ग्लोबल दवा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के बाद दोहरा मापदंड में गुरेज नहीं कर रही है। एक ओर गलत हिप इंप्लांट को लेकर जॉनसन एंड जॉनसन ने अमेरिका में 1 अरब डॉलर जुर्माना भरने के लिए तैयार है, लेकिन इसी दोषपूर्ण प्रोडक्ट के खिलाफ भारत में प्रभावित मरीजों को मुआवजा देने के लिए तैयार नहीं है।
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इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कंपनी दोहरा रवैया अपना रही है। कंपनी अपने दोषपूर्ण प्रोडक्ट के खिलाफ अमेरिका में दर्ज 6000 मामलों के लिए जहां 1 अरब डॉलर का हर्जाना भरने को तैयार है। वहीं, कंपनी भारत में अपने गलत हिप इंप्लाट के कारण प्रभावित मरीजों को मुआवजा देने को तैयार नहीं है। यहां कंपनी सरकार के उस आदेश के खिलाफ लड़ रही है, जिसमें कंपनी को इसके दोषपूर्ण एएसआर हिप इंप्लांट के चलते पीड़ित मरीजों को 20 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये जुर्माना देने की बात कही गई थी।
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बता दें कि केन्द्र सरकार ने मरीजों को मुआवाजा देने को लेकर एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने कहा था कि कंपनी को पीड़ितों को मुआवजा देना होगा। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने भी इसे सही माना। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।
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अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी भारत में पिनैकल इंप्लांट के दोषपूर्ण होने की बात से ही इनकार करती रही है। जबकि मेडिकल रिकॉर्डस कुछ और बता रहे हैं। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर में उसने पाया था कि तीन मरीज दोषपूर्ण पिनैकल हिप इंप्लांट के बुरे प्रभावों को झेल रहे थे। अब चार और ऐसे मरीज सामने आए हैं।
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जिन मरीजों को गलत हिप इंप्लांट किया गया है वे तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। मरीजों को जड़ में कोबाल्ट-क्रोमियम है, जो इस दोषपूर्ण इंप्लांट से रिस रहा है और उनके शरीर में जा रहा है। इसके चलते उनके खून में जहरीली धातुएं मिल रही हैं। वे दर्द से जूझ रहे हैं और इनके शारीरिक अंग खराब हो रहे हैं।
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इससे पहले 7 दिसंबर 2018 को दोषपूर्ण हिप इंप्लांट के पीड़ित मरीजों के एक समूह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखा था। उन्होंने सरकार द्वारा स्वीकृत मुआवजे के फॉर्मूले को खारिज करते हुए कहा था कि इस पर संबंधित और पीड़ित लोगों से परामर्श नहीं लिया गया है। हप इंप्लांट पेशेंट्स सपोर्ट ग्रुप ने एक बयान में कहा था, “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि कई बार किए गए अनुरोधों के बावजूद मुआवजे की प्रक्रिया या प्रभावित रोगियों या नागरिक समाज समूहों के साथ मुआवजे की मात्रा पर परामर्श नहीं हुआ है।”
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बता दें कि यह मामला जे एंड जे द्वारा हिप प्रत्यारोपण में घटिया सामग्री बेचने से जुड़ा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित समिति की जांच के बाद यह बात सामने आई थी। साल 2010 में जे एंड जे ने वैश्विक स्तर पर मरीजों का दोबारा हिप प्रत्यारोपण करवाया था, क्योंकि अधिकतर रोगियों में संशोधन सर्जरी की आवश्यकता महसूस हुई थी, जिसका कारण इससे पहले हुए प्रत्यारोपण में इस्तेमाल खराब उपकरण बताए गए थे।
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