विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जेनेवा में दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची जारी की गई है। इनमें भारत के 14 शहर शामिल हैं। इस रिपोर्ट ने पीएम मोदी के दावों के कलई को खोल दी है। पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल में स्वच्छता अभियान से लेकर उज्जवला योजना की शुरुआत की। उन्होंने दावे किए इस योजना से लोगों के लाभ मिलने के अलावा शहर से प्रदूषण और गंदगी भी खत्म होगा। लेकिन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, सबसे प्रदूषित शहरों में कानपुर पहले पायदान पर है। इसके अलावा फरीदाबाद, वाराणसी, गया, पटना, दिल्ली, लखनऊ, आगरा, मुजफ्फरपुर, श्रीनगर, गुरुग्राम, जयपुर, पटियाला और जोधपुर के नाम भी इस सूची में शामिल है। चौकाने वाली बात यह भी है कि पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी प्रदूषण के मामले में तीसरे स्थान पर मौजूद है। वहीं वाराणसी, जिसे पीएम मोदी जापान और टोक्यो के तर्ज पर विकसित करने का दावा किया था। यह रिपोर्ट इसलिए भी खास है की मोदी कार्यकाल का 4 साल खत्म हो गया है, बावजूद इसके देश में स्वच्छता का क्या हालात है, इस रिपोर्ट से अंदाजा लग सकता है। यह आंकड़े भारत के लिए चिंता का विषय है।
वहीं टॉप 15 प्रदूषित शहरों में कुवैत का अली सुबाह अल-सलेम इकलौता विदेशी शहर है, जो इस लिस्ट में पंद्रहवें नंबर पर शामिल है।
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2.5 पीएम (फाइन पर्टिकुलर मैटर) को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण पर 100 देशों के 4000 शहरों में रिसर्च के बाद ये आकंड़े सामने आए हैं। इस रिपोर्ट में हैरान करने वाली बात यहा कि ज्यादातर शहर उत्तर भारत के शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक 14 शहरों में से बिहार के 3 शहर और यूपी के 4 शहर शामिल है।
दिल्ली की बात करे तो डब्ल्यूएचओ के डेटाबेस से पता चलता है कि 2010 से 2014 के बीच में दिल्ली के प्रदूषण स्तर में मामूली बेहतरी हुई है लेकिन 2015 से फिर हालत बिगड़ने लगी है। नए सूची के मुताबिक दिल्ली प्रदूषण के मामले में 6 स्थान पर मौजूद है।
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डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर के 90 फीसदी लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। इसकी वजह से 2016 में 70 लाख लोगों की मौत हुई थी। इसमें ये भी बताया गया है कि 2016 में दुनिया भर में उद्योगों से निकलने वाले धुएं, ट्रक और कार से निकलने वाले धुएं की वजह से जो वायु प्रदूषित होती है उससे 42 लाख लोगों की मौत हुई थी। वहीं घर के अंदर मौजूद प्रदूषण के कारण के कारण 38 लाख लोगों की मौत हुई थी।
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