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हरियाणा की खट्टर सरकार का किसानों को राहत से इनकार, कहा-  15 अप्रैल से पहले नहीं शुरु कराएंगे फसल खरीद

बेमौसम बारिश और ओले पड़ने से पहले ही किसानों की फसल का नुकसान हुआ है. ऊपर से अब लॉक़ाउन होने से खड़ी फसल खेत में है। लेकिन हरियाणा सरकार ने फसल खरीद शुरु कराने से साफ इनकार कर दिया है

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

कोरोना संकट के बीच एक बात साफ हो गई है कि खेती-किसानी का भी संकट सामने खड़ा है। गेहूं की खरीद देरी से शुरू होनी वाली है, जिसका ऐलान खुद मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कर दिया है। सीएम ने कहा है कि गेहूं की खरीद अब 20 अप्रैल से ही संभव होगी। सरसों जैसी फसल भी तैयार खड़ी है। लॉकडाउन के बीच मंडियों में फसल खरीद की तैयारियां भी प्रभावित हैं। हरियाणा विधानसभा में नेता विरोधी दल भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी किसानों के संकट की तरफ सरकार का ध्‍यान खींचते हुए मांग की है कि वह इसे लेकर अपनी स्‍पष्‍ट नीति घोषित करे।

मुख्यमंत्री ने गुरुवार को हालांकि किसानों को आश्‍वासन दिया कि सरकार उनके अनाज के एक-एक दाने की खरीद करेगी। उन्होंने कहा कि फसल की खरीद में कुछ देरी हो सकती है, लेकिन खरीद अवश्य की जाएगी। वर्तमान परिस्थितियों में 14 अप्रैल, 2020 तक खरीद करना संभव नहीं है, इसलिए परिस्थितियों के अनुकूल होते ही 15 अप्रैल और 20 अप्रैल से क्रमश: सरसों और गेहूं की खरीद की व्यवस्था की जाएगी।

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एक अप्रैल से शुरू होने वाली यह खरीद 20 दिन विलंब से शुरू होने का मतलब है कि तब तक किसानों का बड़ा नुकसान हो चुका होगा, जिसकी भरपाई आसान नहीं होगी। सीएम ने किसानों से आग्रह किया कि जितना संभव हो अपनी फसल को घर में स्टोर करें और संभव न हो पाए तो मार्किटिंग बोर्ड की मदद ली जाएगी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन और खरीद में देरी के कारण किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई की व्यवस्था के लिए शीघ्र ही राज्य सरकार एक योजना घोषित करेगी।

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वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कोरोना से लड़ाई के बीच सरकार का ध्यान किसानों की तरफ खींचा है। लॉकडाउन के फैसले का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि गेहूं और सरसों की फसल कटाई के लिए खेत में तैयार खड़ी है। किसानों को इस बात की चिंता है कि लॉकडाउन के बीच कटाई कैसे होगी और कैसे वो फसल को मंडी में लेकर जाएंगे। उन्‍होंने सरकार से अपील की है कि पिछले दिनों बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवज़ा फौरन किसानों के खाते में पहुंचाना चाहिए, ताकि किसान फसल कटाई, ढुलाई, भंडारण और आजीविका के लिए संसाधन जुटा सकें। खेतों में फसल तैयार खड़ी है। किसान 21 दिन के लॉकडाउन के ख़त्म होने का इंतज़ार नहीं कर सकता क्योंकि तब तक तो सारी फसल खेतों में ही झड़ जाएगी।

हुड्डा ने कहा कि सरकार को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि कटाई के लिए लॉकडाउन में किसानों को क्या रियायतें दी जा रही हैं और क्या बंदिशें लगाई गई हैं? उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा से साफ है कि इस बार मंडियों में खरीद देरी से होगी। ऐसे में राज्य सरकार को किसानों के लिए बोनस का ऐलान करना चाहिए। साथ ही राज्य सरकार को केंद्र से भी अलग से बोनस की मांग करनी चाहिए।

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उन्होंने कहा कि किसानों को राहत देने केलिए सरकारी कर्मचारियों के साथ मंडियों में प्रबंधन के लिए वालंटियर्स की मदद ली जा सकती है। लॉकडाउन के बीच सरकार सुनिश्चित करे कि हर किसान को पूरी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले। प्रति हेक्टेयर खरीद की सीमा हटाई जाए। किसान की पूरी फसल ख़रीदी जाए। हुड्डा ने कहा कि एक ज़िम्मेदार विपक्ष होने के नाते इस मुश्किल वक्त में कोरोना से लड़ाई में विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है और लगातार जनता से सरकारी आदेशों के पालन की अपील कर रहा है। उनकी अपील है कि सरकार को इस मुश्किल घड़ी में विशेष तौर पर किसानों के साथ ग़रीब, मजदूरों और दिहाड़ीदारों का ध्यान रखने की ज़रूरत है। डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ़ के पास सुरक्षा किट और सामान की आपूर्ति सुनिश्चित करना इस लड़ाई के असली योद्धाओं को मजबूती दे सकता है।

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