संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) ने यह कहते हुए वाकआउट कर दिया कि सरकार सुनने को तैयार नहीं है। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार संबंधित सदनों की कुर्सी की अनुमति से चर्चा के लिए तैयार है।
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उन्होंने कहा, सरकार राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष की अनुमति से बिना किसी व्यवधान के चर्चा के लिए तैयार है। सूत्रों ने कहा कि विपक्षी दलों ने कुछ राज्यों में पेगासस जासूसी, महंगाई, बेरोजगारी और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के विस्तारित अधिकार क्षेत्र के मुद्दों को उठाया। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की भी मांग की।
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23 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र से पहले बुलाई गई बैठक में 31 पार्टियों के 42 नेताओं ने हिस्सा लिया। रक्षा मंत्री और लोकसभा में बीजेपी के उप नेता राजनाथ सिंह, वाणिज्य मंत्री और राज्यसभा में बीजेपी के नेता, पीयूष गोयल और जोशी ने सत्तारूढ़ दल का प्रतिनिधित्व किया।
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कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी और आनंद शर्मा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, राकांपा प्रमुख शरद पवार और द्रमुक के टी.आर. बालू और टी. शिवा भी सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए।
खड़गे ने कहा कि वे उम्मीद कर रहे थे कि प्रधानमंत्री बैठक में शामिल होंगे। वहीं, जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री की सर्वदलीय बैठक में भाग लेने की कोई परंपरा नहीं थी और इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।
आप नेता संजय सिंह ने सर्वदलीय बैठक से बहिर्गमन किया और कहा कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं है और वह किसानों की एमएसपी पर कानून की मांग उठाना चाहते हैं।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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