कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि गाजा में ‘‘नरसंहार’’ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘‘चुप्पी’’ न सिर्फ निराशाजनक और शर्मनाक है, बल्कि उन आदर्शों के भी खिलाफ है, जिनके लिए भारत हमेशा खड़ा रहा है।
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पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि भारत सरकार ऐसा कोई भी बयान देना या कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और प्रधानमंत्री मोदी की ‘‘दोस्ती’’ पर असर पड़े।
कांग्रेस के आरोपों पर फिलहाल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी या सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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इजराइल और हमास के बीच 21 महीने से जारी युद्ध में अब तक 58 हजार से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं और इस युद्ध को रोकने तथा कुछ इजराइली बंधकों को रिहा कराने के लिए जारी बातचीत में कोई सफलता मिलती नहीं दिख रही।
इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू पिछले सप्ताह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के साथ समझौते पर चर्चा करने के लिए वाशिंगटन में थे, लेकिन युद्धविराम के दौरान इजराइली सैनिकों की तैनाती को लेकर एक नया पेंच सामने आया है, जिससे नए समझौते की व्यवहार्यता पर सवाल उठ रहे हैं।
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जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ग़ाज़ा में इजराइल द्वारा किया जा रहा जनसंहार अब भी थमा नहीं है, बल्कि यह पहले से भी ज्यादा भयावह और क्रूर होता जा रहा है। खुद इजराइल के अंदर से भी कई आवाजें इसके खिलाफ उठ रही हैं। हाल ही में इजराइल के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने भी इस पर गंभीर चिंता जताई है।’’ उन्होंने दावा किया कि भारत सरकार इस त्रासदी पर पूरी तरह चुप है।
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जयराम रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘सरकार ऐसा कोई भी बयान या कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे नेतन्याहू और मोदी की दोस्ती पर असर पड़े। प्रधानमंत्री की यह चुप्पी न सिर्फ निराशाजनक और शर्मनाक है, बल्कि उन आदर्शों के भी खिलाफ है, जिनके लिए भारत हमेशा खड़ा रहा है।’’
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