
उत्तराखंड में इन दिनों कड़ाके की ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। गंगोत्री नेशनल पार्क के ऊपरी इलाकों में झरने का पानी जमकर बर्फ में बदल चुका है। गंगोत्री धाम, चीड़वासा और कनखू बैरियर जैसे ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फ की मोटी परत जम गई है, जिससे स्थानीय ग्रामीणों और पार्क कर्मियों के लिए पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। इन क्षेत्रों के लोग और वनकर्मी जमे हुए पानी को गर्म करके पीने और अन्य उपयोगों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
Published: undefined
इस बर्फबारी के कारण निचले इलाकों में भी सर्दी का असर बढ़ गया है। ऊपरी हिमालय में बर्फबारी के बाद तापमान में आई गिरावट ने इन क्षेत्रों को और भी ठंडा बना दिया है। वन विभाग और गंगोत्री नेशनल पार्क की टीम विपरीत मौसम की चुनौतियों के बावजूद गश्त और निगरानी जारी रखे हुए है। वे लगातार वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण में जुटे हुए हैं, ताकि किसी भी तरह का नुकसान न हो।
Published: undefined
यह ठंड और बर्फबारी गंगोत्री क्षेत्र के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह स्थानीय जीवन को भी प्रभावित कर रही है। इसके बावजूद स्थानीय ग्रामीण और कर्मचारी ठंड से जूझते हुए अपने दैनिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। गंगोत्री धाम क्षेत्र में तापमान लगातार शून्य से नीचे जा रहा है, जिससे विभागीय टीमों को दैनिक कार्यों में भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद कर्मचारी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पहुंचकर ट्रैप कैमरे सफलतापूर्वक स्थापित कर चुके हैं।
Published: undefined
बर्फबारी के दौरान होने वाली अवैध शिकार गतिविधियों पर निगरानी में भी ये तकनीक कारगर साबित हो रही है। फुटेज से वन्यजीवों की जनसंख्या का आकलन और उनके आवागमन के पैटर्न का विश्लेषण करना विभाग के लिए आसान हो जाता है। वन विभाग का कहना है कि शीतकाल के दौरान इस निगरानी से न सिर्फ पार्क की जैव विविधता की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण प्रयासों को भी मजबूती मिलेगी। यही नहीं, अगर कोई अभी अप्रत्याशित गतिविधि होगी, उस पर भी नजर रहेगी।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined