कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शनिवार को पेश केंद्रीय बजट को ‘निराशाजनक’ करार दिया और कहा कि सिर्फ दिल्ली तथा बिहार के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की गई है जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ‘‘अल्पकालिक सोच’’ को दिखाता है। उन्होंने कहा कि कहा कि देश को अर्थव्यवस्था से जुड़े संकट से बाहर निकालने के लिए कहीं अधिक दूरदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता थी।
लोकसभा सदस्य थरूर ने ‘पीटीआई’ के मुख्यालय में समाचार एजेंसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के दौरान उनसे ‘महंगाई’ और ‘बेरोजगारी’ शब्द भी सुनने को नहीं मिले। नई कर व्यवस्था के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक की आय को कर के दायरे से मुक्त रखे जाने के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि इससे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को फायदा होगा और बिहार के लिए मुफ्त की घोषणाओं से भी वोट मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह सत्ताधारी दल की ‘‘अल्पकालिक सोच’’ है।
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थरूर का कहना था, ‘‘सच्चाई यह है कि यदि आपके पास नौकरी है और आप 12 लाख रुपये या उससे कम कमा रहे हैं, तो आपके पास खुश होने का कारण है। यदि आपके पास नौकरी नहीं है, तो इस बजट से यह स्पष्ट नहीं है कि नौकरी कहां से आएगी। यदि आप बिहार में रह रहे हैं और आप (बीजेपी की) सहयोगी पार्टी से हैं, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपको चुनाव में मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली के मतदाताओं के लिए मध्य वर्ग के कर में कटौती और बिहार के लिए बहुत सारी सौगात हैं। लेकिन यह वही पार्टी है जो ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की बात करती है। मुझे यकीन है कि आंध्र प्रदेश के लोग सोच रहे हैं कि यह हमारे यहां भी इस समय चुनाव होता तो हमें भी बहुत सारी मुफ्त चीज़ें मिलतीं।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे पता चलता है कि अलग-अलग वर्षों में अलग-अलग चुनाव होना अच्छा है क्योंकि तब बिहार को इससे कहीं ज़्यादा फ़ायदा होता है।
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उन्होंने कहा, "मोटे तौर पर, अर्थव्यवस्था के सामने मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं? हमारे सामने बेरोज़गारी की बड़ी समस्या है, युवा बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर है और कॉलेज-शिक्षित युवा भी बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी का सामना कर रहे हैं। इसके लिए क्या किया गया है, यह आज सुबह हमने जो सुना, उससे स्पष्ट नहीं है।"
नई कर व्यवस्था के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा, इस घोषणा के बारे में पूछे जाने पर केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद ने कहा कि अगर किसी को नौकरी मिल गई है और उसका वेतन 12 लाख रुपये से कम है, तो निश्चित रूप से उसकी स्थिति में सुधार होगा, लेकिन अगर किसी के पास नौकरी नहीं है, तो उस व्यक्ति की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि, "अगर आपकी आय संभवतः 1 लाख रुपये प्रति माह से अधिक है, तो आप बिल्कुल मध्यम वर्ग के हैं। हमें देखना होगा कि आपको कितना लाभ होता है। असली समस्या कर लाभ पर इस सरकार का पूरा दृष्टिकोण है, जो कि केवल एक पहलू को संबोधित करता है। दिल्ली में चुनाव आने वाले हैं, जहां बड़ी संख्या में मतदाताओं को इसका लाभ मिल सकता है, इससे स्पष्ट रूप से भाजपा को उनके वोट आकर्षित करने में मदद मिलेगी,"
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थरूर ने कहा, "इसी तरह, बिहार के लिए कई मुफ्त योजनाओं की घोषणा की गई है, इससे आपको स्पष्ट रूप से वोट मिलेंगे, लेकिन इस समय हमें इस तरह की अल्पकालिक सोच की जरूरत नहीं है। हमें इस देश को उस दलदल से बाहर निकालने के लिए कहीं अधिक दूरदर्शी कदम उठाने की जरूरत है, जिसमें यह धीरे-धीरे डूब रहा है।"
सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने पूछा कि विनिर्माण को गति देने के लिए निवेश कहां से आएगा। थरूर ने कहा, "एफडीआई इस देश से भाग रहा है, घरेलू निवेश स्थिर है, कोई भी अर्थव्यवस्था में अधिक पैसा नहीं लगा रहा है। आप ऐसी स्थिति देख रहे हैं, जहां विनिर्माण जीडीपी के 20 प्रतिशत से नीचे गिर गया है।"
कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि बजट में अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद बुनियादी मुद्दों और चुनौतियों का समाधान नहीं किया गया है।
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