कांग्रेस ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमान जेएफ-17 के लिए रूस द्वारा इंजन की आपूर्ति किए जाने संबंधी खबरों का हवाला देते हुए शनिवार को कहा कि यह मोदी सरकार की कूटनीति की विफलता है और उसे देश को यह बताना चाहिए कि भारत का एक भरोसेमंद साथी रूस, पाकिस्तान को सैन्य सहयोग क्यों दे रहा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने उन खबरों का हवाला दिया जिनमें कहा गया है कि रूस जेएफ-17 लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत आरडी-93एमए इंजन की आपूर्ति कर रहा है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “मोदी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि रूस, जो कभी भारत का सबसे भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार रहा है, उसने भारत की तमाम अपील को नजरअंदाज करते हुए पाकिस्तान के चीनी निर्मित जेएफ-17 लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत आरडी-93एमए इंजन की आपूर्ति क्यों शुरू कर दी।”
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उन्होंने कहा, “इस विमान का नवीनतम ब्लॉक-3 संस्करण इसी उन्नत इंजन और उन पीएल-15 मिसाइलों से लैस होगा, जिसके बारे में माना जाता है कि पाकिस्तान ने इसका इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के खिलाफ किया था। भारत के वायु सेना प्रमुख ने कहा है कि जेएफ-17 उन पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों में शामिल हो सकता है जिन्हें भारतीय वायु सेना ने इस साल मई में मार गिराया था।”
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जयराम रमेश ने कहा, “मीडिया में आई कई खबरों के अनुसार, यह सौदा जून 2025 में विदेश मंत्री एस जयशंकर के सीधे हस्तक्षेप के बावजूद आगे बढ़ रहा है। उनका कहना है कि ऐसे में सरकार को देश को बताना चाहिए कि आखिर क्यों रूस जैसा पुराना और भरोसेमंद सहयोगी अब पाकिस्तान को सैन्य सहयोग दे रहा है, जबकि भारत अब भी रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है और सुखोई-57 स्टेल्थ लड़ाकू विमानों पर बातचीत कर रहा है।
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जयराम रमेश ने दावा किया कि यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री मोदी की उस व्यक्तिगत कूटनीति की एक और नाकामी को उजागर करता है, जो राष्ट्रीय हितों से अधिक छवि निर्माण और वैश्विक तमाशे को प्राथमिकता देती रही है। उन्होंने कहा, “वर्षों से चले आ रहे उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलन, सुनियोजित फोटो के अवसर और विश्व मंच पर दिखावे के बावजूद कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं।”
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कांग्रेस नेता ने कहा, “भारत अब तक पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने में नाकाम रहा है। इसके बजाय, पाकिस्तान का शीर्ष नेतृत्व- जिसमें उसका सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर भी शामिल है, जिसे पहलगाम हमले का सूत्रधार माना जाता है- आज राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सम्मान पा रहा है। पाकिस्तान को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं, जबकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसे चीन का पूरा समर्थन प्राप्त था।”
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