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शाहीन बाग़: जब गीता, कुरान, बाइबिल और गुरबानी से गूंज उठा हिंदुस्तान, साथ ही लगे नारे, हिंदुस्तान जिंदाबाद

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध का प्रतीक बन गया है दिल्ली का शाहीन बाग। रविवार को यहां एक तरफ सभी धर्मों के लोगों ने अपने धर्म ग्रंथों का पाठ कर आंदोलन को नई दिशा देते हुए विरोध की एतिहासिक इबारत लिखी, तो एक लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

लोकतंत्र बचाने और देश की एकता को जिंदा रखने की मिसाल बन गया है दिल्ली का शाहीन बाग। रविवार शाम शाहीन बाग में जो मंजर देखने को मिला, वह ऐतिहासिक था क्योंकि इससे पहले कभी ऐसा नहीं देखने को मिला। रविवार शाम से ही ओखला के हर इलाके में लोगों का हुजूम नजर आने लगा था। हर शख्स या तो अकेला या फिर अपने साथियों, रिश्तेदारों के साथ शाहीन बाग की तरफ जाता नजर आ रहा था। ओखला में आवागमन के लिए आम तौर पर मिल जाने वाले ई-रिक्शा खाली नहीं थे, और आगे जाने का रास्ता भी नहीं था। लोगो बीच में ही रिक्शा छोड़ पैदल ही शाहीन बाग की तरफ जा रहे थे।

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शाहीन बाग में मौजद लोगों का दावा था कि कम से कम एक लाख लोग रविवार को शाहीन बाग पहुंचे थे। यहां मौजूद और आने वाला हर व्यक्ति नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बीते 4 सप्ताह से जारी आंदोलन और धरने में शामिल होकर इतिहास का हिस्सा बन जाना चाहता था। हर किसी में एक जोश और एक जुनून नजर आ रहा था।

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शाहीन बाग का विरोध बुनियादी तौर पर स्थानीय महिलाओं ने शुरु किया है जो जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस बर्बरता के खिलाफ शुरु हुआ था। लेकिन रविवार को जो दृश्य दिखा वह असाधारण था। यह धरना विरोध सिर्फ लोगों की संख्या के आधार पर ही असाधारण नहीं था, बल्कि यहां जिस तरह यहां हर धर्म के लोग शामिल हुए और राष्ट्रीय और धार्मिक एकता का मंजर दिखा वह ऐतिहासिक था। अलग-अलग धर्मों के लोगों ने अपने पवित्र ग्रंथों का पाठ किया। सिख समुदाय गुरबानी का पाठ कर रहा था तो मुस्लिम कुर’आन की तिलावत करते दिखे। हिंदुओं यज्ञ किया और गीता के उपदेश पढ़े, तो ईसाई धर्मावलंबियों ने बाइबिल का पाठ किया।

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इस दौरान भारतीय संविधान के कुछ हिस्सों को भी पढ़ा गया। सामाजिक कार्यकर्ता डी एस बिंद्रा का कहना था कि सरकार धार्मिक आधार पर लोगों को विभाजित करना चाहती है, इसीलिए लोगों ने धार्मिक सद्भावना जताने के लिए ऐसा आयोजन किया।

जाकिर नगर के रहने वाले हैदर का कहना था कि वह हर दिन शाहीन बाग आते हैं और धरने पर बैठी महिलाओं की हिम्मत की तारीफ करते हैं। उनका कहना है कि सर्दी के बावजूद महिलाओं का निरंतर धरना असाधारण है। साथ ही पूरे धरने में जो अनुशासन है, हैदर उसकी तारीफ करते नहीं थकते। ऐसे ही अपने पूरे परिवार के साथ रविवार को शाहीन बाग पहुंची उरूज का कहना था कि सरकार को आम लोगों की नाराजगी समझनी चाहिए, आखिर कैसे सरकार को समझ आएगा कि लोग नागरिकता संशोधन कानून और और प्रस्तावित एनआरसी को लेकर सरकार के खिलाफ हैं।

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रविवार के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन में हर तरफ लोगों का हुजूम ही नजर आ रहा था। हर कोई अपने अंदाज़ में विरोध दर्ज करा रहा था। कोई आजादी के नारे लगा रहा था, तो क्रांतिकारी गीत गा रहा था। कुछ अंतराल के बाद राष्ट्रीय गान गाया जा रहा था। हर तरफ एक हिंदुस्तान नजर आ रहा था, जो सर्वधर्म संभाव और वसुधैव कुटुंबकम का प्रतीक है। धरना स्थल पर इंडिया गेट का मॉडल बना हुआ है, जिस पर उन लोगों के नाम लिखे हैं जो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध करते हुए शहीद हुए हैं।

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