
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के सुदूर गांव चशोती में बादल फटने से मची तबाही के बाद शनिवार को लगातार तीसरे दिन समन्वित बचाव और राहत अभियान जारी रहा। इस घटना में अब तक 60 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि की गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
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अब तक 46 शवों की शिनाख्त हो चुकी है और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं। इस बीच, 75 लोगों के लापता होने की सूचना उनके परिवारों ने दी है।
स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अचानक आई बाढ़ में सैकड़ों लोगों के बहने और बड़े-बड़े पत्थरों, लकड़ियों और मलबे के नीचे दबने की आशंका है।
अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के दो जवान और स्थानीय पुलिस के एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) शामिल हैं।
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मचैल माता यात्रा शनिवार को लगातार तीसरे दिन स्थगित रही। यह मंदिर 9,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने का 8.5 किलोमीटर का रास्ता किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर चशोती से शुरू होता है।
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बचाव कार्य तेज करने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा लगभग 12 जेसीबी को तैनात किया गया है और एनडीआरएफ द्वारा विशेष उपकरणों व श्वान दस्ते का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में पहुंचकर भारतीय सेना के जवानों से ब्रीफिंग ली और हाल ही में आई बाढ़ से हुई तबाही की स्थिति को समझने के लिए वर्चुअल रियलिटी (वीआर) हेडसेट का इस्तेमाल किया।
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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नलिन प्रभात के साथ शुक्रवार देर रात आपदाग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया और पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), स्थानीय प्रशासन और ऊंचाई वाले इलाकों में स्थानीय स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे बचाव और राहत कार्यों की समीक्षा की।
केंद्रीय मंत्री ने दौरे के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘लंबी और थका देने वाली इस चढ़ाई के बाद, मैं किश्तवाड़ में बादल फटने से तबाह हुए स्थल पर पहुंचा। काफी रात हो गई थी।’’
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किश्तवाड़ जिले के चशोटी गांव में गुरुवार को बादल फटने से यह हादसा हुआ। मचैल माता मंदिर मार्ग में पड़ने वाले चशोती गांव में यह आपदा अपराह्न 12 बजकर 25 मिनट पर हुई। जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे। यह यात्रा 25 जुलाई को आरंभ हुई थी और पांच सितंबर को समाप्त होनी थी।
अचानक आई बाढ़ के कारण कम से कम 16 आवासीय मकान एवं सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पवन चक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल तथा 12 से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
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