राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस के सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने सरकार पर जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले पचास लोगों का 87 हजार करोड़ रूपये का कर्ज माफ करने आरोप लगाते हुए दावा किया कि यदि समय रहते मेहुल चौकसी जैसे व्यक्तियों पर कार्रवाई की जाती तो वह कभी विदेश नहीं भाग सकते थे।
गोहिल ने बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा करते हुए बैंकों के राष्ट्रीयकरण की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों के द्वार आम आदमी के लिए खोले थे।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को इस बात की ओर ध्यान देना चाहिए कि केवल कानून बनाने से कुछ नहीं होगा, मूल बात उसके क्रियान्वयन पर है। उन्होंने कहा कि कानून की नजर में सब समान होने चाहिए।
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गोहिल ने कहा, ‘‘जब उधर (सत्ता पक्ष में) रहेंगे तो चक्की पीसिंग-चक्की पीसिंग और जब इधर की तरफ आ जाएंगे तो पावर सीकिंग-पावर सीकिंग (सत्ता की तलाश) शुरू हो जाती है।’’
उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों में निदेशक कई वर्षों से काबिज हैं जबकि कानून के अनुसार वहां आठ साल से अधिक समय तक निदेशक के पद पर कोई व्यक्ति नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक का यह दायित्व है कि वह ऐसे मामलों में कदम उठाये।
कांग्रेस सदस्य ने गुजरात के कुछ सहकारी बैंकों का उल्लेख भी किया और मांग की कि वहां प्रशासक नियुक्त कर ऐसे निदेशकों को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ऐसे ही बैंक में वर्तमान सहकारिता मंत्री पूर्व में अध्यक्ष रह चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 2024 तक जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वाले 50 लोगों के 87 हजार करोड़ रूपये के कर्ज माफ किए हैं। उन्होंने दावा किया कि ऋषि अग्रवाल और मेहुल चौकसी जैसे लोग भी इनमें शामिल हैं।
गोहिल ने कहा कि आप विदेश भाग जाने वाले लोगों का कर्ज तो माफ कर देते हैं किंतु गरीब किसानों पर जुर्माना लगाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि मेहुल चौकसी को समय रहते पकड़ लिया जाता तो वह कभी विदेश नहीं भाग सकता था।
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