कोई बढ़ा 16 हजार गुना और मध्यवर्ग हो गया गरीब : यह है मोदी सरकार की आर्थिक नीति

बहुत तेजी से देश के 100 लोग और अमीर होते जा रहे हैं, किसी के व्यापार में 16 हजार गुना वृद्धि हो रही है तो दूसरी ओर मध्य वर्ग गरीबी की तरफ बढ़ रहा है और गरीब भीषण रूप से गरीब होते जा रहे हैं।

फोटो: महेन्द्र पाण्डेय
फोटो: महेन्द्र पाण्डेय
user

महेन्द्र पांडे

प्रधानमंत्री मोदी आंखें नम कर भर्राये गले से बताते हैं कि उन्होंने गरीबी को बहुत नजदीक से देखा है। वे अपने भाषणों में लगातार कतार के अंतिम आदमी तक पहुंचने की बात करते हैं। पर, एक तरफ देश के 100 लोग और अमीर होते जा रहे हैं, किसी के व्यापार में 16 हजार गुना वृद्धि हो रही है तो दूसरी ओर मध्य वर्ग गरीबी की तरफ बढ़ रहा है और गरीब भीषण रूप से गरीब होते जा रहे हैं। इसे देखकर लगता है कि प्रधानमंत्री कतार के पहले आदमी को अंतिम आदमी के तौर पर गिनते हैं।

वर्ष 2000 से विश्व में भूखे लोगों की संख्या में 29 प्रतिशत की कमी आई है। 2017 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में शामिल कुल 119 देशों में भारत 100वें स्थान पर हैं। इसमें चीन 29वें स्थान पर, नेपाल 72वें, म्यांमार 77वें, श्रीलंका 84वें, और बांग्लादेश 88वें स्थान पर हैं। वर्ष 2016 के हंगर इंडेक्स के अनुसार 118 देशों में भूखे लोगों के संदर्भ में हम 97वें स्थान पर थे। ईरान, ईराक, नाइजीरिया और बांग्लादेश भी इस मामले में हमसे बेहतर हैं। इस इंडेक्स में भारत को गंभीर समस्या वाले देशों में शामिल किया गया है। हमारे देश में 40 प्रतिशत बच्चों का पर्याप्त विकास भूख और कुपोषण के कारण नहीं हो पाता। एशिया के देशों में हम केवल अफगानिस्तान और पाकिस्तान से बेहतर हैं।



फोटो: महेन्द्र पाण्डेय
फोटो: महेन्द्र पाण्डेय

वर्ष 2017 के सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में विकास के संदर्भ में कुल 128 देशों का आकलन किया गया है और इसमें भारत का स्थान 93वां है। हमें निम्न-मध्यम सामाजिक विकास के वर्ग में रखा गया है, इस वर्ग में भी केवल एक देश, सेनेगल, हमसे नीचे है। श्रीलंका, नेपाल और चीन भी इस इंडेक्स में हमसे आगे हैं। इन 128 देशों में डेनमार्क पहले स्थान पर है और सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक अंतिम स्थान पर। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि असहिष्णुता और सामाजिक समावेश के संदर्भ में भारत की हालत सबसे खराब है। सभी देशों में व्यक्तिगत अधिकार, स्वतंत्रता, सहिष्णुता और समावेश, उच्च शिक्षा, मूलभूत शिक्षा, सूचना का अधिकार, स्वास्थ्य, पर्यावरण, व्यक्तिगत सुरक्षा, आवास, पानी, स्वच्छता और पोषण का आकलन कर इस इंडेक्स को तैयार किया जाता है।



फोटो: महेन्द्र पाण्डेय
फोटो: महेन्द्र पाण्डेय

संयुक्त राष्ट्र के हयूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में कुल 188 देशों की सूची में भारत 131वें स्थान पर है। नार्वे इस सूची में सबसे ऊपर है, जबकि श्रीलंका और मालदीव भारत से आगे हैं। भारत को इस सूची में मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार 1990 से 2015 के बीच देश में जन्म के समय अनुमानित जीवन में 10.4 वर्ष की वृद्धि दर्ज की गई, विद्यालयों में अनुमानित समय में 4.1 वर्ष की और सकल घरेलू आय में 223.4 प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई। आर्थिक उदारीकरण, पूंजी निवेश और सामाजिक क्षेत्र में अधिक निवेश के कारण यह सब संभव हो पाया। यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है कि 1990 से 2015 के दौरान लगभग पूरे समय जिस सरकार ने शासन किया उसके बारे में वर्तमान प्रधानमंत्री हर मंच से कहते हैं कि उनका तो विकास से दूर-दूर तक नाता नहीं था।

मंच से विकास की बातें करना और वास्तविक विकास में बहुत अंतर है। तभी पूरे सोशल मीडिया पर “विकास पागल हो गया है“ कहकर विकास का मजाक बनाया जा रहा है। किसान परेशान हैं, आत्महत्याएं भी कर रहे हैं, छोटे व्यापारी परेशान हैं, लोग भूखे मर रहे हैं, फिर भी विकास का नारा लगाना बेमानी लगता है। प्रधानमंत्री मोदी को कतार के आखिरी आदमी की पहचान होनी चाहिए तभी उन्हें उसकी परेशानी समझ में आयेगी।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia