मई की शुरुआत से महाराष्ट्र के कई हिस्सों में मानसून से पहले की बारिश ने प्याज की गिरती कीमतों को लेकर तनाव झेल रहे राज्य के किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है।
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ के संस्थापक-अध्यक्ष भरत दिघोले ने बताया कि बारिश के कारण हजारों एकड़ में लगी प्याज की फसल बर्बाद हो गई है जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि वास्तविक नुकसान का अभी पता नहीं चल पाया है, क्योंकि बारिश जारी है और मौके पर जाकर आकलन नहीं किया गया है।
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कोंकण, नासिक, पुणे, कोल्हापुर, छत्रपति संभाजीनगर, लातूर, अमरावती और नागपुर में प्याज की बुआई वाले क्षेत्रों में छह मई से भारी बेमौसम बारिश हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘धुले, नासिक, अहिल्यानगर, छत्रपति संभाजीनगर, पुणे, सोलापुर, बीड, धाराशिव, अकोला, जालना, बुलढाणा और जलगांव जैसे प्याज उत्पादक जिलों में बेमौसम बारिश हुई है। कीमतें पहले से ही कम थीं तथा बेमौसम बारिश के कारण और भी गिर गई हैं।’’
उन्होंने कहा कि लासलगांव बाजार में 20 मई तक औसत कीमत 1,150 रुपये प्रति क्विंटल थी। दिघोले ने बताया कि प्याज उत्पादक रबी सत्र की तैयारी एक साल पहले से शुरू कर देते हैं, अगस्त-सितंबर 2024 में नर्सरी स्थापित की जाती है और नवंबर (2024) से जनवरी (2025) तक फिर से रोपाई की जाती है।
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उन्होंने कहा, ‘‘इस साल मार्च से पहले फसल काटने वाले किसानों को प्रति एकड़ अच्छी उपज मिली है और अप्रैल-मई में कटाई करने वाले किसान को ज्यादा अच्छे दाम नहीं मिले क्योंकि फसल को अत्यधिक गर्मी और बेमौसम बारिश का सामना करना पड़ा है। कई किसानों के पास भंडारण की सुविधा नहीं है और जो लोग खेतों में अपनी फसल का भंडारण करते हैं वे छह मई से हुई बारिश में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।’’
दिघोले ने कहा कि इन किसानों की कटी फसलें गीली हो गई हैं, जबकि कई क्षेत्रों में खड़ी फसलों को भी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि 2022-23 में प्याज की खेती का रकबा 5,53,212 हेक्टेयर था, जबकि 2023-24 में यह 4,64,884 हेक्टेयर और 2024-25 में रिकॉर्ड 6,51,965 हेक्टेयर रहा।
दिघोले ने कहा कि पनासिक देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक क्षेत्र है और 2024-25 में फसल का रकबा 2,90,136 हेक्टेयर था, जबकि 2023-24 में यह 1,67,285 हेक्टेयर और 2022-23 में 2,48,417 हेक्टेयर रहा।
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उन्होंने कहा कि 2019 से केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद निर्यात मजबूत रहा है और इससे पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ है तथा इस मामले में महाराष्ट्र देश में अग्रणी राज्य है।
देशभर के आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘2018-19 में 21.83 लाख टन प्याज निर्यात किया गया जिससे 3,468 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की आय हुई। 2019-20 में 11.49 लाख टन निर्यात किया गया जिससे 2,320 करोड़ रुपये की आय हुई। 2021-22 में यह आंकड़ा 15.73 लाख टन और 3,432 करोड़ रुपये था। 2022-23 में हमने 25.25 लाख टन प्याज निर्यात किया और 4,522 करोड़ रुपये कमाए। 2023-24 के लिए यह आंकड़ा 17.17 लाख टन और 3,922 करोड़ रुपये था।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को देश में आवश्यक वार्षिक उत्पादन को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि किसान उसी के अनुसार योजना बना सकें और अतिरिक्त उपज का निर्यात किया जा सके।
दिघोले ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में, प्याज की कमी नहीं होगी और उपभोक्ताओं को सस्ती प्याज मिल सकेगी। जब प्याज की कीमतें बढ़ती हैं तो सरकार निर्यात शुल्क, न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाकर और निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाती है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।’’
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