विज्ञान

डिमेंशिया डायग्नोज होने पर लोगों की औसत आयु हो जाती है कम, शोध में सामने आई कई अहम जानकारी

शोधकर्ताओं ने कहा कि भविष्य की स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने और डिमेंशिया से पीड़ित लोगों और उनके परिवारों के लिए जीवन की गुणवत्ता को अनुकूलित करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक सटीक, अंतर्दृष्टि के लिए प्रयास करना जारी रखें।

डिमेंशिया डायग्नोज होने पर लोगों की औसत आयु हो जाती है कम
डिमेंशिया डायग्नोज होने पर लोगों की औसत आयु हो जाती है कम 

एक शोध से इस बात का खुलासा हुआ है क‍ि 85 वर्ष की आयु में डिमेंशिया डायग्नोज हाेने से जीवन जीने की दर लगभग दो वर्ष कम हो जाती है। वहीं अगर 80 वर्ष की आयु में इसका पता चलता है तो आयु 3-4 वर्ष कम हो जाती है। वहीं 65 वर्ष की आयु में इससे पीड़ित होने पर यह 13 वर्ष तक आयु कम हो जाती है।

बीएमजे (ब्रिटिश मेडिकल जर्नल) के नवीनतम शोध में पाया गया कि मनोभ्रंश से पीड़ित लोगों की औसत जीवन जीने की इच्छा महिलाओं के लिए 60 वर्ष की आयु में 9 वर्ष, 85 वर्ष की आयु में 4.5 वर्ष और पुरुषों के लिए यह 6.5 वर्ष से लेकर 2 वर्ष तक कम हो जाती है।

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अन्य प्रकार के डिमेंशिया की तुलना में एशियाई आबादी में औसत आयु 1.4 वर्ष तक अधिक थी और अल्जाइमर रोग वाले लोगों में 1.4 वर्ष अधिक थी।

 दुनिया भर में हर साल लगभग 10 मिलियन लोगों में डिमेंशिया का पता चलता है, लेकिन ऐसे रोगियों के जीवित रहने का अनुमान व्यापक रूप से भिन्न होता है।

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नीदरलैंड में शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया के निदान वाले लोगों के लिए पूर्वानुमान को बेहतर ढंग से समझने के लिए शोध के माध्‍यम से जानने की कोशिश की, कि डिमेंशिया के निदान वाले लोगों के लिए जीवन की बची इच्छा और नर्सिंग होम में प्रवेश करने का समय क्या होगा।

 उनके निष्कर्ष 1984 और 2024 के बीच प्रकाशित 261 अध्ययनों (235 सर्वाइवल और नर्सिंग होम में एडमिशन वाले 79) पर आधारित थे, जिसमें 5 मिलियन से अधिक डिमेंशिया से पीड़ित लोग (औसत आयु 79 थी जिसमें 63 प्रतिशत महिलाएं) शामिल थीं।

 उन्होंने पाया कि नर्सिंग होम में भर्ती होने का औसत समय 3 वर्ष से थोड़ा अधिक था, जिसमें 13 प्रतिशत लोग निदान के बाद पहले वर्ष में भर्ती हुए जो तीन वर्षों में बढ़कर एक तिहाई (35 प्रतिशत) और पांच वर्षों में आधे से अधिक (57 प्रतिशत) हो गया।

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 उन्होंने कहा, व्यक्तिगत तौर पर रोग का पता लगाने के लिए भविष्य के अध्ययनों में आदर्श रूप से निदान के समय रोगियों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें व्यक्तिगत कारकों, सामाजिक कारकों, रोग की अवस्था को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, जबकि केवल जीवित रहने से परे के परिणाम और उपायों का भी आकलन किया जाना चाहिए।''

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 शोधकर्ताओं ने कहा कि भविष्य की स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने और डिमेंशिया से पीड़ित लोगों और उनके परिवारों के लिए जीवन की गुणवत्ता को अनुकूलित करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक सटीक, अंतर्दृष्टि के लिए प्रयास करना जारी रखें।

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