महाराष्ट्र के ऐसे दो सबसे विवादित विधायक जिनका शिंदे-फडणवीस सरकार को समर्थन है, वही अब इसे गिराने की कवायद में लगे हुए नजर आ रहे हैं। शिंदे सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक रवि राणा र प्रहार जनशक्ति पार्टी के बच्चू काडू के बीच शुरु हुआ वाकयुद्ध अब शिंदे सरकार पर तलवार की तरह लटकने लगा है। बच्चू काडू ने आरोप लगाया है कि रवि राणा ने एकनाथ शिंदे से 50 करोड़ रुपए लेकर पाला बदला है। काडू ने चेतावनी भी है कि चूंकि उन्हें शिंदे सरकार में कोई महत्व नहीं दिया जा रहा है इसलिए वे ऐसे 8 विधायकों को साथ लेकर सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे जिनकी अनदेखी एकनाथ शिंदे कर रहे हैं।
काडू के आरोपों के जवाब में रवि राणा ने आरोप लगाया है कि काडू ने भी महाविकास अघाड़ी सरकार से समर्थन वापस लेकर असम पहुंचने के लिए 50 करोड़ रुपए लिए थे। रवि राणा सांसद नवनीत राणा के पति हैं। नवनीत राणा वही सांसद हैं जिन्होने इस साल रमजान के दौरान अजान का विरोध दर्ज कराने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हुनमान चालीसा पढ़ने की कोशिश की थी। उनके खिलाफ शांति भंग का मामला दर्ज है।
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इस आरोप से तिलमिलाए काडू ने कहा है कि वह अकेले नहीं थे जो गुवाहाटी गए थे। ऐसे में अगर उन्हें 50 करोड़ रुपए शिंदे का समर्थन करने के लिए मिले थे तो क्या वह अकेले थे। उन्होंने कहा है कि शिंदे और फडणवीस रवि राणा से माफी दिलवाएं नहीं तो वह सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे।
दिलचस्प है कि रवि राणा और काडू दोनों ही अमरावती से हैं। वैसे तो फिलहाल मामला इन्हीं दोनों के बीच है, लेकिन सवाल इस बात पर उठ रहे हैं कि एक ही इलाके के दो विधायकों को आखिर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस क्यों बढ़ावा दे रहे हैं। कहावत भी है और राजनीति में तो अकसर कहा ही जाता है कि एक म्यान में दो तलवारें हीं रह सकतीं।
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गौरतलब है कि काडू महाविकास अघाड़ी सरकार में मंत्री थे, लेकिन उन्हें शिंदे-फडणवीस मंत्रिमंडल में कोई जगह नहीं मिली है। काडू की पहचान एक अतिवादी नेता की रही है और अफसरों को पीटने, दादागीरी दिखाने और रॉबिनहुड स्टाइल की राजनीति के लिए वे चर्चित रहे हैं। इन मामलों के चलते उन्हें दो महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा था हालांकि उस समय वे मंत्री थे। वैसे शिंदे अपने स्तर पर काडू और राणआ दोनों को ही साधने और समझाने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि राणा तो एक तरह से मान गए लगते हैं कि फडणवीस जो कहेंगे वे मान लेंगे लेकिन काडू ने अड़ियल रवैया अपना रखा है।
लेकिन, काडू ने खुली चेतावनी दी है कि अगर पहली नवंबर तक राणा ने माफी नहीं मांगी और आरोप वापस नहीं लिए तो वे उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा तो करेंगे ही, इसमें शिंदे और फडणवीस दोनों को जवाबदेह बनाया जाएगा कि वे जवाब दें कि उन्होंने या 50 अन्य ने पैसा लेकर समर्थन दिया है या नहीं। काडू ने यह भी सवाल पूछा है कि यह भी बताया जाए कि यह पैसा दिया किसने था?
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काडू के इस अल्टीमेटम से शिंदे और फडणवीस दोनों ही घबराए हुए लगते हैं। उनके सामने न निगलते और न उगलते वाली स्थिति बन गई है। काडू और रवि राणा दोनों के ही आरोप शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के उस आरोप को मजबूत करते हैं कि महा विकास अघाड़ी सरकार गिराने के लिए विधायकों को मोटा पैसा देकर खरीदा गया था।
इस बीच उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे ने भी आग में घी का काम कर दिया है। उन्होंने कहा है कि शिंदे खेमे के कम से कम 10 विधायक उनके संपर्क में हैं क्योंकि वे शिंदे सरकार में अहमियत न मिलने और काम के तौरतरीकों से नाराज हैं। इनमें से कुछ तो मंत्री पद न मिलने से खफा है, बाकी इसलिए नाराज हैं कि शिंदे उन वादों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं जिनके दम पर उन्होंने शिवसेना से बगावत की थी। इनमें सबसे अहम वादा था कि ठाकरे परिवार खत्म हो जाएगा और शिवसेना पर उनका एकाधिकार होगा।
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इस सच्चाई के साथ कि शिवसेना का पारंपरिक चुनाव चिह्न चुनाव आयोग ने फ्रीज कर दिया है और दशहरा रैली के दौरान स्पष्ट हो गया कि उद्धव ठाकरे के लिए लोगों के बीच जबरदस्त सहानुभूति है, शिंदे खेमे में बेचैनी लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि गणपति उत्सव और दिवाली के मौके पर शिंदे ने विधायकों के घरों का दौरा कर हालात को संभालने की कोशिश की है लेकिन स्थिति अभी भी उनके हाथ के बाहर ही लगती है।
एकनाथ शिंदे की दिक्कत यहीं खत्म नहीं होती हैं। शिवसेना के पुराने बागी नारायण राणे के बेटे को भी शिंदे सरकार में मंत्री पद नहीं मिला है, जबकि राणे ने अपने पुराने संबंधों का फायदा उठाते हुए शिवसेना के कई विधायकों को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। माना जा रहा है कि नारायण राणे को उम्मीद थी कि शिवसेना तोड़ने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का पद मिल जाएगा, लेकिन बाजी एकनाथ शिंदे मार ले गए। ऐसे में शिंदे को नारायण राणे के अंदरुनी विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।
सूत्र बताते हैं कि नारायण राणे के पास भी कम से कम आधा दर्जन विधायकों का समर्थन है और इसी के दम पर वह अपने बेटे को डिप्टी सीएम बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन फडणवीस इसके लिए किसी सूरत तैयार होते नहीं दिख रहे हैं।
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