नोटबंदी पर सरकार के सारे दावे चारों खाने चित, 99 फीसदी पुराने नोट वापस

आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी के बाद सिर्फ 1 प्रतिशत नोट ही बैंकों में वापस जमा नहीं हुए। आरबीआई के इस बयान के बाद काला धन खत्म करने के सरकार के दावे की पोल खुल गई है।

 फोटोः Twitter
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नवजीवन डेस्क

कालाधन देश से खत्म हो जाएगा, देश से भ्रष्टाचार का खात्मा हो जाएगा, आंतकवाद पर नकेल लगेगी...ये सारे दावे केंद्र सरकार की तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम उस संदेश में किए थे जो उन्होंने 8 नवंबर 2016 को दिया था। लेकिन आरबीआई ने सरकार के इन सारे दावों की पोल खोल कर रख दी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की सालाना रिपोर्ट से नोटबंदी पर सरकार के सारे दावे चारों खाने चित हो चुके हैं। रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि नवंबर 2016 के बाद हुई नोटबंदी के बाद से अब तक कुल 99 फीसदी पुराने करेंसी नोट बैंकों में वापस आ चुके हैं। रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में 30 जून 2017 तक के आंकड़े शामिल किए हैं। यानी सिर्फ एक फीसदी नोट ही वापस नहीं आए जो कि मात्र 8900 करोड़ रुपए के नोट ही वापस नहीं आए हैं।

यहां बताना जरूरी है कि नवंबर, 2016 तक कुल 17.97 लाख करोड़ रुपये मूल्य के पुराने नोट सर्कुलेशन में थे। सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को कुल 15.44 लाख करोड़ के 1000 और 500 के नोट गैरकानूनी यानी अमान्य कर दिए थे। रिजर्व बैंक कहता है कि इनमें से 15.28 लाख करोड़ मूल्य के करेंसी नोट वापस आ चुके हैं।

रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट ने यह भी बताया गया है कि नोटबंदी के चलते वित्त वर्ष 2016-17 में नोटों की छपाई की लागत में दो गुना का इजाफा हुआ है। इस वित्त वर्ष में नोटों की छपाई पर कुल 7,965 करोड़ रुपए खर्च हुए, जबकि इससे पहले वित्त वर्ष 2015-16 में नोटों की छपाई पर 3,421 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

नोटबंदी सोशल मीडिया पर नंबर एक पर ट्रेंड कर रही थी
नोटबंदी सोशल मीडिया पर नंबर एक पर ट्रेंड कर रही थी

आरबीआई की सालाना रिपोर्ट सामने आते ही सोशल मीडिया पर सरकार की खिंचाई का सिलसिला शुरु हो गया। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि #DeMonitisation नंबर एक पर ट्रेंड करने लगा। सभी राजनीतिक दल और आम लोग सरकार और आरबीआई से यही सवाल कर रहे हैं कि आखिर नोटबंदी के दावे का हुआ क्या? पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने तो आरबीआई को आड़े हाथों लेते हुए “शर्म करो” की बात कही।

इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर तमाम आंकड़े भी पेश किए जा रहे हैं जिसमें नोटबंदी के बाद लोगों की परेशानी से लेकर आतंकवाद और किसानों की दिक्कतों की तस्वीर पेश की गयी है।

समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने नवजीवन को बताया कि वह संसद में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने का विचार कर रहे हैं।

चौतरफा हमले के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार की तरफ से सफाई पेश की और कहा कि नोटबंदी का मकसद नगद लेनदेन को कम करना और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना था।

ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में इसका कोई जिक्र नहीं किया था।

वित्तीय मोर्चे पर यह दूसरा मौका है जब सरकार की किरकिरी हुयी है। सोमवार को नीति आयोग ने कारोबार सुगमता के सर्वे की रिपोर्ट जारी की जिसमें “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” को लेकर सरकार के दावों की पोल खुली थी। और अब रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट ने नोटबंदी की वजहों को धता बता दिया। कारोबार सुगमता पर नीति आयोग के सर्वे रिपोर्ट यहां पढ़ें:

नीति आयोग के सर्वे ने मोदी सरकार की खोली पोल

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Published: 30 Aug 2017, 8:52 PM