मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में तीखे तेवर अपनाते हुए जम्मू कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को आतंकवादी गतिविधियों से जोड़ने के चलन की कड़ी आलोचना की और कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद के माध्यम से क्षेत्र के राज्य के दर्जे के फैसले पर असर डालने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
अब्दुल्ला ने यह बयान उच्चतम न्यायालय की उस टिप्पणी के एक दिन बाद दिया है, जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किए जाने का निर्णय लेते वक्त क्षेत्र में ‘‘जमीनी हकीकत’’ पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि ‘‘पहलगाम जैसी घटनाएं’’ नजरअंदाज नहीं की जा सकतीं।
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जम्मू-कश्मीर का स्वतंत्रता दिवस समारोह यहां बख्शी स्टेडियम में आयोजित किया गया। उच्चतम न्यायालय में पहलगाम का जिक्र किए जाने को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘क्या पहलगाम के हत्यारे और पड़ोसी मुल्क में बैठे उनके आका तय करेंगे कि हमें राज्य का दर्जा मिलेगा या नहीं?
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी हम राज्य के दर्जे के करीब होंगे, वे कुछ न कुछ करेंगे ताकि उसे नाकाम किया जा सके। क्या यह न्याय है? हमें उस अपराध की सजा क्यों दी जा रही है, जिसमें हमारा कोई हाथ नहीं है?’’
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अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग खुद ‘‘कठुआ से कुपवाड़ा तक’’ पहलगाम हमले के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज हमें पहलगाम हमले की सजा दी जा रही है।’’
22 अप्रैल 2025 को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
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अब्दुल्ला ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र को याचिका पर जवाब देने के लिए दिए गए आठ हफ्ते के समय के दौरान जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर एक बड़े हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘आज से, हम इन 8 हफ्ते का उपयोग सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में घर-घर जाकर राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने में करेंगे। अगर लोग दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हैं, तो मैं अपनी हार मान लूंगा।’’
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बहरहाल, अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि वह और उनके सहयोगी राज्य का दर्जा देने की मांग के समर्थन में हस्ताक्षर प्राप्त करने का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इन आवाज़ों को अपने दफ्तरों से उन दरवाजों तक ले जाना होगा, जहां फैसले लिए जाते हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि हस्ताक्षर अभियान के दस्तावेज उच्चतम न्यायालय को सौंपे जाएंगे।
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