जामिया में छात्रों पर बर्बरता के लिए विपक्ष ने मोदी सरकार को ठहराया जिम्मेदार, पूछा- कैंपस में कैसे घुसी पुलिस?

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों हुई बर्बरता को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने सोमवार को एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में घुसने की इजाजत नहीं दी थी, ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पुलिस कैंपस में कैसे घुसी?

फोटो: प्रमोद पुष्कर्णा
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नवजीवन डेस्क

जामिया मुद्दे पर दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में विपक्ष की ओर से प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसकर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, “यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में घुसने की इजाजत नहीं दी थी, ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पुलिस कैंपस में कैसे घुसी?”

उन्होंने कहा, “जामिया विश्वविद्यालय में छात्रों को टॉयलेट में घुसकर पुलिस ने मारा, छात्राओं को भी नहीं बख्शा। हमारे समय भी छात्रों के आंदोलन होते थे लेकिन उस समय बिना किसी वाइस चांसलर और प्रिंसिपल की इजाजत से पुलिस परिसर के अंदर नहीं जा सकती थी। ऐसे में जब कुलपति और प्रॉक्टर ने अनुमति नहीं दी, तो दिल्ली पुलिस जो केंद्र सरकार के अधीन आती है, जामिया यूनिवर्सिटी कैंपस में कैसे घुसी। इस पर केंद्र सरकार जवाब दे।” गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए।


गुलाम नबी आजाद ने कहा, “लोग नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ है। देश के कई इलाकों में छात्रों के प्रदर्शन चल रहे हैं। केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कोलकाता, आजमगढ़, सूरत, वाराणसी, बिहार, सीमांचल, औरंगाबाद, कानपुर, मुंबई और नार्थ-ईस्ट में प्रदर्शन हो रहे हैं। कई जगहों पर इंटरनेट सेवाओं को रोक दिया गया है और जैसे कश्मीर में एडवाइजरी जारी की गई थी, वैसा ही देश में चल रहा है।”

वहीं प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, “जिस तरह से जामिया कैंपस में घुसकर पुलिस ने छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की है, यह बिल्कुल असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है।” उन्होंने कहा, “पुलिस ने पहले यूनिवर्सिटी की बिजली काट दी उसके बाद छात्रों को पीटा। इस घटना के लिए गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं, ऐसे में अमित शाह दो दिन से कहां हैं?” येचुरी ने कहा कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।

गुलाम नबी आजाद ने कहा, “पीएम मोदी कहते हैं कि इस तरह की हिंसा के पीछे कांग्रेस का हाथ है। अगर कांग्रेस ऐसी हिंसा भड़काने में सक्षम होती तो आप सत्‍ता में नहीं होते। इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। इस तरह की हिंसा के लिए केवल सत्ताधारी पार्टी, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और उनका कैबिनेट ही जिम्मेदार है।”

सीताराम येचुरी ने आगे कहा कि पीएम मोदी को यह शोभा नहीं देता कि वह विपक्ष पर इल्जाम लगाएं। हम सब संविधान के नाम पर शपथ लेते हैं और वे लोग हिंदुत्व के एजेंडा को बढ़ा रहे हैं। हम सेक्यूलर मूल्यों के लिए लड़ रहे हैं।


वहीं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस देश को हमारे बुजुर्गों ने बनाया है और इसे कोई तोड़ नहीं सकता है। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में जामिया मामले की जांच होनी चाहिए। इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है और कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले को देखेगा।” उन्होंने पूछा कि छात्रों के साथ बर्बरता क्यों की गई?

वहीं सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि वह अपनी पार्टी की ओर से पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक नागरिकता कानून के विरोध में 19 दिसंबर को देश भर में प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि हम सभी सेकुलर और लोकतांत्रिक दलों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।

वहीं शरद यादव ने साफ-साफ कहा कि अब या सरकार रहेगी या यह नागरिकता कानून रहेगा। आरजेडी नेता मनोज झा ने कपड़ों से विरोध करनेवालों की पहचान वाले बयान पर ऐतराज जताया।


बता दें कि नागरिकता बिल पास होने और इसके कानून का रूप ले लेने के बाद से ही देश में कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। रविवार को दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में छात्रों ने प्रदर्शन किया और इस दौरान व्यापक हिंसा भी हुई, बसों को जलाया गया। जामिया की वीसी का आरोप है कि हिंसक प्रदर्शन में बाहरी लोग शामिल थे। जबकि उन्होंने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस बिना अनुमति से विश्वविद्यालय परिसर में घुसी थी और छात्रों की पिटाई की थी। वाइस चांसलर का कहना है कि इस मामले में पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

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Published: 16 Dec 2019, 4:40 PM