गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत पिछले दिनों 15 अगस्त को बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया था। इस फैसले से पूरा देश सकते में है। वहीं विपक्ष भी लगातार बीजेपी और गुजरात सरकार को घेर रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इस मामले में गुरुवार को सुनवाई भी हुई है।
दूसरी ओर IIM बैंगलोर के फैकल्टी और स्टाफ ने सीजेआई एनवी रमण को खत लिखकर गैंगरेप की पीड़िता बिलकिस बानों के लिए न्याय की मांग की है।
सीजेआई को लिखे पत्र में प्रीमियर बिजनेस स्कूल के वरिष्ठ संकाय सदस्यों सहित 54 हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि छूट न केवल न्याय से इनकार है, बल्कि "बिलकिस बानो और उनके परिवार के लिए एक वास्तविक और तत्काल खतरा भी प्रस्तुत करती है।" उन्होंने पत्र में लिखा है कि इन दोषियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार चौंकाने वाला है। हम किस तरह के राष्ट्र में बदल रहे हैं।
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बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूरे मामले पर जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने दोषियों को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं। इस मामले पर अब दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी। दरअसल, गुजरात सरकार ने 15 अगस्त को बिलकिस बानो मामले के सभी 11 दोषियों को अपनी रिहाई नीति के तहत रिहा कर दिया था।
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बता दें कि साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इतना ही नहीं बिलकिस की बेटी समेत उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर भी कर दी गई थी। बिलकिस ने मामले की सुनवाई गुजरात से बाहर करने की अपील की थी। जिसके बाद इस केस को मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था। कई सालों की सुनवाई के बाद 2008 में मुंबई की एक विशेष अदालत ने गैंगरेप और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसमें से एक मुकद्दमे के दौरान मर गए और 11 लोगों को जेल भेजा गया था। लेकिन गुजरात सरकार ने 15 अगस्त को सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।
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