बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अमित शाह ने अपनी वित्तीय देनदारियों को छिपाया है ताकि उनके बेटे जय शाह की कारगुजारियों पर पर्दा पड़ा रहे। कांग्रेस ने इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने सिस्टम से भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा किया था, लेकिन उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने चुनावी शपथ पत्र में अपनी वित्तीय देनदारियों का जिक्र तक नहीं किया है। कांग्रेस ने पूछा कि, “न खाऊंगा, न खाने दूंगा” का नारा देने वाले प्रधानमंत्री भी आखिर इस सब पर चुप क्यों हैं। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री को अमित शाह के बेटे जय शाह को दो सहकारी बैंकों और एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से 97 करोड़ रुपए की कर्ज सुविधा दी गई।
दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मीडिया के सामने दस्तावेज़ पेश करते हुए कहा कि जय शाह की कंपनी कुसुम फिनसर्व एलएलपी की शुद्ध संपत्ति 6 करोड़ की है, लेकिन इस कंपनी को दो बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के एक उपक्रम से पांच बार में 97.35 करोड़ रुपए की कर्ज सुविधा दी गई। इस तरह कुसुम फिनसर्व को दी गई कर्ज सुविधा कंपनी की शुद्ध संपत्तियों की 300 प्रतिशत बढ़ गई।
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कांग्रेस ने इसे शाह ज्यादा खा गया पार्ट-2 की संज्ञा देते हुए कहा कि, “कर्ज सुविधा हासिल करने के लिए जय शाह ने अमित शाह के नाम की संपत्तियां बैंकों के पास गिरवी रखीं, लेकिन अमित शाह ने इसका कोई जिक्र अपने चुनावी शपथ पत्र में नहीं किया।”जयराम रमेश ने कहा कि कोई भी यह बात नहीं मानेगा कि अमित शाह को इसकी जानकारी नहीं थी।
जयराम रमेश ने कहा कि रोचक तथ्य यह है कि जिस कालूपुर सहकारी बैंत ने खुले हाथों से जय शाह की कंपनी को कर्ज सुविधा दी, उसके शेयरधारक बीजेपी नेता और गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल हैं। उनकी पत्नी भी इसी बैंक में शेयरधारक हैं।
जयराम रमेश के मुताबिक, जय शाह की कंपनी कुसुम फिनसर्व एलएलपी को न सिर्फ सहकारी बैंको से असाधारण वित्तीय ऋण सुविधा मिली, बल्कि सरकारी उपक्रम भारतीय नव ऊर्जा विकास एजेंसी यानी आईआरईडीए से 10.35 करोड़ का कर्ज भी मिला। जय शाह की कंपनी को यह कर्ज मध्य प्रदेश के रतलाम में 2.1 मेगावाट क्षमता का नवऊर्जा प्लांट लगाने के लिए दिया गया। हालांकि प्लांट लगाने के लिए कंपनी के पास कोई विशेषज्ञता नहीं थी।
यहां यह जानना लाजिमी है कि जिस वक्त आईआरईडीए ने जय शाह की कंपनी कुसुम फिनसर्व एलएलपी को कर्ज दिया, उस समय मौजूदा कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल उस मंत्रालय के मंत्री थे। जयराम रमेश ने बताया कि, “नियमानुसार आईआरईडीए किसी भी कंपनी को 5 करोड़ से ज्यादा का कर्ज नहीं दे सकता, लेकिन पीयूष गोयल ने मंत्री रहते हुए खुद इन नियमों का उल्लंघन किया।”
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यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस इस मामले में चुनाव आयोग से औपचारिक शिकायत करेगी, जयराम रमेश ने कहा कि, “अमित शाह ने अपने 25 पन्नों के शपथ पत्र में सारी जानकारियां दीं, लेकिन इस विशेष जानकारी को छिपा लिया। देश जानना चाहता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? हम इस बारे में शिकायत दर्ज कराएँगे और अमित शाह की सदस्यता रद्द करने की मांग करेंगे।”
कोई भी सांसद या विधायक अपनी उम्मीदवारी के समय दिए गए चुनावी शपथ पत्र में प्रत्येक उम्मीदवार को जनप्रतिनिधि कानून के तहत अपनी वित्तीय स्थिति, संपत्तियों और देनदारियों को बताना आवश्यक है। इस कानून में प्रावधान है कि अगर शपथ पत्र में कोई जानकारी छिपाए जाने, या गलत पाई जाती है तो उसका नामांकन रद्द हो सकता है।
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