हालात

केरल: सांप्रदायिकता का तड़का लगाकर वोटरों को तोहफे देकर रिझाने की कोशिशों पर भारी यूडीएफ का 'न्याय'

केरल में भी इस बार तोहफे देकर वोटरों को रिझाने का चलन शुरु हुआ है, वहीं लव जिहाद जैसे मामलों को उछालकर चुनाव में सांप्रदायिकता का तड़का भी लगा दिया गया है। लेकिन इस सबके बीच यूडीएफ के न्यायोन्मुखी घोषणापत्र की तरफ लोग आकर्षित हो रहे हैं। हाल में प्रियंका और राहुल की रैलियों से यह सामने भी आया है।

केरल में चुनाव प्रचार करते राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री पी  विजयन
केरल में चुनाव प्रचार करते राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री पी विजयन 

केरल की राजनीति में आज वही सब हो रहा है जिसे कभी यहां बड़ी हिकारत से देखा जाता था। पड़ोसी राज्य तमिलनाडु की सियासत में उपहार देकर वोटरों को जीतने का चलन रहा है और इस बार यह रोग केरल को भी लग गया है। शायद इसकी वजह यह है कि सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) भ्रष्टाचार के आरोपों के भंवरजाल में फंसी हुई है और इससे बाहर निकलने के लिए उसे तमिलनाडु की तर्ज पर उपहार और ऐसी ही तिकड़म का फॉर्मूला भाने लगा है। इसके अलावा इस बार भगवा ब्रिगेड की तर्ज पर लव जिहाद में लिपटी सांप्रदायिकता भी सिर उठा चुकी है।

केरल में जिन परिवारों के तीन बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, उन्हें हाल ही में 50-50 किलो चावल मिला। यह चावल जून, 2020 से फरवरी, 2021 के दौरान मिड-डे मील योजना के तहत छात्रों को मिलना था, लेकिन एलडीएएफ सरकार ने इसे रोके रखा और अब चुनाव के ऐन पहले यह बांटा जा रहा है।

Published: undefined

लोगों को उनके अधिकार की चीजें देना खैरात नहीं, लेकिन एलडीएफ सरकार लोगों को उनका अधिकार देकर ऐसे जता रही है, मानो उन पर अहसान कर रही हो। बहरहाल, लोगों को लुभाने का यह कार्यक्रम ऐसे समय चल रहा है जब सरकार भ्रष्टाचार के तरह-तरह के आरोपों से घिरी है। बात चाहे अमेरिकी कंपनी ईएमसीसी इंटरनेशनल को दिया गया डीप सी ट्रॉलिंग कान्ट्रैक्ट हो, अमेरिकी टेक फर्म स्प्रिंक्लर को निजी स्वास्थ्य डेटा बेचने की बात हो, लाइफ मिशन हाउसिंग घोटाला हो, डॉलर और सोने की तस्करी का मामला हो या फिर डबल वोटर विवाद। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इन सभी घोटालों को नौकरशाही के मत्थे डालते हुए पल्ला झाड़ने की कोशिश की। उन्होंने साफ कह दिया कि उन्हें इन घोटालों की कोई जानकारी नहीं है।

दिसंबर में स्थानीय निकाय चुनावों में शानदार जीत दर्ज करके वाम सरकार ने चुनावी समर में कदम रखा, हालांकि उसके बाद चुनावी मौसम की शुरुआत और फिर अनाज बांटने के प्रकरण से उनकी लोकप्रियता में कमी आई। तमाम घोटालों के अलावा सबरीमाला का मुद्दा कई विधानसभा क्षेत्रों में उछलता रहा है और आरएसएस विचारक सीपीएण-बीजेपी में सौदेबाजी की बात करने लगे हैं। इस कारण एलडीएफ को पैरों तले जमीन खिसकती लगी।

Published: undefined

इसी बीच कांग्रे,स ने अपना न्यायोन्मुखी घोषणापत्र जारी किया जबकि लेफ्ट का घोषणापत्र कल्याणकारी था। कांग्रेस का घोषणापत्र लैंगिक समानता की बात करता है और महिलाओं को आर्थिक रूप से संपन्न करने का इरादा व्यक्त करता है। यूडीएफ घोषणापत्र में अस्पतालों में मुफ्त इलाज के वादे ने निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों पर खासा असर डाला। यूडीएफ के घोषणापत्र में केरल से व्यावसायिक केंद्रों के लिए सीधी कनेक्टिविटी का भी वादा किया गया है। कांग्रेस के घोषणापत्र जारी होने के बाद जमीनी हलचल शुरू हो गई है।

वायनाड से सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पार्टी के स्टार प्रचारक हैं। उन्होंने चुनावी माहौल को गरमा दिया है कार्यकर्ताओं के साथ ही आम वोटरों में भी खासा उत्साह है। राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था की बात करते हुए वाम दलों पर निशाना साधा, तो प्रियंका गांधी ने सीधे-सीधे सरकार पर हमला किया। प्रियंका गांधी का रोड शो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली एक ही दिन हुई लेकिन प्रियंका के कार्यक्रम में ज्यादा लोग जुटे।

Published: undefined

पैरों के नीचे से जमीन को फिसलते देख वाम सहयोगी सांप्रदायिक राजनीति पर उतर आए और उन्होंने मुसलमानों और ईसाइयों पर हमला करना शुरू कर दिया। पहले के राजनीतिक अभियानों के विपरीत इस बार मंत्री एमएम मणि की मौजूदगी में पूर्व सांसद जोस जॉर्ज ने राहुल गांधी के साथ बातचीत करने वाली महिला छात्रों के बारे में उल्टी सीधी टिप्पणी की। इससे सोशल मीडिया में एलडीएफ के खिलाफ नकारात्मक तूफान खड़ा हो गया क्योंकि आमतौर पर एलडीएफ उदार, प्रगतिशील केरल की बात करता रहा है।

सांप्रदायिकता की इस पृष्ठभूमि के साथ केरल में 6 अप्रैल को मतदान होगा। उत्तर में कासरगोड, कन्नूर, वायनाड, कोझीकोड और मलप्पुरम जिले मोटे तौर पर निश्चित पार्टी लाइन पर वोट करते हैं। कासरगोड और कन्नूर में 16 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से 10 सीटें दशकों से एलडीएफ के खाते में जाती रही हैं। शेष छह सीटें आम तौर पर यूडीएफ के हिस्से जाती रहीं। वायनाड की सात सीटों में से यूडीएफ के एलडीएफ से कम-से-कम तीन या चार सीटें झटक लेने की संभावना है। कोझिकोड और मलप्पुरम में 29 विधानसभा क्षेत्रों में से 20 यूडीएफ समर्थक हैं।

मध्य (पलक्कड़, त्रिशूर, एर्नाकुलम, इडुक्की) और दक्षिण केरल (तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, अलाप्पुझा, पथानामथिट्टा, कोट्टायम) जिले अभी उथल-पुथल की स्थिति में हैं। पलक्कड़ में 14 विधानसभा क्षेत्रों में से एलडीएफ को 11 में समर्थन हासिल है। बाकी तीन में कांटे की टक्कर है। पलक्कड़ में बीजेपी के ई. श्रीधरन के मैदान में उतरने से कई ब्राह्मण मतदाता भगवा पार्टी की ओर झुके हुए दिख रहे हैं। 13 विधानसभा सीटों वाले त्रिशूर जिले में भी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। यूडीएफ ने 40 से 60 साल की महिलाओं को 2-2 हजार रुपए देने का वादा किया है और इस कारण महिलाएं उसकी ओर खिंच रही हैं।

Published: undefined

यूडीएफ को उत्तर में कमी दिख रही है, उसकी भरपाई वह काफी हद तक एर्नाकुलम और इडुक्की से करती दिख रही है। लेकिन इस बार इडुक्की और कोट्टायम में समीकरण बदल गया है। यूडीएफ गठबंधन का हिस्सा रहा केरल कांग्रेस (मणि) गुट पिछले साल एलडीएफ में आ गया था जिसका नतीजा रहा कि दिसंबर, 2020 के पंचायत चुनाव में एलडीएफ को बढ़त मिल सकी। हालांकि, विधानसभा चुनाव में क्या होगा, यह देखने की बात है।

कई क्षेत्रों में केसी (एम) और सीपीएम कार्यकर्ताओं में हाल में झड़पें हुईं। इसके अलावा केसी (एम) अध्यक्ष जोस के मणि ने लव-जिहाद के नाम पर ईसाई और मुसलमानों को एक-दूसरे के खिलाफ करके वोट हथियाने की कोशिश की, लेकिन लोगों के बीच अच्छा संदेश नहीं गया। यह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन द्वारा ईसाई और मुसलमानों के खिलाफ छेड़े गए लव जेहाद अभियान जैसा ही था।

Published: undefined

पथानामथिट्टा जहां एलडीएफ ने पिछली बार सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, वहां यूडीएफ उम्मीदवार इस बार भारी पड़ते दिख रहे हैं। तिरुवनंतपुरम, कोल्लम और अलाप्पुझा जिलों के तटीय इलाकों में भी यूडीएफ ने पकड़ मजबूत कर ली है। तिरुवनंतपुरम में सबरीमाला मुद्दा फिर गरम हो गया है।

विभिन्न सर्वेक्षणों और चैनलों ने राज्य में एलडीएफ को बहुमत की भविष्यवाणी की है लेकिन एलडीएफ के पक्ष में ऐसी कोई लहर नहीं दिखती। मतदान से ऐन पहले के प्रचार शायद तय करें कि अनिर्णीत वोटर का रुख क्या होगा।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined