फिल्म अवॉर्ड की राजनीति, बॉलीवुड में पुरस्कारों की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवाल, लालच से अछूते नहीं कई कलाकार!

बॉलीवुड में पुरस्कारों की विश्वसनीयता पर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब इन पुरस्कारों की विश्वसनीयता काफी हद तक संदिग्ध हो चुकी है। अगर हम सारे पुरस्कारों को संदेह के घेरे में नहीं भी रखें तो भी इनको लेकर जोड़-तोड़ और राजनीति से इनकार नहीं किया जा सकता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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सुभाष के झा

बीते दिनों एक लेख काफी हदतक वायरल हुआ। पत्रकारिता की दुनिया में एक सम्मानित नाम, राजनीतिक पत्रकार और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के पूर्व संपादक शेखर गुप्ता ने अपने लेख में फिल्मी सितारों और नामी-गिरामी निर्देशकों के बारे में लिखा कि जब उन्हें अवॉर्ड नहीं मिलता है तो वे किस तरह नखरे दिखाते हैं। अपने लेख में शेखर गुप्ता ने खास तौर से फिल्म अभिनेत्री कैटरीना कैफ को लेकर भी कुछ तल्ख बातें कहीं।

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वह लिखते हैं कि पुरस्कार समारोह (इंडियन एक्सप्रेस का प्रतिष्ठित स्क्रीन अवार्ड्स) में कैटरीना कैफ को स्टेज पर अपना कार्यक्रम पेश करना था। लेकिन अपने स्टेज शो से कुछ देर पहले कैटरीना कैफ उखड़ गई थीं और काफी रोने लगी थीं क्योंकि उन्हें कोई अवॉर्ड नहीं दिया गया था। वह लिखते हैं कि कैटरीना को मनाने के लिए उन्हें उनकी वैन तक जाना पड़ा। फिर उनके लिए ‘पॉपुलर च्वाइस’ नाम का एक अवॉर्ड ईजाद किया गया जिसके साथ ही समस्या का समाधान हो गया। और इसके बाद कैटरीना कैफ ने अपना पूर्व नियोजित कार्यक्रम पेश किया।

पिछले कई दशकों से हर वर्ष अब फिल्मस्टार यह डिक्टेट करते हैं कि किसे पुरस्कार मिलेगा, अन्यथा वे समारोह में आने से इनकार कर देते हैं। कुछ वर्ष पहले एक सुपर स्टार अभिनेत्री को पुरस्कार समिति ने बताया कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया जा रहा है। लेकिन जब वह अभिनेत्री पुरस्कार समारोह स्थल तक पहुंचीं तो उन्हें बताया गया कि पुरस्कार किसी अन्य अभिनेत्री को दिया जा रहा है। इसके बाद उनकी कार ने यूटर्न लिया और उन्होंने गेट को अलविदा कह दिया।

मान-मनव्वल करने पर आयोजकों को अभिनेत्री ने दो टूक अल्टीमेटम दिया: या तो मुझे पुरस्कार मिलेगा या फिर मैं समारोह में शामिल ही नहीं होऊंगी। उन्होंने दूसरी अभिनेत्री से अवॉर्ड ले लिया और आखिर उस अभिनेत्री को पुरस्कार दे दिया गया जिसने आयोजकों की नाक में दम कर दिया था। यहां तक कि कई दंपति भी पुरस्कारों के लालच से अछूते नहीं हैं। आज एक स्टार दंपति हैं जिन्होंने कुछ वर्षों पहले शादी नहीं की थी। किस्सा तब का ही है। दोनों को ही एक महाकाव्य सरीखी ऐतिहासिक फिल्म में अभिनय के लिए नेशनल अवार्ड के लिए नामित किया गया था। जब पति को पुरस्कार मिला और पत्नी को नहीं मिला तो उसने पुरस्कार के सम्मान में आयोजित पार्टी में शरीक होने से इनकार कर दिया था।

मैं इस तरह के नखरे और बखेड़ा करने वाले सितारों से ज्यादा पुरस्कार समितियों और जूरी को दोष देता हूं जो दबाव की रणनीति के आगे झुक जाते हैं और उन्हें अवॉर्ड देते हैं। सैफ अली खान फिल्म पुरस्कारों की विश्वसनीयता पर भरोसा नहीं करते हैं। वह कैटरीना कैफ की सार्वजनिक प्रताड़ना पर कहते हैं, “शेखर गुप्ता का लेख कुछ लोगों के लिए ज्ञानवर्धक रहा होगा। लेकिन मेरे लिए यह कोई महान रहस्योद्घाटन नहीं था। मैं महसूस करता हूं कि शेखर गुप्ता सहित हर कोई फिल्म पुरस्कारों के पाखंड का हिस्सा है। मेरे कहने का मतलब है कि यदि वह सोचते थे कि कैटरीना कैफ उस पुरस्कार के लायक नहीं हैं तो उन्होंने उनको वह अवॉर्ड दिया ही क्यों?”

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सैफ मानते हैं कि हमारी ऐसी फिल्म बिरादरी नहीं है जहां लोग एक दूसरे की जीत का जश्न मनाते हैं। वह कहते हैं, “सच्चाई यह है, हमने पुरस्कारों के लिए ऐसा कोई स्वस्थ वातावरण तैयार ही नहीं किया है जहां पांच में से एक कलाकार को पुरस्कार मिले और बाकी चार कलाकार उसके लिए ताली बजाएं। कुछ वर्ष पहले मुझे एक पुरस्कार समारोह के लिए बुलाया गया था। जब मैं वहां पहुंचा तो ऑर्गेनाइजेशन में शीर्षस्तर के एक व्यक्ति ने कहा, ‘हम आपको सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार देना चाहते थे। लेकिन आप जानते हैं यह किस तरह होता है। हम आपको कॉमिक रोल के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड देंगे।’ मैं समझता हूं कि उनके कहने का अर्थथा किइसमें काफी हदतक राजनीति और जोड़-तोड़ है।”

सैफ अली खान मानते हैं कि पुरस्कार समारोह टेलीविजन पर दिखाया जाने वाला एक तमाशा है। वह कहते हैं, “यह एक टीवी शो है। आपको स्टेज पर जाना होता है और अपना प्रदर्शन करना होता है। स्टेज पर जाना, अपना पुरस्कार लेना और धन्यवाद के शब्द बुद बुदाना- इसमें बहुत ज्यादा समय नहीं लगता। अब यह स्टेज पर की जाने वाली एक बहुत बड़ी नौटंकी है। शुरुआत में, यह एक अच्छा विचार था, फिर इसमें बिजनेस का पहलू जोड़ा गया और इसने पुरस्कारों की पूरी विश्वसनीयता को निगल लिया है।”

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