विपक्ष ने एक संयुक्त बयान जारी कर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। बयान में कहा गया है, "मोदी सरकार ने जांच एजेंसियों का शरारती दुरुपयोग कर अपने राजनीतिक विरोधियों और आलोचकों के खिलाफ प्रतिशोध का एक अभियान चला रखा है। कई राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं को जानबूझकर निशाना बनाया गया है और अभूतपूर्व तरीके से उत्पीड़न किया गया है।"
उन्होंने कहा कि "हम इसकी निंदा करते हैं और हमारे समाज के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने वाली मोदी सरकार की जन-विरोधी, किसान-विरोधी, संविधान-विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी सामूहिक लड़ाई को जारी रखने और तेज करने का संकल्प लेते हैं।"
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इस संयुक्त बयान के पहले संसद में मानसून सत्र के दौरान विपक्षी नेताओं ने अहम बैठक भी की थी। इस बैठक में कांग्रेस, सीपीआई, माकपा, आईयूएमएल, नेशनल कॉन्फ्रेंस, टीआरएस, एमडीएमके, एनसीपी, डीएमके और आरजेडी के नेता शामिल हुए थे।
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दूसरी ओर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने गुरुवार को लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने ईडी के दुरुपयोग पर चर्चा कराये जाने की मांग की है। टैगोर ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसी विपक्ष के नेताओं और निर्दोष लोगों को निशाना बना रही है।
लोकसभा महासचिव को भेजे अपने नोटिस में टैगोर ने ईडी के कथित दुरुपयोग पर चर्चा की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी सरकार से जुड़े ऐसे घोटालों की लिस्ट मांगी है, जिसकी जांच ईडी के पास लंबित है। उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी बीजेपी सरकार के "शत्रु विनाशक के रूप में काम करती है।
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