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इजरायल को पहले से थी हमास के हमले की खबर! आखिर क्यों बड़ी चेतावनियों को किया अनदेखा?

6 अक्टूबर 2023 को योम किप्पूर युद्ध की 50वीं वर्षगांठ थी और इस दिन सीमा पर सुरक्षा अधिक मुस्तैद रहनी चाहिए थी पर इजरायल ने उसी दिन बहुत से सैनिकों को अन्य ड्यूटी पर भेज दिया जिससे गाजा-इजरायल सीमा पर 7 अक्टूबर के हमले के समय बहुत कम सुरक्षा सैनिक मौजूद थे।

इजरायल ने आखिर क्यों बड़ी चेतावनियों को किया अनदेखा?
इजरायल ने आखिर क्यों बड़ी चेतावनियों को किया अनदेखा? फोटोः सोशल मीडिया

विश्व स्तर पर इजरायल की गुप्तचर और सुरक्षा संस्थाओं का लोहा माना जाता है और उन्हें अपने कार्य में बहुत कुशल माना जाता है। अतः सब लोग हैरान हैं कि 7 अक्टूबर के हमले से पहले इजरायल ने बार-बार मिल रही अनेक चेतावनियों को कैसे अनदेखा कर दिया। न्यूर्याक टाईम्स ने दिसंबर 2023 के आरंभ में एक प्रमुख रिपोर्ट प्रकाशित की जो शीघ्र ही विश्व स्तर पर चर्चित हो गई। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इजरायल के उच्च अधिकारियों के पास हमास का एक 40 पृष्ठ का दस्तावेज एक वर्ष पहले से उपलब्ध था जिसमें हमास ने 7 अक्टूबर जैसे हमले की ही पूरी योजना बनाई हुई थी।

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जो हमला 7 अक्टूबर को हुआ वह वास्तव में काफी हद तक इसके अनुकूल ही था। इस बारे में पूछे जाने पर इजरायल के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने समझा था कि इतना बड़ा हमला करना कल्पना की बात है और वास्तव में हमास इतना बड़ा हमला नहीं कर सकता है, अतः उन्होंने ध्यान नहीं दिया। पर इजरायल के अधिकारियों की यह बात लोगों के गले नहीं उतर रही है।

न्यूर्याक टाईम्स की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जुलाई में एक महिला सुरक्षा अधिकारी ने चेतावनी भी भेजी कि इसी तरह का प्रशिक्षण हमास वास्तव में कर रहा है, पर इस पर भी अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की। इजरायल की अनेक महिला सुरक्षा गार्ड सीमा पर निगरानी के लिए तैनात हैं। इन्होंने सीमा पर हो रहे हमास के खतरनाक लग रहे प्रशिक्षणाों के बारे में बार-बार चेतावनी अपने उच्च अधिकारियों को भेजी, पर उन्होंने कहा कि इतनी बढ़ा-चढ़ा कर चेतावनी न भेजो।

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बाद में 7 अक्टूबर का हमला इन चेतावनियों के अनुरूप हुआ और इस हमले में ऐसी अनेक महिला सुरक्षा गार्ड भी मारी गईं। इस कारण अनेक महिला सुरक्षा गार्ड व्यथित रहीं और उन्होंने अपनी कहानी मीडिया को बताई और लोगों में यह खबर बहुत चर्चा में भी रही। इन महिला गार्डों ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान सिखाया जाता था कि किस तरह सुरक्षा दीवार तोड़नी है, या टैंक को कैप्चर कैसे करना है। इसके लिए टैंक या सीमा-दीवार का माॅडल बनाया जाता था। कैसे सुरक्षा या निगरानी करने वालों को नियंत्रित करना या मारना है इसके लिए उनका माॅडल भी बना कर दिखाया जाता था। उन्होंने बताया कि ड्रोन छोड़े जाते थे जो वास्तविक सीमा दीवार के बहुत पास तक आ जाते थे। उन्होंने बताया कि गड्डे खोदकर उसमें विस्फोटक रखे जा रहे थे।

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इस तरह की चेतावनियां महिला सुरक्षा गार्ड बार-बार दे रही थीं और उन पर ध्यान नहीं दिया जाना बहुत हैरानी की बात है। इसी तरह यह भी आश्चर्यजनक है कि इंटरनेट पर और सोशल मीडिया में हमास के प्रशिक्षण के ऐसे अनेक वीडियो मौजूद थे जिनमें सीमा दीवार को तोड़ने के और यहां तक कि बंधकों को पकड़ कर लाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ और ‘वाशिंगटन पोस्ट’ जैसे विख्यात समाचार पत्रों ने हमले के बाद ऐसे अनेक वीडियो का आकलन भी प्रस्तुत किया है।

चूंकि इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था बहुत कुशल, सक्रिय और आक्रमक है, अतः उनके बारे में पहला अनुमान तो यही लगता है कि ऐसे प्रशिक्षणों का पता लगते ही वे उन्हें रोकने के लिए बड़ी कार्यवाही करेंगे। यदि यह न हो सके तो कम से कम अपने प्रोपागेंडा में इस वीडियो व जानकारी का भरपूर उपयोग करेंगे कि हमास कितने खतरनाक तरह का प्रशिक्षण निरंतर आयोजित कर रहा है। पर इजरायल के सुरक्षा अधिकारियों ने ऐसा कुछ भी नहीं किया और इन सब चेतावनियों और वीडियो को उपेक्षित भी कर दिया जो बहुत हैरान करने वाली बात है।

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6 अक्टूबर 2023 को योम किप्पूर युद्ध की 50वीं वर्षगांठ थी और इस दिन सीमा पर सुरक्षा अधिक मुस्तैद रहनी चाहिए थी पर इजरायल ने इसी समय के आसपास बहुत से सुरक्षा सैनिकों को अन्य ड्यूटी पर भेज दिया जिसके कारण गाजा-इजरायल सीमा पर 7 अक्टूबर के हमले के समय बहुत कम सुरक्षा सैनिक मौजूद थे।

7 अक्टूबर के हमले के बाद मिस्र ने कहा कि उसने ऐसे हमले की पूर्व चेतावनी इजरायल को भेजी थी तो पहले इजरायल ने इंकार किया, पर फिर बाद में जब अमेरिका के एक प्रमुख सांसद ने और स्पष्ट कहा कि मिस्र ने मात्र 3 दिन पहले चेतावनी भेजी थी तो इजरायल ने इस बारे में चुप्पी साध ली।

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ऐसे अनेक मामलों के बारे में इजरायल के सुरक्षा अधिकारियों ने कहा है कि अभी हम युद्ध में व्यस्त हैं, इन सवालों के जवाब बाद में दिए जाएंगे। पर युद्ध तो पता नहीं कब तक चलेगा और उसके बाद प्राथमिकताएं क्या होंगी? इन सवालों का जवाब यदि अभी प्राप्त हो सके तो इससे पूरी स्थिति की सही समझ बनने से अमन-शांति की संभावना और मजबूत हो सकती हे। अतः इन सवालों के जवाबों को तलाशना चाहिए और इन्हें अमन-शांति आधारित समाधानों से जोड़ना चाहिए।

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