हालात

विपक्ष का तंज, '864 दिन बाद पीएम मोदी जाएंगे मणिपुर, लोग आंसुओं के बीच कैसे करेंगे नृत्य?'

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि 3 घंटे के दौरे के लिए 864 दिनों बाद प्रधानमंत्री का जाना बहुत देर से उठाया गया कदम है। उनके कार्यक्रम में मणिपुरी नृत्य प्रदर्शन रखा गया है। लेकिन जो कलाकार प्रदर्शन करने वाले थे, वे कह रहे हैं कि हम आंसुओं के साथ नृत्य नहीं कर सकते।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित मणिपुर दौरे को लेकर विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मणिपुर में लंबे समय से जारी हिंसा और संकट पर सरकार की चुप्पी को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है। अब पीएम मोदी के दौरे की खबरों के बीच कांग्रेस, आरजेडी और वाम दलों के नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है।

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'देश का बड़ा मुद्दा वोट चोरी'

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "मणिपुर का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है। यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री अब वहां जा रहे हैं। लेकिन देश का असली मुद्दा वोट चोरी है। हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव जनादेश चोरी किया गया। लोग हर जगह कह रहे हैं वोट चोर।"

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"बहुत देर से मणिपुर की याद आई'

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, "तीन घंटे के दौरे के लिए 864 दिनों बाद प्रधानमंत्री का जाना बहुत देर से उठाया गया कदम है। उनके कार्यक्रम में मणिपुरी नृत्य प्रदर्शन रखा गया है। लेकिन जो कलाकार प्रदर्शन करने वाले थे, वे कह रहे हैं कि हम आंसुओं के साथ नृत्य नहीं कर सकते। वहां लोग गुस्से में हैं, होर्डिंग्स तक फाड़ रहे हैं। उनका गुस्सा और पीड़ा साफ झलक रही है।"

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'मणिपुर को चाहिए उपचार'

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, "प्रधानमंत्री को मणिपुर आने में बहुत देर हो गई। लेकिन जब पीएम मोदी वहां पहुंचेंगे तो निश्चित रूप से लोगों को उपचार मिलेगा। मणिपुर के लोगों को इस समय सबसे ज्यादा उपचार की जरूरत है।"

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'प्रधानमंत्री पूरी तरह नदारद रहे'

सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात ने कहा, "यह शायद दुनिया का रिकॉर्ड होगा कि कोई निर्वाचित प्रधानमंत्री अपने ही देश के उस राज्य में नहीं गया जहां इतनी गहरी त्रासदी हुई। किसी भी संकट की स्थिति में तुरंत हस्तक्षेप करना एक सिद्धांत होता है। लेकिन जब मणिपुर जल रहा था, तब प्रधानमंत्री पूरी तरह अनुपस्थित रहे। अब भी वे किसी जवाबदेही की भावना से नहीं जा रहे।"

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मणिपुर के हालात

मणिपुर में 2023 से लगातार जातीय हिंसा और सामाजिक तनाव जारी है। सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग विस्थापित हुए। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, जिसके कारण हालात और बिगड़े।

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