भ्रष्टाचार-रोधी निकाय लोकपाल ने अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर लगाए गए आरोपों के संदर्भ में उनसे ‘स्पष्टीकरण’ देने को कहा है। एक लोकसभा सांसद और दो अन्य लोगों ने बुच के खिलाफ इस बारे में शिकायत दर्ज कराई थी।
एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक, लोकपाल ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख के खिलाफ आई शिकायतों पर शुक्रवार को उनसे स्पष्टीकरण मांगा। बुच से चार सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। हालांकि, लोकपाल ने यह स्पष्ट किया है कि उसका आदेश केवल ‘प्रक्रियागत निर्देश’ है और ‘इस मामले में किसी भी तरह से उसकी राय नहीं अभिव्यक्त करता है।’
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लोकपाल का यह आदेश कहता है, ‘‘हम नामित प्रतिवादी लोक सेवक (आरपीएस) को संबंधित शिकायतकर्ता की तरफ से उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों और संबंधित हलफनामे में विस्तार से बताए गए आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाना उचित समझते हैं।’’ आदेश के मुताबिक, आरोपों की जांच के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनने के बारे में फैसला करने के पहले नामित आरपीएस को लोकपाल अधिनियम की धारा 20 की उपधारा (एक) के तीसरे प्रावधान के तहत स्पष्टीकरण का अवसर दिया जा रहा है।
आदेश में कहा गया है कि बुच दोहराव से बचने के लिए तीनों शिकायतों में शिकायत के हिसाब से अपना जवाब या स्पष्टीकरण पेश कर सकती हैं। लोकपाल संस्था के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और पांच अन्य सदस्यों के इस आदेश पर हस्ताक्षर हैं। इसके सदस्यों में न्यायमूर्ति एल नारायण स्वामी, संजय यादव, रितु राज अवस्थी, सुशील चंद्रा और अजय तिर्की शामिल हैं।लोकपाल ने मामले को आगे विचार के लिए 19 दिसंबर को सूचीबद्ध किया है।
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इससे पहले लोकपाल ने 20 सितंबर के अपने आदेश में कहा था कि सेबी प्रमुख पर अनुचित आचरण और हितों के टकराव का आरोप लगाने वाली लोकसभा सदस्य की शिकायत उसे किसी जांच का आदेश देने के लिए राजी करने में विफल रही है। भ्रष्टाचार रोधक संस्था की यह टिप्पणी दो शिकायतों की सुनवाई के दौरान आई जिनमें से एक शिकायत सांसद ने की थी। यह शिकायत हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ से बुच पर लगाए गए कई आरोपों पर आधारित थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कुछ महीने पहले जारी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी समूह से जुड़े कथित वित्त हेराफेरी मामले में इस्तेमाल हुए अज्ञात विदेशी कोष में हिस्सेदारी थी। हालांकि, बुच दम्पति ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि हिंडनबर्ग सेबी की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाने के साथ चरित्र हनन का प्रयास कर रहा है। अडानी समूह ने भी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं में हेराफेरी करार दिया था।
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विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने 13 सितंबर को सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि उन्होंने सेबी प्रमुख के खिलाफ लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार रोधक लोकपाल को इसे प्रारंभिक जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भेजना चाहिए और उसके बाद ‘पूर्ण एफआईआर जांच’ करनी चाहिए।
हालांकि लोकपाल ने 20 सितंबर के अपने आदेश में शिकायतकर्ता के नाम का उल्लेख न करते हुए आरोपों की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता के सत्यापन के लिए संबंधित शिकायतकर्ता द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके बाद मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर और फिर 8 नवंबर को तय की गई। शुक्रवार को जारी लोकपाल के आदेश से पता चलता है कि 14 अक्टूबर को ‘‘एक और शिकायतकर्ता ने फिर से वही मुद्दे उठाते हुए’ सेबी प्रमुख के खिलाफ तीसरी शिकायत भी दर्ज कराई है।
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