कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री के पसंदीदा बिज़नेस ग्रुप के संदिग्ध लेन-देन के कारण डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स ने कथित तौर पर अडानी पोर्ट्स एंड एसईज़ेड के ऑडिटर पद से इस्तीफ़ा देने का असामान्य कदम उठाया है। इससे पहले ऑडिटर ने कंपनी के खातों पर एक 'क्वालिफ़ाइड ओपिनियन' जारी किया था जिसमें कहा गया था कि तीन संस्थाओं के साथ अडानी पोर्ट्स के लेन-देन को असंबंधित पक्षों से लेन-देन नहीं दिखाया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑडिटर ने यह भी कहा था कि स्वतंत्र बाहरी जांच कराने से इसे कंफर्म करने में मदद मिल सकती थी, लेकिन अडानी पोर्ट्स ने उसके लिए मना कर दिया।
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उन्होंने कहा कि इससे कई गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं: वह ईपीसी कॉन्ट्रैक्टर कौन है जिसकी सुरक्षा और धन की व्यवस्था अडानी पोर्ट्स कर रहा है? मई 2023 में उसने अपना म्यांमार कंटेनर टर्मिनल वास्तव में किसे बेचा? ऐसा लगता है कि अडानी पोर्ट्स इन स्पष्ट संबंधित-पार्टी लेनदेन को छिपाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। तभी डेलोइट हास्किन्स एंड सेल्स को फर्म के वैधानिक ऑडिटर के रूप में पांच वर्षों में से केवल एक वर्ष पूरा करने के बाद ही इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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जयराम रमेश ने कहा कि हम 14 अगस्त 2023 को अडानी महाघोटाले पर आने वाली सेबी (SEBI) की रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति द्वारा उठाए गए तीखे सवालों के अनुसार अडानी ग्रुप की संदिग्ध वित्तीय स्थिति की विस्तृत जांच होगी। किसी को अच्छा लगे या न लगे, मोडानी के भ्रष्टाचार का सच सामने आना जारी है।
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