पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की तेज होती मांगों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा बैठक की। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और सेना, नौसेना तथा वायु सेना के प्रमुख भी मौजूद रहे।
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यह बैठक जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले के कुछ दिनों बाद हुई, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। उनमें अधिकांश पर्यटक थे। माना जा रहा है कि यह सीमा-पार आतंकवाद के खिलाफ देश की सबसे बड़ी कार्रवाई में टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही पाकिस्तान आधारित आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई होगी। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने इस बैठक को "तात्कालिकता और प्रकृति में असाधारण" बताया।
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सूत्रों के अनुसार, बैठक का एजेंडा कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी की समीक्षा करना और सीमा पार आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के उद्देश्य से सैन्य और रणनीतिक विकल्पों की एक श्रृंखला का पता लगाना है। पहलगाम नरसंहार के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान स्थित संगठन गहन जांच के दायरे में हैं। पहलगाम हमले के बाद, सैन्य बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है, नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर विशिष्ट इकाइयों को ऑपरेशनल रेडीनेस मोड में रखा गया है। निगरानी ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी और इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्ट्स पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी लॉन्चपैड्स की गहन निगरानी कर रहे हैं।
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यह उच्च स्तरीय बैठक केंद्र द्वारा पहले ही उठाए गए कई कड़े कदमों के बाद हो रही है। हमले के अगले दिन ही भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की और अल्पकालिक वीजा वाले पाकिस्तानी नागरिकों को निष्कासित करने का आदेश दिया। प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि आतंकवादी और उनके समर्थकों का ऐसा अंजाम होगा जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। मंगलवार की बैठक को उस प्रण को अमली जामा पहनाने की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर बैठक के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन दिल्ली में माहौल स्पष्ट रूप से तनावपूर्ण और दृढ़ है। लोगों को जल्द ही पहलगाम के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है।
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