देश का दुर्भाग्य कि जनता अब मुझ पर छोटी-मोटी जिम्मेदारी डालने लगी है। देश ने कहा कि गुरु, यह तो बताओ कि सेना प्रमुखों की बैठक के बाद प्रधानमंत्री से मिलने सर संघचालक मोहन भागवत प्रधानमंत्री निवास गए थे तो उन दोनों में क्या बात हुई? अखबारों से तो कुछ पता नहीं चलता। जब देश की जनता ने इस छोटे से लेखक-पत्रकार पर यह महती जिम्मेदारी डाल दी तो मोदी जी की तरह मैं भी उससे पीछे नहीं हट सकता था।
तो मैंने अपने विश्वस्त सूत्रों से पता करने की कोशिश की। उसमें से एक विश्वस्त सूत्र ने पहले तो कहा कि देखिए जनाब, पिछले ग्यारह साल में राजनीति इतनी अधिक बदल चुकी है कि फोन पर कुछ बताना खतरे से खाली नहीं है। आप भी फंसोगे और मैं भी और आपसे पहले मैं फंसूंगा, इसलिए कहीं मिलने का कार्यक्रम बनाओ। मुझे लंच या डिनर करवाओ। हमने कहा क्या यार, तुम अब सौदेबाजी करने लगे हो। देश की जनता ने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है और तुम इसे मेरा व्यक्तिगत मामला समझ रहे हो! कभी देशहित में भी सोच लिया करो।
Published: undefined
तो खैर हम मिले। उन्होंने ही मुझे बीयर पिलाई और यह भी बताया कि जिस मोदी-भागवत वार्ता का इतना शोर था, दरअसल उसमें हुआ क्या। उसके अनुसार भागवत जी वहां गणवेश में पहुंचे थे। संघ के पुराने स्वयंसेवक से मिलना था तो संघ की पुरानी ड्रेस में ही पहुंचे थे। पैंट की जगह खाकी निक्कर में थे। मोदी जी तो बार-बार ड्रेस बदलने के उस्तादों के उस्ताद हैं, तो वह भी एकदम नई मगर ठीक उसी ड्रेस में थे। भागवत जी यह देखकर खुश हुए। दोनों मुस्कुराए। मोदी जी ने भागवत जी की जोरदार झप्पी ली। इतनी ज़ोरदार कि भागवत जी गिरते-गिरते बचे। भागवत जी को इससे गुस्सा आ गया। उन्होंने मोदी जी को आदेश दिया कि संघ प्रमुख के नाते मुझसे क्षमा मांगो।
मोदी जी को माफी मांगने की आदत है नहीं तो उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। इतना ही कहा कि आइए, पहले बैठिए तो। वह भागवत जी का हाथ पकड़कर बैठाने लगे। संघ प्रमुख ने फिर कहा- आप नहीं मांगोगे क्षमा, तो मैं जाता हूं। मोदी जी ने कहा- जैसी आपकी इच्छा पर आपके लिए मैंने खाने-पीने का लंबा-चौड़ा इंतज़ाम करवाया है। उसका 'सदुपयोग' करके फिर आराम से जाइए। इतना बढ़िया माल आपको और कहीं नहीं मिलेगा। यह मोदी की गारंटी है!
Published: undefined
भागवत जी को व्यंजनों को देखकर मोह हो आया, फिर यह भी लगा कि यूं ही एकदम से चला जाऊंगा तो बाहर तरह-तरह की अफवाहें उड़ेंगीं। उड़ेंगी नहीं बल्कि यहां से उड़वाई जाएंगी।भलाई इसी में है कि गुस्सा थूककर व्यंजनों का आनंद लिया जाए मगर ऐसा भी न लगे कि खाने-पीने के लिए रुके हैं तो भागवत जी ने कहा- देश की सुरक्षा खतरे में है।
मोदी जी ने कहा- पहले कुछ लीजिए तो। बताइए क्या-क्या आपकी प्लेट में रखूं? आप तो जानते हैं दिल्ली की मिठाइयां बहुत मशहूर हैं। देखिए गरमागरम केसर जलेबी है, रसमलाई है, रबड़ी फालूदा है, चमचम है, मिष्टी दोई है, राजभोग है, काजू कतली है, रसमलाई है, यहां कि बढ़िया बालूशाही है और कोई मिठाई आपको पसंद हो तो वह भी फ़ौरन हाजिर कर दी जाएगी। आप तो बस उसका नाम लीजिए। और हां नमकीन की भी बहुत सी वेरायटीज हैं। गुजरात से खास मंगवाई हैं। बताइए कि आप क्या-क्या लेंगे?
भागवत जी ने कहा कि अधिक तो मैं नहीं ले पाऊंगा, सबका बस एक-एक पीस ही दे दो। एक प्लेट में न आए तो दो में दे दो, तीन में दे दो पर एक-एक पीस ही देना, अधिक नहीं। हां आप चाहो तो जलेबी ज्यादा दे देना। उसे अधिक खाने से इनकार नहीं कर पाऊंगा।
Published: undefined
तो मोदी जी ने स्वयं चुन-चुनकर एक-एक पीस उन्हें दिये, जलेबियां चार दीं। केसर जलेबी से भागवत जी ने अपना अखिल भारतीय खाद्य कार्यक्रम शुरू किया। खाते-खाते वह इतने मस्त हो गए कि भूल ही गए कि वह यहां क्यों आए हैं? अचानक याद आया तो बालूशाही का एक पीस मुंह में लेते-लेते भागवत जी ने कहा- बीजेपी अध्यक्ष का मामला आप टालते जा रहे हो। यह ठीक नहीं है।
आप जूस कौन-सा पसंद करेंगे? बर्फ के साथ लेंगे या विदाउट बर्फ? और हां आइसक्रीम लेंगे या कुल्फी? कुल्फी शायद आप ज्यादा पसंद करें। भागवत बोले- मैं अध्यक्ष पद की बात कर रहा हूं।मोदी बोले- पहले कुछ ठीक से खाइए-पीजिए तो! अभी तो आपने कुछ लिया ही नहीं। भागवत बोले- लिया, एक-एक पीस लिया, आप ही ने तो दिया। मोदी बोले- अभी आपके लिए और माल भी आ रहा है। भागवत बोले- नहीं-नहीं अब और नहीं। मेरा पेट फूट जाएगा। मुझे यहां से जिंदा भी जाना है। इस पर दोनों खूब हंसे।
Published: undefined
फिर मोदी बोले- मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद आप पहली बार यहां आए हैं, यह मेरा अहोभाग्य है। आपको यहां से ऐसे ही नहीं जाने दूंगा। खाना तो सब पड़ेगा। मेरे विनम्र आग्रह को आप टाल नहीं सकते। तो मोदी जी आग्रह करते रहे, भागवत जी आग्रह का सम्मान करते रहे। जब मोदी जी खिला-खिला कर संतुष्ट हो गए और भागवत जी खा-खा कर थक गए तो मोदी जी ने भागवत जी से कहा कि इधर पास के रूम में आप आराम कर लीजिए, तब तक मैं एक-दो बैठकें और निबटाकर आता हूं। फिर आराम से बातें करेंगे।
गर्मी की दोपहर। मोदी जी की खिलाओ पालिटिक्स ने उन्हें ऐसा चित कर दिया कि न चाहते हुए भी उन्हें लेटना पड़ गया और नींद भी आ गई। एक घंटे बाद वह जागे तो मोदी जी, उनके सामने हाजिर हुए। हाथ जोड़कर पूछा कि विश्राम तो आपने ठीक से किया न। किसी तरह की बाधा तो नहीं आई? तकलीफ़ तो नहीं हुई कोई? चाय तो आप पिएंगे ही?
Published: undefined
भागवत जी ने सोचा इसी बहाने चलो, कुछ बात हो जाएगी। भागवत जी ने हामी भर दी। मोदी जी ने सेवक को बुलाया और कहा कि साहब के लिए इनकी मर्जी की बढ़िया सी चाय लाओ। और जब ये साहब जहां जाने को कहें, वहां पूरे सुरक्षा इंतजाम के साथ सम्मान से छोड़ देना।
इसके बाद मोदी बोले- और भागवत जी यह मुलाकात बहुत अच्छी रही, बहुत ही सुखद रही। बहुत सार्थक बातचीत हुई। मनमुटाव दूर हुआ। हिन्दू एकता ही, देश की एकता है, आपका यह सुझाव बहुमूल्य है। आपने यहां आने का इतना कष्ट किया। अपने विचारों से मुझे इतना लाभान्वित किया, इसके लिए आपका शत-शत आभार। आगे भी इसी तरह हम दोनों के बीच संवाद का सिलसिला चलता रहना चाहिए। अगर कोई भूल चूक हुई हो, तकलीफ़ हुई हो तो हृदय से क्षमा मांगता हूं। बहुत-बहुत आभार आपका।
और भागवत जी कुछ कहें, इससे पहले मोदी जी ने नमस्कार किया और चल दिए। भागवत जी अवाक। व्यंजनों के स्वाद का सुखद स्मरण करते हुए दुखी भागवत जी झंडेवालान पहुंच गए।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined