जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में गुरुवार को बादल फटने के बाद चारों तरफ तबाही का मंजर है। अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है। 300 से ज्यादा लोगों को बचाया गया है। अभी भी 200 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं।
बादल मचैल यात्रा मार्ग पर फटा, जहां श्रद्धालु मचैल माता मंदिर में प्रार्थना के बाद भोजन के लिए 'लंगर' स्थल पर रुके हुए थे। अचानक आई बाढ़ ने समुदायिक रसोई, सुरक्षा प्वाइंट और आसपास के ढांचे को तबाह कर दिए।
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एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और सेना समेत अन्य एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। अब तक 300 से ज्यादा लोगों को बचाया गया है। 80 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
मृतकों में सीआईएसएफ (CISF) के दो जवान भी शामिल हैं, जो उस सुरक्षा पोस्ट में तैनात थे जिसे बाढ़ ने बहा दिया।
मचैल माता यात्रा तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी गई, और स्वतंत्रता दिवस से जुड़े कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं।
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आपदा के बीच, एक सबसे दिल दहला देने वाली घटना तब सामने आई जब भारत भूषण नामक पिता ने अस्पताल के होश संभालते ही अपनी 23 साल बेटी गहना रैना की तलाश में बेचैन हो गए। उन्होने कहा, "मैं केवल अपनी बेटी गहना रैना के बारे में जानना चाहता हूं, जो लापता है।"
जब यह त्रासदी हुई, उस समय भारत भूषण और उनकी बेटी सुदूर पद्दार उप-मंडल में स्थित प्रतिष्ठित मचैल माता मंदिर में प्रार्थना करने गए थे।
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एक श्रद्धालु गणेश ने कहा ‘‘हम एक नाले के किनारे 'लंगर' स्थल पर नाश्ते का इंतजार कर रहे थे, तभी कुछ लोग घबराहट में चिल्लाने लगे और सभी को सुरक्षित स्थानों पर भागने के लिए कहने लगे। अचानक पानी का एक तेज बहाव आया और साथ में पत्थर और पेड़ भी आ गिरे, जिससे सब कुछ दब गया।’’
उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली थे कि बच गए क्योंकि वह दो बड़े पत्थरों के बीच फंस गए थे।
गणेश ने बताया ‘‘लंगर स्थल लोगों से खचाखच भरा था। कुछ तीर्थयात्रा पर जा रहे थे और कुछ मंदिर से लौट रहे थे। यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि मलबे में कितने लोग फंसे होंगे।"
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अधिकारियों ने बताया कि बादल फटने के बाद आई अचानक बाढ़ से गिरे मलबे और उखड़े पेड़ों के बीच वाहन दब गए और दूर-दूर तक तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है।
उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण बचाव अभियान के लिए हेलीकॉप्टर की मदद लेना या घटनास्थल पर बचावकर्मियों को उतारना संभव नहीं हो सका।
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