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मोदी ने कांग्रेस के जिस योजना को बताया था नाकामियों का स्मारक, अब उसी के सहारे संकट का समाधान खोज रही BJP सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी 2015 को लोकसभा में मनरेगा का मखौल उड़ाते हुए इसे कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक बताया था। कोरोना संक्रमण से बुरे हालात के बावजूद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) ग्रामीणों के रोजागर का सहारा बना हुआ है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी 2015 को लोकसभा में मनरेगा का मखौल उड़ाते हुए इसे कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक बताया था। पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘मेरी राजनीतिक सूझ बूझ कहती है कि मनरेगा को कभी बंद मत करो। मैं ऐसी गलती नहीं कर सकता हूं। क्योंकि मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता जागता स्मारक है। आजादी के 60 साल के बाद आपको लोगों को गड्ढे खोदने के लिए भेजना पड़ा। ये आपकी विफलताओं का स्मारक है और मैं गाजे-बाजे के साथ इस स्मारक का ढोल पीटता रहूंगा।’

Published: 16 Apr 2021, 12:58 PM IST

अब वही मनरेगा कोरोना महामारी की वजह से उपजे गंभीर संकट में ग्रामीणों का सहारा बना हुआ है। यहां तक की मोदी सरकार को मरनेगा का बजट तक बढ़ाना पड़ा। क्योंकि मात्र यही एक योजना है जिसके जरिए गांव में लोगों को रोजगार दिया जा सकता है। सरकार को मनरेगा का बजट इसलिए भी बढ़ाना पड़ रहा है क्योंकि केंद्र के पास इसके अलावा कोई भी ऐसा मजबूत ढांचा या नीति नहीं है जो इतनी बड़ी आबादी को गारंटी के साथ काम दिला सके।

Published: 16 Apr 2021, 12:58 PM IST

कोरोना संक्रमण से बुरे हालात के बावजूद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) ग्रामीणों के रोजागर का सहारा बना हुआ है। महज 14 दिनों में सात लाख से ज्यादा लोगों को इससे रोजागर मिला है। ग्राम विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, गत 14 अप्रैल को सूबे के 74 जिलों में 9,51,583 ग्रामीण मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में कार्य कर रहे थे, जबकि गत एक अप्रैल को मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में कार्य करने वाले ग्रामीणों की संख्या 2,24,106 थी। मात्र 14 दिनों में मनरेगा में कार्य करने वाले ग्रामीणों की संख्या में 7,27,477 का इजाफा हुआ है।

Published: 16 Apr 2021, 12:58 PM IST

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि वर्तमान समय में सूबे के ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोग कोरोना से बचने के लिए रोजगार की तलाश में शहर ना आए। ग्रामीणों को उनके गांव में ही सरकार रोजगार मुहैया करायेगी। मुख्यमंत्री की इस मंशा को जानने के बाद अब गांव में जल संरक्षण संबंधी कार्य मनरेगा के तहत कराए जाने लगे हैं। दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों को भी ग्राम पंचायतों में तालाब, सड़क, पटरी, नाली आदि की खुदाई के कार्य में रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। सरकार के प्रयास के चलते ही अब हर दिन मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यो में काम पाने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

Published: 16 Apr 2021, 12:58 PM IST

इसे लेकर यह कहा जा रहा है कि ग्रामीणों को उनके गांवों के समीप ही रोजगार मुहैया कराने संबंधी प्रदेश सरकार की सोच के चलते मनरेगा में काम पाने वाले ग्रामीणों की संख्या में इजाफा हुआ है। बीते साल भी जब कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ था, तब भी मुख्यमंत्री योगी की पहल पर मनरेगा ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने में सहारा बनी थी।

Published: 16 Apr 2021, 12:58 PM IST

बीते साल कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद बड़ी संख्या में शहरों से गांव पहुंचे मजदूरों को रोजगार देने के लिए योगी सरकार एक योजना लेकर आई थी। इसके तहत तालाब, चेक डैम के निर्माण के साथ नदियों की सफाई का काम बड़े पैमाने पर शुरू कर मजदूरों के लिए रोजगार पैदा किया गया था। तब केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के तहत प्रदेश सरकार ने यह फैसला किया था कि 20 अप्रैल के बाद राज्य में मनरेगा योजनान्तर्गत कन्टेनमेन्ट क्षेत्र के बाहर कई कार्य प्रारम्भ किए जाएंगे। इस संबंध में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा एक आदेश जारी किया गया।

Published: 16 Apr 2021, 12:58 PM IST

इस आदेश में यह कहा गया था कि कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में शहरों से ग्रामीण परिवारों की वापसी हुई है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में अन्य दैनिक रोजगार परक गतिविधियों में संलग्न ग्रामीण परिवारों के समक्ष भी भरण पोषण की समस्या की संभावना उत्पन्न हुई है। ऐसे में शहरों से गांव वापस आये परिवार और गांव में रह रहे लोगों के परिवार यदि मनरेगा योजना के तहत कार्य करना चाहता है, तो उसे तत्काल जॉब कार्ड निर्गत कराया जाएगा।

आईएएनएस के इनपुट के साथ स

Published: 16 Apr 2021, 12:58 PM IST

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Published: 16 Apr 2021, 12:58 PM IST