर की गयी है जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उनके बेटों पर धोखाधड़ी, फ्राड और 420 का आरोप लगाया गया है। 7 अगस्त, 2018 को पेश इस याचिका में अदालत से इनके समेत कई दूसरे लोगों के खिलाफ इससे जुड़ी विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर मुकदमा चलाने की मांग की गयी है। याचिका को 72 वर्षीय भगवादास राठी और 62 वर्षीय अजय नाम के दो व्यक्तियों ने दायर किया है।

मामला एक सोसाइटी और उसको आवंटित प्लॉट से जुड़ा है। इसमें आरोप लगाया गया है कि संस्थापक नितिन गडकरी ने इसके शेयरधारकों को कथित तौर पर धोखा दिया है। 1988 में पोलीसैक इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के नाम से एक सोसाइटी गठित की गयी। नितिन गडकरी के प्रमोटरशिप में इसमें कुल 1330 लोग शेयर धारक थे, जिसमें याचिका दायर करने वाले भगवानदास राठी भी एक शेयर धारक थे।

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

इस बीच महाराष्ट्र सरकार द्वारा सोसाइटी को 24.77 लाख रुपये दिए गए। याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र सरकार भी इस सोसाइटी का एक शेयर होल्डर बन गयी। इसी क्रम में सोसाइटी को महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमआईडीसी) की ओर से 4950 वर्ग मीटर का प्लाट 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से एलाट कर दिया गया। जिसका एक रुपये प्रतिवर्ग मीटर के हिसाब से सालाना किराया था।

याचिकाकर्ताओं ने शेयरधारकों की जो सूची संलग्न की है उसमें आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत का नाम भी सोसाइटी के शेयरधारकों में शामिल है। साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और उनके भाई का नाम भी इस सोसाइटी के शेयरधारकों में है।

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

भगवान दास राठी की याचिका के मुताबिक 2003 के बाद सोसाइटी ने काम करना बंद कर दिया। 23 सितंबर 2016 को भगवान दास ने एक आरटीआई डालकर सोसाइटी की स्थिति के बारे में एमआईडीसी से जानकारी चाही। जिसमें पता चला कि 2012 में सोसाइटी के प्लाट को पूर्ति सोलर सिस्टम प्राइवेट, लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पूर्ति सोलर सिस्टम नितिन गडकरी की निजी कंपनी है। आरोप है कि इसी प्लाट को गिरवी रखकर सारस्वत बैंक से मेसर्स जीएमटी माइनिंग एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए 42.83 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया जाता है। याचिकाकर्ता के मुताबिक जीएमटी के मालिकान में नितिन गडकरी के दोनों बेटे निखिल एन गडकरी और सारंग एन गडकरी शामिल हैं।

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

इस सिलसिले में भगवान दास राठी ने रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी के पास आरटीआई डालकर जानकारी मांगी। इसके जवाब में उन्हें 8 मार्च 2017 को बताया गया कि “प्लाट नंबर जे-17, एमआईडीसी, हिंग्ना नागपुर के ट्रांसफर या फिर उसके सारस्वत कोआपरेटिव बैंक, नागपुर को गिरवी रखे जाने की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।”

इसके अलावा उसमें बताया गया कि सोसाइटी के पास प्लाट की कीमत को जमा करने की सूचना नहीं है और कोआपरेटिव सोसाइटी से किसी तरह की अनुमति भी नहीं ली गयी।

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

भगवान दास के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट डिप्टी रजिस्ट्रार ने 19 अक्टूबर 2016 को उन्हें बताया था कि कोआपरेटिव सोसाइटी से जुड़ी फैक्ट्री मार्च 2003 में ही बंद हो गयी थी। 31 मार्च 2003 के बाद सोसाइटी की कोई वार्षिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा सोसाइटी द्वारा इकट्ठा की गयी 24.77 लाख रुपये की भी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।

इसके पहले भगवानदास राठी ने आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू में की गयी अपनी शिकायत में उन्होंने कहा था कि ऊपर की स्थितियों को देखते हुए ये साफ तौर पर कहा जा सकता है कि उनके जैसे शेयरधारकों के साथ धोखाधड़ी की गयी है। इसके साथ ही प्लाट को पूर्ती सोलर सिस्टम को ट्रांसफर करने से पहले सरकार की अनुमति का न लिया जाना भी उसी श्रेणी में आता है।

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

भगवान दास का कहना है कि एक दूसरी कंपनी जीएमटी माइनिंग एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड को सारस्वत बैंक द्वारा तकरीबन 43 करोड़ रुपये दे दिए जाते हैं। और ये सब कुछ लेन-देन सोसाइटी के आम सदस्यों के बगैर लेन-देन के होती है। उन्होंने कहा कि गडकरी और उनके परिवार ने मिलकर न केवल धोखाधड़ी और चीटिंग की बल्कि एक बड़ी राशि को वो हजम भी कर गए।

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

याचिका में कहा गया है कि न ही शेयरधारकों को सूचित किया गया और न ही कोई जनरल बाडी मीटिंग बुलाई गयी। यहां तक कि कोआपरेटिव सोसाइटी के डिप्टी रजिस्ट्रार से कोई अनुमति भी लेना जरूरी नहीं समझा गया और 4950 वर्ग मीटर का प्लाट अवैध तरीके से पूर्ति सोलर सिस्टम और उसकी सहयोगी कंपनी जीएमटी माइनिंग एंड पावर लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया गया। इसके साथ ही टांसफर से पहले लोन हासिल कर लिया गया। जिसे सारस्वत बैंक के डायरेक्टर ने बगैर रिकार्डों की जांच किए 42.83 करोड़ रुपये जीएमटी माइनिंग एंड पावर लिमिटेड के मालिकानों को दे दिया।

भगवान दास का कहना है कि पूरी लेन-देन नितिन गडकरी की देख-रेख में हुई। और ये सब कुछ उन्हीं के प्रभाव में किया गया।

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

भगवान दास ने बताया कि आरटीआई के जरिये सारे दस्तावेज इकट्ठा कर उन्होंने इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू यानी आर्थिक अपराध शाखा से की थी। हालांकि याचिका में दर्ज तमाम लोगों के खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला बनता है लेकिन ईओडब्ल्यू ने बजाय इस जिम्मेदारी को पूरा करने के, उसने मामले को कोआपरेटिव सोसाइटी के डिप्टी रजिस्ट्रार के पास भेज दिया। 20.12.2017 को भेजी गयी इस रिपोर्ट में ईओडब्ल्यू ने रजिस्ट्रार से उनके विभाग का मामला बताकर उन्हें सौंप दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

भगवान दास का कहना था कि जब उन्हें लगा कि बैंक के अधिकारी और ईओडब्ल्यू अफसर मामले की जांच करने की जगह उसे रफा-दफा करने की कोशिश कर रहे हैं। तब उन्होंने उनके खिलाफ ही कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। जिसके तहत उन्होंने किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अनुमति लेने से संबंधित सीआरपीसी के सेक्शन 197 के तहत सरकार के संबंधित महकमे में आवेदन तक कर दिया। और उसकी कापी कोआपरेटिव सोसाइटी और विभिन्न संबंधित विभागों के पास भेज दी।

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

फोटो सौजन्य भगवान दास राठी

नेशनल हेरल्ड ने इस खबर से संबंधित कुछ सवाल नितिन गडकरी को प्रतिक्रिया के लिए भेजे हैं।

  • क्या आपको कोर्ट से कोई सूचना मिली है?
  • अगर हां, तो आपने कोर्ट को कोई प्रतिक्रिया भेजी है?
  • क्या आप याचिका में अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से इंकार करेंगे?
  • अगर हां, तो क्यों 2003 से शेयरधारकों की कोई बैठक नहीं हुई?
  • क्या आपने प्लॉट को गिरवी रखने से पहले शेयरधारकों से कोई सलाह-मशविरा किया था, जिसका याचिका में आरोप लगाया गया है?
  • क्या को-ऑपरेटिव में महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इसके शेयरधारक हैं?
  • क्या आपने प्लॉट को गिरवी रखने से पहले भागवत जी और फडणवीस जी से सलाह-मशविरा किया?
  • याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार की मदद से आपने साक्ष्यों को नष्ट कर दिया। आपकी इस आरोप पर क्या प्रतिक्रिया है?

जैसे ही उनका जवाब आएगा, इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा

Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST

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Published: 31 Aug 2018, 7:59 PM IST