वर्ष 2025 अब तक विश्व स्तर पर बड़े बदलावों का वर्ष सिद्ध हो रहा है। यह बदलाव चाहे संयुक्त राज्य अमेरिका में सत्ता बदलाव से काफी हद तक जुड़े हों, पर इनका असर तो विश्व स्तर की राजनीति, अर्थतंत्र, व्यापार, प्रवास आदि पर पड़ रहा है।
फिलहाल अभी तक की सबसे राहत देने वाला बदलाव यह है कि यूक्रेन युद्ध के शीघ्र समाप्त होने की संभावनाएं, अब पहले की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ गई हैं। इस उलझे हुए मुद्दे में अभी तक कई पेंच मौजूद है, फिर भी शांति की संभावना तो पहले की अपेक्षा तेजी से आगे बढ़ी है। इस युद्ध के अधिक व्यापक युद्ध में बदलने का खतरा तेजी से कम हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के संबंध पहले से कहीं अधिक बेहतर होने की संभावना है।
Published: undefined
यह सब तो ठीक है, पर अनेक अन्य बड़े मुद्दों पर स्थिति पहले से और अधिक उलझ गई है। गाजा में युद्धविराम जरूर घोषित हुआ, पर यह बहुत अनिश्चय की स्थिति में बना रहा और अब इजरायल ने एकतरफा इसे तोड़ दिया है। गाजा के लोगों के लिए फिर गंभीर संकट उपस्थित हो गया है। अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले युद्ध विराम के लिए तो प्रशंसा अर्जित की, पर इसके बाद उन्होंने गाजा से फिलीस्तीनयों को बड़े पैमाने पर हटाकर समुद्र तटीय होटल, हवाई अड्डे, आराम घर आदि बनाने को जो प्रस्ताव रखा, उसे किसी भी न्याय-आधारित समाधान के लिए समर्पित संगठन या व्यक्ति को समर्थन मिलना कठिन है। यह कहा गया कि गाजा बमबारी से इतना गुजर चुका है कि यहां बसना कठिन है, अतः यहां के मूल निवासी यहां से चले जाएं, यह बहुत अन्यायपूर्ण है। यह तो एक तरह से ऐसी बात हुई कि पहले बमबारी से किसी का क्षेत्र बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दो, फिर उसे कहो कि यह स्थान तो रहने योग्य नहीं बचा, अब आप यहां से चले जाएं। जिसने क्षेत्र को उजाड़ा तहस-नहस किया, उसे दोषी ठहराने या उसकी जिम्मेदारी स्थापित करने की इस प्रस्ताव में कोई चर्चा ही नहीं थी। अब तो अमेरिका ने फिर से इजरायल के अन्यायपूर्ण हमलों को हरी झंडी दिखा दी है।
Published: undefined
इसी तरह बहुत से अन्य मुद्दों पर चाहे वे ग्रीनलैंड से जुड़े हों या कनाडा से, अन्तर्राष्ट्रीय कानून और नियम-कायदों से हटकर चर्चा हो रही है और निर्णय लिए जा रहे हैं। यह चिंता का विषय है और इससे स्थिति और अनिश्चित होती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वे युद्ध नहीं चाहते हैं। यह तो बहुत अच्छा है पर दूसरी और एकतरफा मनमाने निर्णय लेने और इससे दूसरों पर अधिक दबाव बनाने की प्रवृत्ति भी तो उचित नहीं है।
Published: undefined
ध्यान देने की बात है कि विश्व इस समय बहुत संवेदनशील दौर में है। एक ओर अनेक पर्यावरणीय समस्याएं इतने गंभीर दौर में पंहुच रही है कि धरती की जीवनदायिनी क्षमताएं भी खतरे में पड़ सकती हैं। दूसरी ओर महाविनाशक हथियारों के बढ़ते भंडार से यह संभावना और भी शीघ्र उत्पन्न हो सकती है। केवल परमाणु हथियारों की बात करें तो ऐसे 13000 से अधिक हथियार इस समय विश्व में मौजूद हैं और इनमें से मात्र 5 से 10 प्रतिशत का वास्तविक उपयोग कभी हो गया तो धरती पर अधिकांश जीवन समाप्त हो सकता है।
इस स्थिति में बहुत सुलझे हुए निर्णय लेने, उचित प्राथमिकताएं तय करने व अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग व अमन-शांति को टिकाऊ और विश्वसनीय तौर पर बढ़ाने की आवश्यकता है। इस तरह की व्यवस्था बन सके इसकी संभावना बढ़ने के स्थान पर तेजी से कम हो रही है। जलवायु बदलाव का सामना करने में मनुष्य पिछड़ रहा है। उसके प्रयास कमजोर पड़ रहे हैं। परमाणु हथियारों के खतरों को कम करने के विश्व स्तर के समझौते पहले से कमजोर पड़ रहे हैं, निरस्त हो रहे हैं या इनका नवीकरण समय पर नहीं हो सका है।
Published: undefined
इन खतरनाक प्रवृत्तियों के बीच बहुत विनाश होने या विश्व की जीवनदायिनी क्षमताओं के स्थाई स्तर पर कमजोर होने और उजड़ने की संभावना बढ़ रही है। विभिन्न देश और विशेषकर बड़ी ताकतें अपने संकीर्ण हितों के लिए ही अग्रसर नजर आते हैं। विश्व में अमन-शांति और पर्यावरण रक्षा की बड़ी जिम्मेदारियों की इस स्थिति में उपेक्षा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ इस स्थिति में नहीं है कि वह इस बिगड़ती स्थिति को संभाल सके।
दुनिया की बड़ी समस्याएं अपने आप हल नहीं हो जाएंगी। उनके लिए सावधानी से ऐसी योजनाएं बनानी होंगी जो एक दूसरे से सामंजस्य रखती हों और फिर उसके लिए विभिन्न देशों की सहमति प्राप्त करनी होगी, फिर सही क्रियान्वयन के लिए भी बहुत सतत् प्रयास चाहिए होंगे। पर जिस तरह की मनमानी और अनिश्चय के दौर में बड़े निर्णय लिए जा रहे हैं, उस व्यवस्था में सबसे महत्त्वपूर्ण प्राथमिकताओं को सुलझे हुए ढंग से प्राप्त करना और कठिन होता जा रहा है। अतः समय रहते जरूरी सुधार करने होंगे। इसके लिए विश्व के सबसे सुलझे हुए नेताओं, विशषज्ञों के साथ अमन-शांति, पर्यावरण और न्याय और समता के जन-आंदोलनों की जरूरत है। युद्ध और महाविनाशक हथियारों की दौड़ रोकने और पर्यावरण रक्षा की जो चुनौतियां हैं उन्हें न्याय और लोकतंत्र के दायरे में ही प्राप्त करना होगा।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined