
महाराष्ट्र के जालना में कई दिनों से जारी मराठा आरक्षण आंदोलन के आगे झुकते हुए शिवसेना और बीजेपी की सरकार ने गुरुवार को 'निजाम युग' के कुनबी जाति के दस्तावेजी प्रमाण वाले लोगों को ओबीसी प्रमाणपत्र देने का आदेश जारी किया। इसका मतलब यह होगा कि कुनबी जाति प्रमाण के साथ मराठा ओबीसी आरक्षण के लिए पात्र होंगे।
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शिंदे सरकार के इस कदम से जालना में पिछले 10 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे-पाटिल की मांगों में से एक पूरी हो जाएगी। इसके साथ ही राज्य सरकार ने जारांगे-पाटिल को एक लिखित अपील जारी की है कि चूंकि प्रशासन ने आदेश प्रकाशित कर दिया है, इसलिए उन्हें तुरंत अपनी भूख हड़ताल खत्म कर देनी चाहिए। इस पर जारांगे-पाटिल की प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है।
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इससे पहले बुधवार को सीएम एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जिनके पास निज़ाम-युग के दस्तावेज़ (1960 के दशक के) हैं, जब मराठों को 'कुनबी' के रूप में गिना जाता था, उन्हें कुनबी जाति प्रमाणपत्र दिया जाएगा ताकि वे ओबीसी कोटा का लाभ उठा सकें। इस ऐलान के बाद आज सरकार ने इस आशय का आधिकारिक आदेश जारी कर दिया।
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इस फैसले के बाद चर्चा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार का एक प्रतिनिधि शीघ्र ही सरकारी आदेश और अपील के साथ जालना में जारांगे-पाटिल से मुलाकात करेगा, जिससे 10 दिवसीय लंबे आंदोलन के समाप्त होने की उम्मीद है। जालना में 29 अगस्त को आंदोलन शुरू हुआ था और 1 सितंबर को वहां प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की सख्ती के बाद पूरे राज्य में फैल गया।
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