उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका को ‘‘समय से पहले’’ दायर की गई याचिका बताते हुए खारिज कर दिया जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकद राशि मिलने के मामले में प्राथमिकी दर्ज किए जाने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियन्स दिल्ली स्थित आवास में 14 मार्च की रात करीब 11 बजकर 35 मिनट पर आग लगने के बाद वहां कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकद राशि अधजली हालत में पाई गई थी।
Published: undefined
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि आंतरिक जांच जारी है और इसका निष्कर्ष निकलने पर भारत के प्रधान न्यायाधीश के पास कई विकल्प खुले होंगे। पीठ ने अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा और तीन अन्य की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘एक बार आंतरिक जांच पूरी हो जाने के बाद सभी तरह के संसाधन उपलब्ध होंगे। यदि आवश्यक हुआ तो प्रधान न्यायाधीश प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं। हमें आज इस पर क्यों विचार करना चाहिए?’
Published: undefined
इस बीच नकदी बरामदगी विवाद में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट के प्रशासनिक कामकाज के सिलसिले में हाल में गठित न्यायाधीशों की समितियों में भी जगह नहीं मिली है। न्यायमूर्ति वर्मा पहले ऐसी कई प्रशासनिक समितियों का हिस्सा थे। उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित 27 मार्च के परिपत्र के अनुसार, समितियों का पुनर्गठन 26 मार्च से तत्काल प्रभाव से किया गया।
Published: undefined
जिन 66 समितियों का पुनर्गठन किया गया उनमें प्रशासनिक एवं सामान्य पर्यवेक्षण, अधिवक्ताओं के लिए शिकायत निवारण समिति, आकस्मिक व्यय की मंजूरी के लिए वित्त एवं बजट, सूचना प्रौद्योगिकी एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अलावा पांच लाख रुपये से अधिक के घाटे को बट्टे खाते में डालने संबंधी समितियां शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय समेत उच्च न्यायालय के अन्य सभी न्यायाधीश विभिन्न समितियों का हिस्सा हैं।
Published: undefined
इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश के निर्देश के बाद न्यायमूर्ति वर्मा से कामकाज वापस ले लिया गया था। प्रधान न्यायाधीश ने आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए 22 मार्च को तीन-सदस्यीय समिति गठित की और मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय की जांच रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड करने का फैसला किया। रिपोर्ट में कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे। हालांकि, न्यायमूर्ति वर्मा ने नकदी से संबंधित आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined