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तूफान में खोखले पेड़, सूखी टहनी-डालियां टूट गईं, मजबूत स्तंभ आज भी कायमः राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन में आप पांच आदमी बिठा दो और किसान संगठन का झंडा सड़क के बीच में लगा दो, किसी सरकार की ताकत नहीं की उस झंडे को भी हाथ लगा दे। आंदोलन भीड़ से नहीं चलता, आंदोलन का मकसद क्या है, उससे चलता है।

फोटोः किसान एकता मोर्चा
फोटोः किसान एकता मोर्चा 

गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हुई घटना के बाद से किसान आंदोलन पर काफी असर पड़ा। किसान संगठनों पर दबाव बनना शुरू हो गया और उन पर तरह-तरह के आरोप लगे, लेकिन एक रात में ही बदले घटनाक्रम में कई गुणा जोश के साथ आंदोलन मे एक बार फिर नई जान आ गई।इस पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, “एक तूफान आया था, इस तूफान में टहनी, डालियां और खोखले दरख्त टूट गए, अब सिर्फ मजबूत स्तम्भ खड़े हैं।”

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दरअसल दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन की शुरूआत 26 नवंबर 2020 से हुई। इसके कुछ दिनों बाद गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डालने वाले राकेश टिकैत के समर्थकों की भीड़ शुरू से कम थी। वहीं दिल्ली की दूसरी सीमाओं सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलकारियोंं की संख्या कहीं ज्यादा था। हालांकि, गुरुवार रात बदले घटनाक्रम के बाद मौजूदा समय में टिकैत के ही समर्थक ज्यादा दिखाई दे रहे हैं।

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भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने इस पर कहा, "ज्यादा भीड़ के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है, खेत का काम छूटेगा और यहां कोई काम नहीं है। आंदोलन में आप पांच आदमी बिठा दो और किसान संगठन का झंडा सड़क के बीच में लगा दो, किसी सरकार की ताकत नहीं की उस झंडे को भी हाथ लगा दे। आंदोलन भीड़ से नहीं चलता, आंदोलन का मकसद क्या है, उससे चलता है।" उन्होंने आगे कहा कि, "इस तूफान में हल्की टहनियां, डालियां और खोखले दरख्त थे, वह टूट गए, अब सिर्फ मजबूत स्तम्भ खड़े हैं"।

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गाजियाबाद से भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के बैनर तले आए विजेंदर सिंह ने बताया, "हमें एमएसपी पर गारंटी चाहिए और सरकार इन तीनों कानून को वापस ले ले, हम यहां से तुरंत हट जाएंगे।" उन्होंने आगे कहा, "सरकार ने एक जहर का ग्लास दे दिया है, अब उसमें से एक चम्मच कम करें या दो चम्मच, जहर तो जहर होता है।"

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बॉर्डर पर बढ़ती भीड़ पर उन्होंने कहा कि, "गणतंत्र दिवस पर हम सभी परेड में शामिल होने के लिए आए थे। इसके बाद हम अपने गांव रवाना हो गए, अब फिर आन्दोलन में शामिल होने आए हैं। हमारे ऊपर प्रशासन ने दबाब बनाया, जिसके कारण हमारे नेता की आंखों में आंसू आए। उसी आक्रोश में बॉर्डर पर भीड़ बढ़ रही है और जिसके पास जैसी सहूलियत है, वह उससे आ रहा है।"

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दरअसल किसान संगठन केंद्र सरकार के विवादित तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। अब तक किसानों और सरकार के बीच हुई दस दौर की बातचीत में सरकार नये कानूनों में संशोधन करने और एमएसपी पर खरीद जारी रखने का लिखित आश्वासन देने को तैयार है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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