मंदी की मार से कई बड़े उद्योगों की हालत पतली, अंडरगारमेंट्स और बिस्किट तक नहीं खरीद रहे लोग 

आर्थिक मंदी की वजह से तमाम सेक्टर्स संकट में हैं, जिस कारण छंटनी बढ़ रही है और भर्ती घट रही है। कुछ सेक्टर में तो संकट काफी गहरा गया है। लेकिन सबसे ज्यादा असर देश के इन चार बड़े उद्योगों पर दिख रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया  
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नवजीवन डेस्क

भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत लगातार पतली होती जा रही है। आर्थिक मंदी की वजह से तमाम सेक्टर्स संकट में हैं, जिस कारण छंटनी बढ़ रही है और भर्ती घट रही है। कुछ सेक्टर में तो संकट काफी गहरा गया है। लेकिन सबसे ज्यादा असर देश के इन चार बड़े उद्योगों पर दिख रहा है।बिस्किट, अंडरगार्मेंट्स, बाइक और शराब की खपत में बहुत ज्यादा गिरावट देखने को मिल रही है। खपत न होने से कंपनियों ने भी उत्पादन को कम कर दिया है, जिससे हालत अब यह हो गए हैं, कि कंपनियों को खर्चा निकालने के लिए कर्मचारियों को भी बाहर का रास्ता दिखाना पड़ रहा है।

आर्थिक मंदी का असर आम लोगों पर होने लगा है। लोग पैसे खर्च नहीं कर रहे। कंपनियां अपने माल नहीं बेच पा रही हैं। यहां तक कि अंडरगार्मेंट्स जैसे जरूरी चीजें भी लोग नहीं खरीद रहे। जून तिमाही में इनरवियर सेल्स ग्रोथ में भारी गिरावट आई है। चार शीर्ष इनरवियर कंपनियों के तिमाही नतीजे पिछले 10 सालों में सबसे कमजोर रहे हैं। कहा जाता है कि पुरुषों के अंडरगारमेंट्स की बिक्री में आने वाली गिरावट देश की खराब अर्थव्यवस्था का संकेत देता है, जबकि इनरवियर की बिक्री बढ़ने पर अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ते हुए आगे बढ़ती है।


मंदी की मार बिस्किट बनाने वाली कंपनियों पर भी पड़ा है। बिस्किट की बिक्री में भी भारी कमी हाई है। वहीं रही सही कसर जीएसटी ने पूरी कर दी है। अकेले सालाना 10 हजार करोड़ रुपए की बिस्किट बेचने वाली कंपनी पारले-जी के कैटेगिरी हेड मयंक शाह ने कहा कि हम सरकार से जीएसटी कम करने की मांग कर रहे हैं। मयंक का कहना है कि 100 रुपए प्रति किलो की कीमत वाले बिस्किट पर सबसे ज्यादा जीएसटी लग रहा है। यह बिस्किट पांच रुपए के पैकेट में बेचा जाता है।

उनका आरोप है कि जीएसटी की वजह से कंपनी की लागत भी नहीं निकल रही है। ऐसे में उन्हें लोगों को निकालने के सिवा कोई और रास्ता नहीं दिख रहा है। मयंक शाह का कहना है कि अगर सरकार जीेएसटी कम नहीं करती तो हमें अपनी फैक्टरियों में काम करने वाले 8,000-10,000 लोगों को निकालना पड़ेगा। वहीं देश की दूसरी सबसे बड़ी बिस्किट निर्माता कंपनी ब्रिटानियां का भी हालत खराब है। ब्रिटानिया का साल-दर-साल का शुद्ध लाभ जून तिमाही में 3.5 फीसदी घटकर 249 करोड़ रुपए रहा।


मंदी का असर शराब की बिक्री पर भी पड़ी है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शराब, बीयर और वाइन की बिक्री एक-तिहाई रह गई है। शराब के अलावा सिगरेट की बिक्री में भी कमी देखने को मिली है। इनकी खपत में हालांकि जीएसटी लागू होने के बाद भी असर देखने को नहीं मिला था, लेकिन अब मंदी का असर यहां पर भी देखने को मिल रहा है।

सबसे बुरा हाल ऑटो सेक्टर का है। चार पहिया के साथ-साथ दो पहिया वाहनों की बिक्री में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। कई कंपनियों ने उत्पादन बंद कर दिया है। पिछले छह महीनों से देश में वाहनों की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है। देश भर में कई सारे शोरूम भी बंद हो गए हैं। ऐसे में कंपनियों के पास पहले का स्टॉक भी उठ नहीं पा रहा है। फिलहाल देश भर में कई कंपनियों ने अपनी फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप कर दिया है, और कर्मचारियों को भी छुट्टी पर भेज दिया है।

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Published: 22 Aug 2019, 4:59 PM