वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का कड़ा विरोध करते हुए इसे हास्यास्पद और असंवैधानिक’ बताया और कहा कि संसदीय लोकतंत्र में एक साथ चुनाव कराना अव्यावहारिक है।
भूषण यहां कॉमरेड एच एल परवाना मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। अपने भाषण के बाद ‘एक देश, एक चुनाव’ पर संवाददाताओं के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह हास्यास्पद और असंवैधानिक है क्योंकि संसदीय लोकतंत्र में एक साथ चुनाव नहीं हो सकते क्योंकि सरकार सदन में बहुमत के भरोसे पर निर्भर करती है।’’
Published: undefined
उन्होंने कहा, "अगर पार्टी में विभाजन होता है या कुछ लोग दलबदल करते हैं तो सरकार गिर सकती है और अगर सरकार गिर जाती है तथा कोई दूसरी सरकार नहीं बन पाती है तो आप क्या करेंगे? या तो आप शेष अवधि के लिए राष्ट्रपति शासन लगा देंगे और अगर केंद्र सरकार गिर जाती है तो आप क्या करेंगे? आप वहां राष्ट्रपति शासन नहीं लगा सकते। इसलिए आपको नए चुनाव कराने होंगे, अन्यथा यह लोकतंत्र के खिलाफ है।"
उन्होंने हाल ही में लिए गए उच्चतम न्यायालय के निर्णयों की भी सराहना की। उन्होंने कहा, "हमने देखा है कि उच्चतम न्यायालय में कुछ अच्छी चीजें हुई हैं। एक है मस्जिदों को मंदिरों के लिए अधिग्रहित करने या इस बात की जांच करने के बारे में सभी मुकदमों पर रोक लगाना कि क्या मस्जिदों के नीचे मंदिर हैं या नहीं।" उन्होंने कहा, "उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि फिलहाल ये मुकदमे आगे नहीं बढ़ेंगे। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटनाक्रम है जो हुआ है।"
Published: undefined
उन्होंने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय 'बुलडोजर न्याय' के बारे में है।उन्होंने कहा, "उन्होंने इस पर प्रभावी रोक लगाते हुए बहुत अच्छा फैसला सुनाया है। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों के दुरुपयोग के संबंध में भी कई फैसले सुनाए हैं। ईडी विपक्षी नेताओं या कार्यकर्ताओं, पत्रकारों आदि को परेशान करने का मुख्य साधन बन गया है, जहां किसी भी चीज को धन शोधन कहा जा सकता है और इसलिए ईडी किसी भी चीज में शामिल हो जाता है।"
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined