‘एक देश एक चुनाव’ पर बीजेपी सांसद पीपी चौधरी के नेतृत्व वाली जेपीसी के सामने देश के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे. एस. खेहर और डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनाव आयोग को इतनी बेलगाम ताकत नहीं दी जानी चाहिए, जितना कि संशोधन बिल में प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नियंत्रण और संतुलन बनाए रखने के लिए एक सिस्टम होना चाहिए।
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दोनों पूर्व चीफ जस्टिस ‘एक देश एक चुनाव’ पर बनी जेपीसी के समक्ष अपना प्रस्तुतीकरण देने के लिए पहुंचे थे। दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने जेपीसी को यह सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को इतनी बेलगाम ताकत नहीं दी जा सकती, जितनी कि इस संशोधन बिल में प्रस्तावित की गई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नियंत्रण और संतुलन बनाए रखने के लिए एक सिस्टम होना चाहिए। इसके अलावा, दोनों पूर्व चीफ जस्टिस ने संसदीय समिति को सुझाव देते हुए कहा कि चुनावों के संचालन के लिए एक निगरानी तंत्र होना चाहिए।
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हालांकि, अपने प्रस्तूतीकरण में पूर्व चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा कि यह विधेयक सिद्धांततः संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है। साथ ही पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका गहन जांच के दायरे में आ गई है, क्योंकि उसे अत्यधिक शक्तियां प्रदान करने के प्रस्ताव पर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं और इस धारा के पुनर्मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय बहस की आवश्यकता है।
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इस बैठक के बारे में जेपीसी के चेयरमैन और बीजेपी सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि आज शुक्रवार 11 जुलाई, 2025 को जेपीसी की बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे. एस. खेहर और पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ शामिल हुए। वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर जो संवैधानिक सवाल हैं, उनको लेकर हमने उनसे उनकी राय जानी।
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उन्होंने कहा कि हमने अब तक महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और चंडीगढ़ में वहां की सरकार और अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ बातचीत की है। गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर महीने के दौरान ही ‘एक देश एक चुनाव’ का बिल संसद में पेश किया गया था जो पास हो गया था। यह संविधान का 129वां संशोधन था। सरकार के जानकारों की मानें, तो सरकार इसे 2029 से देश में लागू करने की तैयारी कर रही है।
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