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स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर आधार-वोटर कार्ड कैंपों तक में मदद करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नहीं सुन रही सरकार!

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली राज्य आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन के बैनर तले 16 जुलाई को उपराज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था और उनसे बरखास्तगी को रद्द करने की अपील की थी। उपराज्यपाल ने मामले में दखल देने का भरोसा दिया था।

फोटो: विपिन
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दिल्ली पुलिस ने सोमवार को तमाम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उस वक्त हिरासत में ले लिया जब वे दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग है कि उन्हें बिना कारण बरखास्त किया गया है, इसलिए उन्हें फिर से बहाल किया जाए। इन कार्यकर्ताओँ को पुलिस मौरिस नगर पुलिस थाने ले गई, जहां से देर शाम इन्हें रिहा कर दिया गया।

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गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल एक जवाब में कहा है कि दिल्ली की 884 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओँ की सेवाएं समाप्त की गई हैं जबकि 11,942 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन लोगों पर इस साल जनवरी में उस हड़ताल में शामिल होने का आरोप है जो 39 दिनों तक चली थी। बता दें कि दिल्ली में करीब 10,700 आंगनवाड़ी केंद्र हैं जिनमें करीब 22,000 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायक काम करते हैं।

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मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद दिल्ली सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वे और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं या सहायकों को बरखास्त नहीं करेगी।

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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली राज्यय आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन के बैनर तले 16 जुलाई को उपराज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था और उनसे बरखास्तगी को रद्द करने की अपील की थी। उपराज्यपाल ने मामले में दखल देने का भरोसा दिया था।

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कार्यकर्ताओँ का कहना है कि जिन लोगों को बरखास्त किया दया है उन्हें घर चलाना मुश्किल हो रहा है। यूनियन इन लोगों की किसी तरह मदद कर रहा है ताकि वे कम से कम एक वक्त का भोजन तो कर सकें। महरौली के नजदीक आया नगर के आंगनवाड़ी केंद्र में काम करने वाली पूनम रानी ने बताया कि, “सरकार हमसे कई तरह के काम लेती है, लेकिन हमें पर्याप्त वेतन नहीं मिलता है। दिल्ली एक महंगा शहर है और हम भी चाहते हैं कि हमारे साथ दिल्ली सरकार के और कर्मचारियों की तरह सुलूक हो। हम भी चाहते हैं कि हमारे बच्चे भी अच्छी पढ़ाई करें और उन्हें अच्छी नौकरी मिले। बिना पर्याप्त वेतन के हम ऐसा कैसे कर पाएंगे।”

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पूनम को 16 मार्च 2022 को बरखास्तगी का नोटिस व्हाट्सऐप के जरिए मिला। उसका पति इलेक्ट्रीशियन का काम करता था लेकिन कोविड महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन में उसकी नौकरी चली गई। उसके दो छोटे बच्चे हैं जो स्कूल जाते हैं और उनकी फीस के लिए उसे कर्ज लेना पड़ता है।

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इसी तरह पी अनिता एक सिंगल मदर हैं। वे भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता थीं और उन्हें भी 16 मार्च को बरखास्तगी का नोटिस मिला। उन्होंने बताया, “यूनियन हमारी मदद कर रही है और मैं कोई और नौकरी भी तलाश रही हूं ताकि अपने दोनों बच्चों को स्कूल भेज सकूं। कर्ज लेकर किसी तरह अभी घर चला पा रहे हैं। उम्मीद है कि नौकरी वापस मिल जाएगी तो कर्ज उतार देंगे।”

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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मांग है कि उनका वेतन 25,000 रुपए और सहायकों का वेतन 20,000 प्रति माह हो और उन्हें समय पर भुगतान हो। फिलहाल दिल्ली के आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 9,678 रुपए प्रति माह और सहायकों को 4,839 रुपए प्रति माह मिलते हैं। वेतन बढ़ाने की मांग पर अनशन करने के बाद दिल्ली सरकार ने फरवरी के आखिरी सप्ताह कार्यकर्ताओं का वेतन बढ़ाकर 12,720 रुपए और सहायकों का वेतन बढ़ाकर 6,810 रुपए कर दिया था। लेकिन इन लोगों का प्रदर्शन जारी रहा क्योंकि वे अधिक वेतन के साथ ही उन्हें नियमित करने की मांग भी कर रहे थे।

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दिल्ली आंगनवाड़ी यूनियन की वृशाली श्रुति ने बताया कि जब पिछले उपराज्यपाल अनिल बैजन ने उन पर आवश्यक वस्तु अधिनियम (एस्मा) लगाया था तो विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया गया था जबकि वे तो सिर्फ वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे थे। यूनियन ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओँ पर एस्म लगाए जाने को गैरकानूनी बताया है क्योंकि उनका कहना है कि वे दिल्ली सरकार के कर्मचारी तो हैं नहीं और उनकी सेवाएं दिल्ली सरकार को स्वैच्छित आधार पर मिलती हैं।

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पिछले सप्ताह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों ने महिला और बाल कल्याण विभाग के दफ्तर के बाहर भी अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन किया था। जबकि जून महीने में उन्होंने आम आदमी पार्टी के दफ्तर के बाहर भी प्रदर्शन किया था।

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बता दें कि राज्य सरकारें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अपना नियमित कर्मचारी नहीं मानती हैं लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं और जागरुकता कार्यक्रमों से जुड़े सारे काम उनसे लिए जाते हैं। दिल्ली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बुनियादी शिक्षा देने के साथ ही बच्चों को जरूरी पोषण मुहैया कराते हैं, हेल्थ सर्वे में हिस्सा लेते हैं और बच्चों के विकास के आंकड़े जमा करते हैं, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं का भी सर्वे करते हैं। महामारी के दौरान दिल्ली के आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओँ और सहायकों ने राशन बांटने में भूमिका निभाई थी और वे अपने-अपने इलाकों में कोविड टीमों का हिस्सा भी थे।

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इतना ही नहीं, आधार कार्ड कैंप और वोटर कार्ड कैंप में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता काफी सहायता करते हैं उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। स्वास्थ्य सेवाओं के अलावा भी उनसे कई किस्म के सर्वे कराए जाते हैं। मसलन पिछले साल उनसे आवारा कुत्तों की गणना करने का काम भी कराया गया था। ये कार्यकर्ता आंगनवाड़ी केंद्रों और दिल्ली सरकार के सहेली समन्वय केंद्रों पर महिलाओं को सिलाई आदि भी सिखाते हैं।

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