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उपहार अग्निकांड में सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपी अंसल बंधुओं को 7 साल जेल, 2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी देना होगा

मामले में 8 अक्टूबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने सुशील और गोपाल अंसल समेत पांच लोगों को साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोप में दोषी करार दिया था। अंसल बंधुओ के साथ कोर्ट के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा और पीपी बत्रा के अलावा अनूप सिंह को दोषी करार दिया गया था।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
फाइल फोटोः सोशल मीडिया 

दिल्ली की एक अदालत ने उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपी अंसल बंधुओं को बड़ा झटका दिया है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में दोषी सुशील और गोपाल अंसल को 7-7 साल कैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों भाइयों पर अलग-अलग 2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

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इस मामले में 8 अक्टूबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने सुशील और गोपाल अंसल समेत पांच लोगों को उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोप में दोषी करार दिया था। इस मामले में कोर्ट ने अंसल बंधुओ के साथ कोर्ट के एक पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा और पीपी बत्रा के अलावा अनूप सिंह को दोषी करार दिया था। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आईपीसी की संगीन धाराओं के तहत अपराध का मामला दर्ज हुआ था।

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13 जून 1997 को राजधानी दिल्ली के उपहार सिनेमा हॉल में फिल्म बॉर्डर के प्रदर्शन के दौरान भीषण आग लग गई थी। उस अग्निकांड में सिनेमा हॉल में फंसने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। जांच से पता चला था कि सिनेमा हॉल में अतिरिक्त सीटें लगाकर आने-जाने का रास्ता संकरा कर दिया गया था, जिससे इतने लोगों की जान गई। केस की सुनवाई के दौरान अंसल बंधुओं पर याचिकाकर्ताओं को धमकाने और कोर्ट के कर्मचारियों से सांठगांठ कर साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने और फाइलों से अहम पन्ने फाड़कर गायब करने के आरोप लगे थे।

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साक्ष्यों को नष्ट करने के मामले में दोषी ठहराए गए अंसल बंधुओं सहित अन्य की सजा पर बहस के दौरान दिल्ली पुलिस और पीड़ितों के वकील ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि सुशील अंसल और गोपाल अंसल नाम के दोषियों से सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती। वे मुख्य मामले में भी दोषी ठहराए गए हैं और उनके खिलाफ कई अन्य आपराधिक मामले विचाराधीन हैं। इस मामले ने एक धारणा बनाई है कि अमीर और ताकतवर लोग किसी भी चीज से बच सकते हैं और वे न्यायिक व्यवस्था को अपने पक्ष में कर सकते हैं। अदालत के सम्मान के लिए इस धारणा को तोड़ना होगा। कोर्ट ऐसे गंभीर अपराध पर आंखें नहीं मूंद सकता।

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वहीं, अंसल बंधुओं के अधिवक्ता ने दया की अपील करते हुए कहा था कि उनकी आयु 80 वर्ष से ज्यादा है और वे परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। उनकी दोनों बेटियां अलग रहती हैं। इसके अलावा पत्नी की देखभाल की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। बचाव पक्ष के अनुसार उन लोगों ने दो हजार लोगों को रोजगार दिया है। साथ ही कहा कि पीड़ितों को 30 करोड़ रुपये मुआवजा दिया गया है। हालांकि, इस तर्क पर पीड़ित एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा वे अभी भी अदालत को गुमराह कर रहे हैं।

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