जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के दूरदराज गांव चिशोती में बादल फटने के बाद लापता हुए लोगों की तलाश के लिए शुरू किया गया अभियान रविवार को चौथे दिन भी जारी रहा और राहतकर्मियों को उम्मीद है कि आज वे एक बड़े प्रभावित इलाके को साफ कर देंगे।
इस बीच, सेना के इंजीनियरों ने गांव और मचैल माता मंदिर के बीच संपर्क बहाल करने और बचाव कार्यों को और तेज करने के लिए एक बेली ब्रिज के निर्माण पर काम शुरू कर दिया है।
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मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते में अंतिम गांव चिशोती में 14 अगस्त को बादल फटने से 60 लोगों की मौत हो गई और 80 अन्य लापता हो गए, जबकि 167 लोगों को बचाया गया।
विभिन्न स्थानों, खासकर सबसे ज्यादा प्रभावित लंगर स्थल के आसपास, विशालकाय पत्थर भी बिखरे पड़े थे और तलाश अभियान में बाधा बन रहे कुछ पत्थरों को शनिवार शाम बचावकर्मियों ने नियंत्रित विस्फोट के जरिए हटा दिया।
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अधिकारियों ने बताया कि पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की संयुक्त टीमें बचाव कार्य जारी रखे हुए हैं।
अब तक 50 शवों की पहचान हो चुकी है और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।
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सेना की आतंकवाद रोधी ‘डेल्टा फोर्स’ के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल ए.पी.एस. बल ने कहा कि पुल की जरूरत महसूस होने के बाद सेना के इंजीनियरों ने इलाके का सर्वेक्षण किया है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘नदी पार करने के खातिर सुचारू आवाजाही के लिए हमें 17 मीटर लंबे एक पुल के निर्माण की जरूरत है।’’ उन्होंने बताया कि पुल का निर्माण रविवार शाम तक पूरा हो जाएगा।
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