कृषि कानूनों पर किसानों और केंद्र सरकार के बीच जारी गतिरोध का हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति ने मंगलवार को अपनी पहली बैठक की। बैठक के दौरान में इस बात पर चर्चा की गई कि यह समिति कैसे काम करेगी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि समिति 21 जनवरी को किसानों के साथ पहली बैठक करेगी। समिति नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जता रहे किसानों के साथ ही इन कानूनों के समर्थकों के साथ भी चर्चा करेगी।
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समिति में शामिल तीनों सदस्यों ने समिति की तमाम गतिविधियों पर चर्चा की, ताकि प्रदर्शनकारी किसानों, किसान संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद अपनी सिफारिशें तैयार कर सकें। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अनिल घनवट ने कहा कि समिति के सामने सबसे बड़ी चुनौती किसानों को बातचीत के लिए राजी करना है।
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घनवट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, समिति राज्य सरकारों, राज्य विपणन बोर्ड और अन्य हितधारकों, जैसे किसान उत्पादक संगठनों और सहकारी समितियों आदि के साथ भी विचार-विमर्श करेगी। इसके साथ ही समिति जल्द ही सभी हितधारकों को नए कृषि कानूनों पर अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित करेगी। बयान में कहा गया कि ऑनलाइन पोर्टल के जरिये व्यक्तिगत किसान भी अपने विचार प्रस्तुत कर सकते हैं।
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बैठक में कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अशोक गुलाटी, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान में दक्षिण एशियाई मामलों के पूर्व निदेशक डॉ. प्रमोद जोशी ने बैठक में भाग लिया। समिति में नामित चौथे सदस्य भूपिंदर सिं मान ने समिति से नाम वापस लिए जाने की घोषणा की है। इसलिए वह बैठक में मौजूद नहीं थे। समिति ने कहा कि वह मामले के सभी संबंधितों के विचारों और राय को समझने के लिए उत्सुक है, ताकि वह अपने ऐसे सुझाव दे सके, जो निश्चित रूप से भारत के किसानों के हित में हों।
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